नेता लोग बहुत ‘ओवर-एन्थू’ बोले तो हड़बड़ी और जोश में रहते है। ऐसा ही एक केस सामने आया है जब एक सूबे में अपने सीनियर नेता की नज़रों में आने के लिए एक छुटभैये नेता ने 40 ऐसी लड़कियों के नाम भी सूचीबद्ध कर दिये जिनकी अभी शादी भी नहीं हुई थी। दरअसल सूबे ने कोई योजना चलाई थी की ऐसी युवतियों को बधाई दी जाएगी जिन्होंने गर्भ धारण किया है जैसे आजकल अँग्रेजी में चला है बेबी शाॅवर।
मैं सोच रहा था नेता लोग बिलकुल भी नहीं बदले हैं। हमेशा एक दूसरे से आगे निकलने की होड़। हमेशा अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से आगे रहने की सतत भागदौड़। ‘आपातकाल’ में भी ऐसे केस आते थे जब नसबंदी करानेवालों की संख्या गाँव की जनसंख्या से भी ज्यादा होती थी। फर्जीवाड़ा तब से चलते- चलते यह ऑन-लाइन हो गया है। हाई-टैक हो गया है।
इन लड़कियों के फोन नंबर उन्होने कहीं से किसी और स्कीम के अंतर्गत ले लिए और अपने नंबर बढ़ाने के चक्कर में जो आजकल डाटा बेचने का काम चला है इनके नाम इस सूची में भी बिना किसी जांच-पड़ताल के आंगनवाड़ी वालों ने शामिल कर लिए। शामिल कर लिए तो कर लिए वो आगे नेता जी को भी सौप दिये अब नेता जी को तो हर शख्स महज़ एक वोट नज़र आता है, सो उन्होने दन्न से सबको भावी माँ बनने और गर्भ धारण की बधाइयाँ दे डाली। साथ ही उन्हें हिदायत देना नहीं भूले कि वे अपने भोजन का ख्याल रखें पुष्ट भोजन लें ताकि स्तनपान में भावी शिशु को सहूलियत रहे। लड़कियों के घर में हंगामा मच गया। ऐसा कैसे हुआ ? कब हुआ ? अफरा तफरी मच गई। फिर पता चला कि यह किसकी कारस्तानी है बोले तो ये किसका किया धरा है। मुझे लगता है कि डाटा बैंक का सही होना बहुत ज़रूरी है। अब जैसे जाति-जनगणना की बात हो रही है। इसे भी बहुत फूँक-फूँक कर देखना-भरना होगा। पहले ही न जाने कितने सूबों में खूब जाली सर्टिफिकेट पकड़े जाते हैं लोग न केवल नौकरी पा गए बल्कि बिना पकड़ाई में आए रिटायर भी कर गए। हमारे यहाँ नकली पिछड़ा होने पर बहुत ही प्रीमियम है।
सोचिए बेचारी लड़कियों पर, उनके घरवालों के ऊपर क्या गुजरी होगी इस प्रकरण से। यकीन जानें जब ये लड़कियां भविष्य में वाकई माँ बनने की राह पर आएंगी तब कोई बधाई संदेशे नहीं आने वाले हैं। क्यों कि तब तक सूबे की सियासत न जाने और किस दिशा में, कितनी आगे निकल चुकी होगी।
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