Ravi ki duniya

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Sunday, April 30, 2023

व्यंग्य : कोविड इंस्पेक्टर जिग्नेश शाह इंग्लैंड में

 

(पूछा जाएगा, कोविड इंस्पेक्टर जिग्नेश शाह इंग्लैंड के दौरे पर क्यों गए थे? टूरिस्ट की हैसियत से, या कोई बैंक लोन का चक्कर है या किसी नई वेक्सीन की तलाश में। नहीं वे भारत की तरफ से चिकित्सकीय आदान-प्रदान के अंतर्गत गए थे ।भारत सरकार ने वसुधैव कुटुंबकम की पॉलिसी को 70 साल में पहली बार लागू किया है अन्यथा अभी तक तो हाकिम फिजूल में सेकुलर-सेकुलर खेल रहा था। हमारी सरकार ने 70 साल में पहली बार दुनियाँ का आव्हान किया  'वन वर्ल्ड वन कोरोना' है तो 'वन वर्ल्ड वन वेक्सीन' और 'वन वर्ल्ड वन हैल्थ' भी तो होनी चाहिये।  अधिकृत घोषणा कर दी गई है दुनियाँ में किसी भी देश को हमारी एक्सपर्टीज़ चाहिए तो बोलो जिसको भी हमारा फायदा उठाना है तो उठा लो, पीछे अपने को सुनने को नहीं मांगता। यह सुन बरतानिया सरकार ने भारत सरकार को लिखा , अब वाकई लिखा या झूठ-मूठ ये फैलाया गया या जबरदस्ती हमारे राजदूत को ई डी सी बी आई भेज कहलवाया गया (आखिर अगले को भी अपनी नौकरी बचानी है।) कहते हैं बरतानिया सरकार ने लिखा:

“यों हमारी सभ्यता बहुत आगे बढ़ी है. पर हमारी वेक्सीन पर्याप्त सक्षम नहीं है कि वह कोविड पर काबू पा सके। उसे खत्म करने में अक्सर सफल नहीं होती. सुना है, आपके यहाँ रामराज है. मेहरबानी करके किसी कोविड-अफसर को भेजें जो हमारी मेडिकल की एम.डी., एफ. आर. सी. एस. टीम और  उच्चअफसरों को प्रशिक्षित कर सके)

 

                    वैज्ञानिक कहते हैं इंग्लैंड के पास कायदे की वेक्सीन नहीं है है भी तो वेक्सीन लगाने की कोई तर्कसंगत पॉलिसी नहीं है। सीनियर कोविड इंस्पेक्टर जिग्नेश शाह (प्यार से जिग्नेश भाई) का कहना है वैज्ञानिक झूठ बोलते हैं वेक्सीन तो है पर लगाने की पॉलिसी नहीं होनी है !  पॉलिसी होगी तो  भाषा नहीं और भाषा होगी तो हमारे जैसे भाषण नहीं होंगे।

 

विज्ञान ने हमेशा जिग्नेश भाई से मात खाई है। कोई भी कहता रहे वेक्सीन खत्म, जिग्नेश भाई मानते ही नहीं तुरंत जिग्नेश भाई दस चैनलों से 48 घंटे तक लगातार वेक्सीन लगाने के सीन चलाते रहते हैं और इंटरव्यू में लोग कहते हैं इतनी उम्र हो गई इतने अच्छी वेक्सीन न देखी, न सुनी और न लगवाई। दर्द ही नहीं होता, उल्टा हल्की सी गुदगुदी होती है।

 

जिग्नेश भाई कहते हैं ये अंग्रेज़ लोग केस का पूरा इन्वेस्टिगेशन तो करते नहीं, वेक्सीन मिलते ही गाल बजा दिये:

 

सब को लगेगी !

फ्री लगेगी !

कोई पार्टी पॉलिटिक्स नहीं ! कोई उम्र का लिहाज नहीं !  कोई छोटे-बड़े का ख्याल नहीं।

कोई ये नही कि आयरिश को बाद में वेल्स और स्कॉटलैंड को पहले।

पहले कंजरवेटिव को लगेगी बाद में लेबर पार्टी का नम्बर लगेगा

कौन काउंटी पहले, कौन बाद में, पहले रूलिंग पार्टी वालों को लगेगी, बच गई तो विपक्षियों को ऐसी कोई तर्कसंगत पाॅलिसी नहीं थी अत: जो थी सो फेल होनी ही थी। पूरा का पूरा प्रोग्राम चौपट।

गृह मंत्री ने सचिव से कहा- किसी डॉक्टर-फाॅक्टर को भेज दो। आखिर उन पर हेलीकाॅप्टर से फूल किस दिन के लिए गिरवाये थे ? कोई है अपना बंदा ?

 

 

सचिव ने कहा- नहीं सर डॉक्टर को नहीं भेजा जा सकता, कोई जाने को तैयार नहीं होगा, महीनों से उन्हे वेतन नहीं मिला है। भले इंग्लैंड ने हमारे ऊपर बरसों राज किया, अब और नहीं। ये पुरानी सरकार नहीं। किसी सीनियर इंस्पेक्टर को भेज देता हूँ। तय किया गया हजारों मामलों के इन्वैस्टिगेशन ऑफिसर और सैकड़ों केसों को दबाने वाले कोविड इंस्पेक्टर जिग्नेश शाह को भेज दिया जाये

 

 

इंग्लैंड की सरकार को लिख दिया गया कि आप जिग्नेश भाई को लेने के लिए यान भेज दो या हम दो विमान खरीद ही रहे हैं उसी ऑर्डर को तीन कर देते हैं पैसे आप दे देना हमारे स्केयर फंड में। डरें नहीं, स्केयर बोले तो सीक्रेट केयर फंड, इसलिये शाॅर्ट में स्केयर फंड।

मंत्री जी ने जिग्नेश भाई को कहा- तुम भारतीय कोविड–19 की उज्जवल परंपरा के दूत की हैसियत से जा रहे हो ऐसा काम करना कि सारी दुनियाँ में हमारी इतनी जय-जयकार हो कि नोबल प्राइज़ कमेटी को भी सुनाई दे जाये और इस शोर शराबे के घने बादलों का हम बेनीफिट ले सकें।

 

 

जिग्नेश भाई की यात्रा का दिन आ गया. वे धीरे-धीरे कहते जा रहे थे, ‘प्रविसि नगर कीजै सब काजा, ह्रदय राखि कौसलपुर राजा.’...होय है वही जो राम रचि राखा

 

 

       यान के पास पहुँच जिग्नेश भाई  ने मुंशी जयेश भाई को पुकारा- ‘मुंशी!’

  जयेश भाई ने जय श्री कृष्णा कहा और पूछा – सू छे ?

 

    फोटो लगे वेक्सीन सेर्टिफिकेट के सेंपल रख दिये है?

 

      जी , जिग्नेश भाई.

 

      और वैक्सीन लगवाने को रजिस्ट्रेशन कराने का नमूना?

 

     जी, भाई !

 

माइक्रोस्कोप ?

 

वो क्यूं ?

अरे इससे रौब पड़ता है। यदा-कदा उससे भी देखना चाहिये, आदमी पढ़ा-लिखा और साइंटिफिक टैम्पर वाला लगता है।

 

      वे यान में बैठने लगे. कंपाउंडर नानूभाई को बुलाकर कहा- हमारे हर अस्पताल में बड़ी बड़ी मूर्ति लगाने के काम में तेजी लानी है।

          नानूभाई ने कहा- जी, जिग्नेश भाई

           जयेश भाई ने कहा – आप बेफिक्र रहें ! मैं अखबार और चैनलों में 48  घंटे इस न्यूज को चलवा दूंगा कि इंग्लैंड ने 70 साल में पहली बार हमसे मदद मांगी है। अखबारों में इस बात के पूरे के पूरे पेज के विज्ञापन भी डलवा दूंगा।

         जिग्नेश ने यान के चालक से पूछा – तेरे को कोरोना तो नहीं है?

 नहीं है साहब !

 और टीका-वीका लगवा रखा है?

 जी हां.

 कौन सा ? मेरा वाला न! रूसी-फूसी तो नहीं लगवा लिया

            जिग्नेश भाई ने कहा, सब ठीकठाक होना चाहिए, वरना हरामखोर ! बीच आसमान में देशद्रोह के आरोप में अंदर करा दूँगा.

           इंग्लैंड से आये चालक ने कहा- हमारे यहाँ आदमी से इस तरह नहीं बोलते.

            जिग्नेश ने कहा- जानता हूँ बे ! तुम्हारी पूरी की पूरी चिकित्सा प्रणाली ही कमज़ोर है. अभी मैं उसे ठीक करता हूँ

             वे यान में बैठे और यान उड़ चला. उन्होंने चालक से कहा- अबे, सायरन क्यों नहीं बजाता?

            चालक ने जवाब दिया- आसपास सैकड़ों मील में कुछ नही

 

 

 

 

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