नकल का इतिहास कब शुरू हुआ यह पता नहीं चलता
है। लोग कहते हैं यह आदम-ईव के वक़्त से ही चालू है। बहरहाल ! नकल का एक गौरवशाली
इतिहास रहा है। नकल कई प्रकार की होती है। कई क्षेत्रों में होती है। इस पर
निसंदेह अनुसंधान की आवश्यकता है। आसानी से पी.एच.डी. की जा सकती है। किन्तु यहाँ
हम इस लेख में केवल क्लास रूम की नकल, स्कूल-कॉलेज की हो अथवा नौकरी की लिखित परीक्षा
हो पर ही फोकस रखेंगे। इस के दो वर्ग हैं। एक, 'सामूहिक नकल' जिसमें सभी को नकल सुलभ कराई जाती है। जैसे
मेगाफोन से परीक्षा भवन से उत्तर की उदघोषणा करना। इससे सभी परीक्षार्थी समान रूप
से लाभान्वित होते हैं। दूसरे, 'एकल' (इंडिविजुअल) ईवेंट। जहां सामूहिक नकल की तकनीक (नो-हाऊ) में ज्यादा
विकास नहीं हुआ है किन्तु एकल केस में महत्वपूर्ण विकास हुआ है बल्कि बहुमुखी
विकास हुआ है।
फर्रे/चिट/स्लिप पुराने परंपरावादी
अस्लाह रहे हैं। किन्तु उसकी सीमाएं बहुत संकुचित हैं। आप कितने फर्रे कहाँ-कहाँ
छुपा कर ले जा सकते हैं। अलबत्ता इसमें सुभीता ये था कि सामन्यात: पकड़े जाने पर भी
केवल वही फर्रा ज़ब्त किया जाता था बाकी फर्रे सुरक्षित रहते थे। कमीज़ की कफ पर भी
लिखने का रिवाज रहा है अथवा उसकी सिलाई थोड़ी उधेड़ कर उसमें भी फर्रे छुपाने के लिए
पर्याप्त स्थान रहता है। दूसरे एक तरीका यह निकाला गया की टॉइलेट में किताब/कुंजी
पहले ही ले जा कर रख दी जाती है। आप टॉइलेट जाने के बहाने उसे कंसल्ट कर सकते हैं।
फिर कई लोग जुर्राब में खोंस कर ही किताब/कुंजी ले जाने लगे। मगर इसमें कोई बहुत
ज्यादा सुविधा नहीं थी फिर इनविजिलेटर से आँख बचा कर यह सब करना कठिन होता था।
इसका तोड़ ये निकाला गया कि इनविजिलेटर को ही अपने में मिला लो। चाहे पैसे से या
डरा-धमका कर।
एक
केस ऐसा पकड़ में आया जिसमें केंडीडेट की चप्पल में ही पूरा वाई-फाई सिस्टम फिट था
और साॅल्वर जो है सो, जासूसी फिल्मों की तरह काली पहाड़ी पर बैठा जवाब बताता जा रहा था।
जिसे परीक्षार्थी ब्लू टूथ के जरिये अपने कान में सुन पा रहे थे। फिर एक ऐसी
डिवाइस मार्किट में आई कि कमीज कि कॉलर में ही वायरिंग हो रखी थी और ब्लू टूथ के
जरिये विद्यार्थी अथवा नौकरी के अभ्यर्थी की सहायता की जाने लगी। यद्यपि सामूहिन
नकल योजना में केंडीडेट्स को एक रात पहले ही पर्चा दे दिया जाता अथवा उनकी परीक्षा
ही करा दी जाती
मुझे
पूरा पूरा विश्वास है कि यह नकल उद्योग का अमृत काल चल रहा है। जहां वाट्स अप पर
ही एक दिन पहले उत्तर मिल जाते हैं। वो बात दीगर है कि बहुधा जानते बूझते या
जेनुइन गफलत से परीक्षा रद्द करनी पड़ती है। नकल उद्योग ने समय के साथ बहुत तरक्की
की है अब प्रोफेशनल ‘साॅल्वर’ मार्किट में आ चुके हैं। वे एक निर्धारित फीस लेकर
आपकी जगह परीक्षा दे आएंगे और आपके पास होने की गारंटी है। आप को तो बस नौकरी जॉइन
करने वाले दिन ही नमूदार होना है।
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