अभी
अभी एक अखबार में समाचार पढ़ा “आम भारतीय से अंबानी की शादी का खर्च कम है” लो जी
मैं वैसे ही परेशान हो रहा था कि भारत जैसे गरीब देश में इतने ताम-झाम की क्या
ज़रूरत है। यह तो सरासर दौलत का भौंडा प्रदर्शन है। लेकिन यह समाचार पढ़ कर अपनी
मूर्खता पर हंसी आई। और दिल को शांति मिली। मैं बेकार ही ये बात दिल पर ले रहा था।
अखबार ने आगे लिखा है कि एक आम भारतीय अपने यहाँ शादी में अपनी आय का 10% खर्च
करता है जबकि गरीब अंबानीज़ ने तो महज़
0.5% खर्च किया है। इसका मतलब है कि एक आम भारतीय उनसे कहीं ज्यादा कहीं ज्यादा
अमीर है। मुझे आप पहली बार एहसास हुआ कि मैं अंबानीज़ से कहीं ज्यादा अमीर हूँ कारण
कि मैंने अपनी शादी में पूरे के पूरे 10% खर्चा किया था। ये 10% खर्चा करने वास्ते
भले मुझे ब्याज पर पैसा लेना पड़ा मगर मैंने 10% की लाज रख ली। 10% को मैंने 9 क्या
साढ़े नौ भी नहीं होने दिया।
ये कुछ मानसिक संताप वाले लोग
व्यर्थ ही देश की गरीबी का रोना दिन रात रोते रहते हैं। अरे ये देखो सादगी की
मिसाल महज़ 0.5% में पूरी की पूरी शादी निपटा दी वो भी शानदार तरीके से। मैं 10%
में भी केवल कुछ रिश्तेदार किस्म के लड़कों को नचा पाया था अगले ने 0.5% में संसार के बड्डे बड्डे नचकइयों
को अपने अँगने में नचवा लिया।
जहां
अंबानीज़ की शादी में लोग देख रहे थे कि दुनियाँ का कौन
सेलेब्रिटी आया है। मैं अपनी शादी में
ढूंढ रहा था कि कौन रिश्तेदार नहीं आया, मुझे चिंता हो रही थी उनके यहाँ जो शगुन दे कर आया था अब उसका क्या ? अब कैसे वो शगुन वापिस लौटेगा ?
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