Ravi ki duniya

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Saturday, July 13, 2024

व्यंग्य: प्रोटोकॉल नेतानी से मिलने का

 


 

                   नेतानी ने सबको ताकीद की है कि खबरदार मेरे सामने कोई लोकल मुद्दा लाये तो। मेरे पास सिर्फ और सिर्फ वो ही मुद्दे लाए जाएँ जो एक मुझ जैसी सांसदा के स्तर के हों। भई पॉलिसी इशू लाएँ। ये क्या कि घर का दरवाजा बंद नहीं हो रहा तो आप मुंह उठाए मेरे दरवाजे पर चले आए। ये क्या सांसद का काम है कि आपकी फसल, आपके दरवाजे को ठीक कराता फिरे। कुछ तो अक़ल से काम करो। क्या आप यू. एन. ओ. में अपनी गली की नाली साफ कराने जाएँगे ? नहीं न ! बस तो ऐसे ही केवल देश, बोले तो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मुद्दे ही मेरे विचार को लाए जाएँ

 

                खबरदार ! जो मेरे दफ्तर में कोई छोटा मुद्दा लेकर आया तो। आप तो ये बताओ कि आपके विचार से अब चीन को क्या करना चाहिए ? आप बताइये कि अमरीका में राष्ट्रपति किसको बनना चाहिए और क्यूँ। आप बताएं रूस और यूक्रेन के युद्ध में अब विश्वगुरु भारत को नया क्या करना है।

 

                 आप मुझे बताइये कि मुद्रा स्फीति की दर का क्या करना है। भारत को 5 ट्रिलियन की इकॉनमी जल्दी से जल्दी बनाने में आपका क्या योगदान है। वो प्रसिद्ध कहावत है न “ये मत पूछो कि देश आपके लिए क्या कर सकता है, ये पूछो आप देश के लिए क्या कर सकते हो।“ ये दरवाजे, खिड़की, फसल, बाढ़-सूखा से ऊपर उठो। देखो आदमी कहाँ से कहाँ पहुँच गया है एक आप हैं जो अब भी अपना-अपना रोना लिए बैठे हैं।  हाय ! मेरी नौकरी, हाए ! हम बेरोजगार हैं। हाय ! महंगाई। तुम्हें अपने रोने-पीटने से फुर्सत मिले तो देश के बारे में भी सोचना। कितना काम अभी बाकी है। मुझे दम मारने की फुर्सत नहीं और एक आप हैं जिसके दुखड़े ही खत्म नहीं होते। क्या मैंने आपसे अपने इलैक्शन में ऐसा कोई वादा किया था कि मैं आपके दरवाजे ठीक कराउंगी। आप लोकल मुद्दे जो कि मात्र राज्य स्तर के हैं या ज़िले स्तर के हैं या फिर मात्र गाँव-खेड़े के लेवल के हैं आप उन्हें मेरे पास लेकर फटकना भी नहीं। और हाँ सभी मुद्दे 14 फॉन्ट साइज़ में मंगल फॉन्ट में टाइप करा कर 7 प्रतिलिपि में लाएँ। डबल स्पेस में ए-4 साइज़ के पेपर पर। मुझे इतना टाइम नहीं कि मैं आपके दुखड़े सुनूँ। बस आओ, अपनी अर्ज़ी दो और पीछे मुड़ कर देखे बिना नौ दो ग्यारह हो जाओ। क्या हो जाओ ? नौ दो ग्यारह। ये दफ्तर मैंने आपके ऊँघने के लिए नहीं खोला है। दफ्तर के नाम पर न जाएँ भले नाम संवाद है मगर यहाँ संवाद मैं करूंगी आप सिर्फ सुनेंगे। आई बात समझ में।  और एक आखिरी बात अगर कोई पर्यटक मेरे दफ्तर के आसपास भी दिख गया तो उसको मैंने जिंदगी भर के लिए किसी और जगह के पर्यटन लायक नहीं छोडना है। मेरे दफ्तर में सिर्फ मेरे चुनाव क्षेत्र के लोग आएंगे अनकिन कोई नहीं, तो कोई नहीं। पड़ोसी चुनाव क्षेत्र का हो या बाहर-गाँव का। 

 

                  हाँ अगर आप मेरे लेटेस्ट फिल्म की टिकट का काउंटर फॉइल दिखाएंगे तो आपको एंट्री मिलेगी फिर चाहे आपने वो फिल्म किसी भी शहर में देखी हो।

 

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