Ravi ki duniya

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Tuesday, May 20, 2025

व्यंग्य: हमारी डिग्री - थर्ड डिग्री


 

      अब से पहले कभी ये पढ़ाई-लिखाई, ये डिगरी - सिगरी को कभी पब्लिक में चर्चा लायक भी नहीं समझा गया। अब देखता हूँ जिसे देखो डिग्री का मखौल सा बना रहा है। डिग्री भी एक से बढ़ कर एक। ऐसे-ऐसे कोर्स चला दिये हैं और डिग्री को इतना सुलभ करा दिया है मुझे लगता है इस रफ्तार से वो गाना है ना "...50-60 की रफ्तार से दौड़ेंगे आशिक़..." तो उसी तरह, एक से एक बड़ी डिग्री लेकर भागते-दौड़ते नज़र आएंगे। कोई संविदा की नौकरी भर चाहता है कोई क्लास फोर बनना चाहता है। वो दिन गए जब आप 'माई एम्बीशन इन लाइफ' में डॉ. या इंजीनियर बनना चाहते थे। अब तो महज़ ये चाहते हैं कि किसी भी तरह, किसी भी तरह की नौकरी लग जाये, नहीं तो खाने के भी  वांदे हो रखे हैं।

 

मेरा एक जानकार है जो इंजीनियरिंग करके मोबायल ठीक करने की गुमटी पर बैठता है । वह अपने आपको 'सेल फोन इंजीनियर' बताता है। जैसे पहले आई . टी. आई. करके लोगबाग अपने आपको रेडियो इंजीनियर और टी.वी. इंजीनियर लिखने लग पड़े थे। पिछले 10-15 साल में डिगरियों का बहुत अवमूल्यन हुआ है। ऐसे समझो सिर्फ नोटबंदी ही नहीं हुई डिग्रीबंदी भी हो गई है। दिल्ली एन. सी. आर. में ही आपको दर्जनों यूनिवर्सिटी मिल जाएंगी। जिनका ज़िंदगी का ध्येय ही आपको डिगरीधारी बनाना है। उनका मिशन स्टेटमेंट है हमारे रहते देश में कोई भी बिना डिग्री नहीं रह पाएगा।

 

अब समस्या डिग्री की नहीं है बल्कि ये है कि पता कैसे लगाएँ कि व्यक्ति जो डिगरियों का पुलिंदा लिए लिए घूम रहा है उसकी असल लियाक़त क्या है ? कितनी है ? अब ये बात तो इम्तिहान से ही पता चल सकती है। वो पेपर लीक हो जाता है सो पता ही नहीं लग पाता। यदि भागा-दौड़ी की कहोगे तो उसमें भी पंगे हैं गुटखा-तंबाकू ने हमें ग़ालिब कहीं का नहीं रखा।

 

 

बेहतर तो ये है कि आदमी गले में किसी पार्टी का पटका लपेट ले और नेता बन जाए। वैसे तो ज़रूरत है नहीं और अगर ज्ररुरत लगे तो एक बंदा साथ रख लें, जो हवा बांधने के काम आयेगा। जैसे इंसान का आई.क्यू. नापते हैं, जैसे ई.क्यू. नापते हैं। वैसे ही एन.क्यू. बोले तो न्यूसेंस कोशेंट नापा जाया करेगा, उसी अनुपात में आपका समाज में दबदबा रहा.करेगा। अत: दंद-फंद लगातार करते रहें। जल्द ही आप इतने ऊंचे उठ जाएँगे आई मीन अपनी न्यूसेंस वेल्यू इतनी (नेट वर्थ) इतनी बढ़ा लें कि आदमी आपकी शिक्षा की, डिग्री की बात ही न करे। जो बात शुरू करे आप वहाँ से दायें बाएँ हो जाएँ और बाद में आधी रात को उसको नींद से उठवा लें। खूब कूटें, इतना कूटें कि वो अपनी डिग्री भूल जाये। फिर उसे हिन्दी में समझा दें '‘हमारी डिग्री - थर्ड डिग्री'’। बस यही आपकी सफलता का कन्वोकेशन है।

 

 

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