ढाई एकड़ के क्षेत्र में लुटियन्स दिल्ली की जनपथ रोड पर जंतर-मंतर के पीछे फैली हुई है फ्रीमेसन लॉज। यह लॉज क्या है यहाँ क्या होता है ? यह लॉज इम्पीरियल होटल के नजदीक है। यह इमारत 1936 में बनी एक विश्व धरोहर (हेरिटेज बिल्डिंग) है। फ्रीमेसन हॉल में चार फ्रीमेसन मंदिर हैं। यह ग्रांड लॉज है। यहाँ पॉलीक्लीनिक और आँखों का इलाज़ भी किया जाता है यह फ्रीमेसन की एक चेरिटेबल गतिविधि है। आप सोचेंगे यह फ्रीमेसन क्या है? यह भ्रातृत्व और सत्य पर आधारित मानव मात्र के हित में कार्य करने वाली एक संस्था है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि मोतीलाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद डॉक्टर राधाकृष्णन, सर फिरोज़शाह मेहता, जे आर डी टाटा, चक्रवर्ती राजगोपलाचारी, सर जमशेठ जी जीजीभाई, नवाब मंसूर अली खान पटौदी, महाराज जीवाजी राव सिंधिया, माधव राव सिंधिया रुडयार्ड किपलिंग, रामपुर के नवाब, पटियाला के महाराजा, फख़रुद्दीन अली, फिल्म कलाकार अशोक कुमार।
भारत की ग्रांड लॉज का गठन 24 नवंबर 1961 को अशोक होटल की एक सभा
में की गई थी, इसमें ग्रांड लॉज
स्कॉटलैंड आयरलेंड और इंग्लंड के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। स्थान स्थान से 1500 फ्रीमेसन (ब्रदर, ग्रांड मास्टर्स
आदि) इस सभा में शामिल हुए थे।
मेजर
जनरल डॉक्टर सर सय्यद रज़ा अली खान, रामपुर नवाब ग्रांड लॉज के प्रथम ग्रांड मास्टर नियुक्त हुए
थे। आज इंडिया में 470 लॉज हैं जो कि 170 से अधिक शहरों में फैली
हुई हैं जिसके 23000 से अधिक सदस्य
हैं। ये लॉज भारत के चार क्षेत्रों अत्तार दक्षिण पूरब पश्चिम में वर्गीकृत हैं व
प्रत्येक क्षेत्र का नेतृत्व रीजनल ग्रांड मास्टर करते हैं।
फ्रीमेसन विश्व की एक प्राचीन धर्म निरपेक्ष संस्था है। यह भ्रातृत्व
आधारित एक विश्वयापी संस्था है। यह नैतिकता सत्य पर ज़ोर देती है। सदस्यों को
अध्यात्म की ओर उन्मुख करती है। पिछले 280 से भी अधिक सालों से फ्रीमेसन सक्रिय हैं। 250 बरस से इंडिया में ये
संस्थाए काम कर रही हैं। फ्रीमेसन का इतिहास उस से भी पुराना है वे अपने आपको किंग
सोलोमन के टाइम से बताते हैं। यह सर्वप्रथम इंगलेंड में 1717 ई, से देखा जा रहा है।
इंडिया में यह सबसे पहले कोलकाता में 1729 ई में आई। आज यह विश्व के 190 से अधिक देशों में सक्रिय है।
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