Ravi ki duniya

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Tuesday, May 9, 2023

व्यंग्य: जय बजरंग बली

 


                 राम जी का गुड़, राम जी की चींटी। बजरंग दल किसका ? बजरंग बली का। बजरंग बली किसके ? बजरंग दल के। बजरंग बली भक्तों की रक्षा करते हैं। बजरंग दल भी अपने भक्तों की रक्षा करता है। अगर आपको अपनी रक्षा करवानी है तो आपके पास दो ही रास्ते हैं या तो बजरंग बली की आराधना करो या फिर अपने इलाके के बजरंग दल वालों से संपर्क करो। बजरंग दल आपकी रक्षा को सदैव तत्पर है। और बजरंग दल से आपकी रक्षा कोई नहीं कर सकता उसके लिए कोई तत्पर नहीं। बजरंग दल वाले भी बजरंग बली की तरह आपकी रक्षा के लिए किसी भी खतरे में कूदने को तैयार रहते हैं। वक़्त ज़रूरत अगर किसी की लंका लगानी हो तो उसके लिए भी तैयार।

         बजरंग बली वानर श्रेष्ठ थे बजरंग दल वाले भी वानर से ही इवोल्व हुए हैं जैसे हम सब हुए हैं। आप केवल पूंछ पर न जाएँ। यह कलियुग है। वैसे भी हम ऑफिशियली डार्विन को नकार चुके हैं। सच ही तो है आपने देखा बंदर से आदमी होते ? मैंने तो नहीं देखा। अलबता आदमी को बंदर होते हम सब दिन-रात देख रहे हैं और जगह-जगह देखते हैं चाहे टी वी चैनल हो, अखबार हो, रोड शो हो, सभा हो या अन्य कोई और रैली, महा रैली या फिर रैला। 

         यह डार्विन वाला कंसेप्ट भारतीय है ही नहीं।  यह विदेशी है । वहाँ लागू होता होगा। वे लोग होंगे बंदर की संतान, हम मानव श्रेष्ठ थे, हैं और रहेंगे। हमारा जेनेटिक्स डिपार्टमेन्ट पसीने से, घड़े से किस किस से नहीं बच्चे उत्पन्न कर पाने मेन समर्थ थे। ये पश्चिम वाले तो आज टेस्ट ट्यूबे और प्लास्टिक सर्जरी की बात कराते हैं हमारे यहाँ ये प्राचीन काल से चली आ रही है। वो कहते हैं ना फलां काम अरे ये तो हम कब का करके छोड़ चुके।  हमारे यहाँ सदियों से विदेशी आते थे। क्या ज्ञान की, क्या धन-दौलत की भूख मिटाने। आप सोचते हो ये 5 किलो आटा-चावल देने का रिवाज नया है। हम जगत के पालनहार हैं। वसुधाईव कुटुंबकम। हम तो कहीं नहीं गए। कदापि नहीं। विश्वगुरु कहीं नहीं जाते। बाकी संसार आता है उनकी शरण में। कभी युद्ध रुकवाने, कभी शांति वार्ता में मध्यस्थता करवाने। हम तभी जाते हैं जब कोई लाख निहोरे करे, चीफ गेस्ट बनाए। ढ़ोल नगाड़े बजवाये आर टेर-टेर कर कहे कि हम ही विश्वगुरु हैं और हमारे बिन उनकी मुक्ति संभव नहीं।

       पवनसुत, महावीर, रामदूत, अंजनीपुत्र, कपीश्वर, मारुति, विक्रम, बजरंगी, कपिकेशरी । सर जी ! बजरंग बली के दस पाँच रूप-नाम नहीं। पूरे 108 हैं। अभी तो शुरुआत हुई है। बजरंग-दली आखिर बजरंग-बली के सेवक ही तो हैं। जग जानता है:

             स्वामी से सेवक बड़ा चारों जुग प्रमाण

               सेतु बांध श्री राम गए लांघि गए हनुमान 


          तो सोच समझ कर हाँ ! लक्ष्य ठेवा ! नहीं तो बाबा बजरंगी लंका लगा देंगे,  अपनी वानर सेना को कपीश्वर ने संकेत भर करना है।

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