Ravi ki duniya

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Thursday, May 22, 2025

व्यंग्य: प्रेमिका का पिता और कार से कुचलना

 


जब एक पिता ने अपनी पुत्री को प्रेमी के साथ कार में बैठे देखा तो उसे क्रोध आना स्वाभाविक था। उसने वहीं कार रोक कर दोनों को खूब कूटा। खूब कूटा बोले तो खूबैई कूटा। इस पर प्रेमी का सब्र जवाब दे गया। असल में एक सीमा तक तो वह सहता रहा आखिर भावी ससुर साब हैं। ससुर पिता समान होता है। लेकिन उसकी चुप से ससुर साब और उत्साहित हो उठे। उन्होने मार-कुटाई का क्रम जारी रखा। तब ही वो क्षण आया जब उसे लगा बस बहुत हो गया। उसने आव देखा ना ताव, अपनी कार स्टार्ट की और दे मारी ससुर को। ससुर साब ने दो-चार कलामंडी खाईं और चारों खाने चित्त हो गए। अब भले लोग बॉक्सिंग मैच की तरह वन, टू, थ्री करते रहे मगर ससुर साब तो अचेत हो गए थे। ये देख प्रेमी महोदय कार चला कर सीधे थाने ही चले गए।


यह एक 'स्मार्ट मूव' था। एक बात है जब आदमी प्रेम करता है तो कितना समझदार हो जाता है। समझदार ना भी हो चंट-चालाक तो हो ही जाता है। अब देखो उसने थाने जाकर प्रेमिका का दिल जो है सो फिर से एक बार और जीत लिया। वह बाद में प्रेमिका को कह सकता है मेरे मन में पश्चाताप हिलोरें ले रहा था। मेरा ‘पापाजी’ पर कार चढ़ाने का कोई इरादा नहीं था। गुस्से में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बहुत संभव है कार को भी गुस्सा हो। आखिरकार,  कार मेरी है वो कैसे अपने मालिक का अपमान सह सकती थी। 

प्रेमिका ने फिर उसकी सब बातों पर यकीन कर लेना है। मरहम-पट्टी के बाद फिर सब सुख से रहने लग पड़ेंगे या फिर ससुर साब चलती कार से ऐन मौके पर दायें-बाएँ हो जाने की आर्ट सीख रहे हों। सोचने वाली बात ये है कि फर्ज़ करो ये प्रेमी महोदय अगर कार की जगह सैनिक होते और बख्तरबंद गाड़ी या फिर टैंक चलाते होते तो ? एयर फोर्स में होते और लड़ाकू विमान चालक होते तो क्या अगले के मकान पर गोले गिरा देते ? या मिसाइल छोड़ देते ? ये प्रेमिका के बाप पर कार चढ़ा देना कोई समझदारी का काम नहीं किया प्रेमी महोदय ने। एक 'बैड एक्जाम्पल' सेट किया है भावी प्रेमियों के लिए। जबकि प्रेमिका के पिताओं के लिए खतरनाक 'प्रिसिडेंट' दिया है। सुनते हैं प्रेमीजन अपनी जान हथेली पर रख कर प्रेम करते हैं। वो तो ठीक है मगर प्रेमिका की जान को तो अपनी जान से ज्यादा चाहना चाहिए और हिफाज़त करनी चाहिए ना कि अगले के ऊपर कार चढ़ा देनी चाहिए। बुरा हो ऐसी कार का। ऐसी कार के मालिक का। बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला। काला नहीं तो खून में लालम-लाल।  



प्रेम के सब दुश्मन हैं इस ज़माने में। कैसा लगेगा जब ये दोनों प्रेमी -प्रेमिका विवाह बंधन में बंध जाएँगे ? कैसे वो ये कार की घटना उर्फ दुर्घटना को याद किया करेंगे ? कैसे दादा जी अपने नाती-पोतों को कहानी सुनाया करेंगे ? मुझे तो सोच सोच कर ही रोमांच हो उठता है।

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