यह बात 1930 की है जब इन्टरनेशनल ऑस्ट्रोनॉमी यूनियन ने एक पिंड देखा और उन्हें वो ग्रह जैसा लगा और उसको ग्रहों की श्रेणी में शामिल कर लिया गया। बड़े ज़ोर शोर से इस नयी खोज को प्रचारित किया गया। प्लूटो की तो बनावट ही कुछ अलग सी लगती है। बहरहाल अभी 75 साल ही हुए थे कि उसी इंटेरनेशनल ऑस्ट्रोनॉमी यूनियन ने प्लूटो को बुलाया और स्पष्ट शब्दो में अल्टिमेटम दे दिया "भई ! हमने तुम्हें ग्रह का दर्जा दिया ज़रूर था मगर तुम में ग्रह के लक्षण दिख नहीं रहे अतः तुमसे चुनावों में वोट देने का अधिकार छीना जाता है। अब तुम्हारा ग्रह का दर्जा वापिस लिया जाता है। इसको अपने अखिल यूनिवर्सल गज़ट में छाप भी दिया। आज से हर खास ओ आम को ये सूचना दी जाती है कि प्लूटो को उसकी एन्टी ग्रह वाली हरकतों की वजह से आए दिन होने वाले विवाद से हमें मानसिक कष्ट पहुंचा है अतः आज से हम इसे जाति बाहर करते हैं। इसका हुक्का पानी बंद। यह क्यों कि हमारे प्राधिकार में नहीं अतः इसे तड़ीपार नहीं कर रहे। आज से कोई भी इसे अपने जोखिम पर ही ग्रह समझे। इसके लिए हम कतई ज़िम्मेवार नहीं।
यह सुन कर बेचारा प्लूटो मुंह लटका कर दफ़्तर से बाहर आ गया। उसके पास और कोई चारा भी नहीं था। यह 2006 की बात है। अब सैकड़ों बरस इंतज़ार करो फिर कोई अपील सुन न्याय करेगा। हो सकता है ग्रह का दर्जा बहाल हो जाये, हो सकता है उसे महज़ सितारा का ही दर्जा मिल पाये। भविष्य यदि इतनी दूर हो तो वैसे ही अनिश्चित लगने लगता है। यह साल दो साल का नहीं सैकड़ों हजारों साल का मसला है। अब इन्टरनेशनल ऑस्ट्रोनॉमी यूनियन के मिस्टर क्लाइड टामबा ने क्या सोच कर, क्या देख कर 1930 में ग्रह की 'डिग्री' दी और अब 2006 में कह रहे हैं कि आप खरे नहीं उतरे। प्लूटो को तो ऐसा लगा जैसे उसका कोर्ट मार्शल कर दिया हो और भरी सभा में उसकी वर्दी से सितारे और पेटी उतरवा ली हो। प्लूटो का नाराज़ होना स्वाभाविक है। किसी को इस तरह छेक देने से उसका जीवन आसान नहीं रह जाता। अब वह ग्रहों की बिरादरी से बाहर कर दिया गया है। गैलेक्सी में उसकी सारी इज्ज़त धूल में मिल गयी। अब फिर से न जाने कितने 'प्रकाश वर्ष' प्रतीक्षा करनी पड़े दुबारा ग्रहों की बिरादरी में शामिल होने में। फिर पंचायत, बोले तो, खप बैठेगी, केस को कन्सीडर करेगी।
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तक
यह राहू और केतु कितने खुश दिख रहे थे। सब इनका ही किया-धरा लग रहा था। बेचारे मार्स और वीनस को तो बोलने ही नहीं दिया जो प्लूटो के फ़ेवर में दो शब्द कहते। बस इतनी सी बात पर प्लूटो को दर-ब-दर कर दिया।
1. तुम्हारा तो कोई निर्धारित रूट ही नहीं। सबके अपने-अपने पाथ हैं तुम्हारा कोई फिक्स पाथ नहीं है।
2. तुम्हारा पाथ क्लीयर भी नहीं है ।
3. तुम सूरज के आसपास चक्कर नहीं लगाते हो।
तुम बजाय शक्तिशाली और विशाल होने के, सिकुड़ते जा रहे हो। प्लूटो का कितना दिल दु:खा होगा जब उसे बौना कहा कर चिढ़ाया गया। और अब ये उसकी चेंट उससे चिपक के ही रह गई है। जिसे देखो वह बौना कह कर बुलाता है।
बस फिर क्या था देखते-देखते ग्रहों के 'प्लेनेट क्लब' से प्लूटो को दरवाजा दिखा दिया। बौना कह अपमान अलग किया गया। सच है छोटे होने के नुकसान ही नुकसान हैं। आने दो प्लूटो का वक़्त। वह भी दिखा देगा अपना दम-खम।
प्लूटो को बौना कहने से पहले तुमने यह भी नहीं सोचा आजकल 'स्माल इज़ ब्युटीफुल' का ज़माना है।
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