देखिये प्रेम जो है सो वो ओहदा, दर्जा, पदवी, जात-कुजात नहीं देखता।
जो ये सब देखे वो कुछ और ही है प्रेम नहीं। अतः जब प्रेमी ने अपनी प्रिन्सिपल
प्रेमिका की पिटाई कर दी तो उसे ऐसे नहीं बताना नहीं चाहिए कि एक प्रिन्सिपल की
पिटाई की। बताना तो चाहिए था कि एक प्रेमी ने एक प्रेमिका की पिटाई की। इंप्रेशन
तो ऐसे दिया जा रहा है जैसे किसी स्टूडेंट ने प्रिन्सिपल की पिटाई कर दी अथवा जैसे
पी.टी.आई. ने प्रिन्सिपल को कूट दिया हो। ये गलत और आधी अधूरी रिपोर्टिंग है। पता
ये चला है कि दोनों एक गाना गाने वाले एप पर मिले थे। दो-चार गाने गा कर प्रेमी जी
को लगा कि अब वो प्रिन्सीपल के साथ आमने-सामने ड्युट गा सकते हैं। प्रेमी महोदय
सारे सिग्नल तोड़-ताड़ कर अपना सूबा छोड़-छाड़ कर प्रिन्सीपल महोदया के पास आ गये।
मज़ेदार बात ये है कि इधर प्रिन्सीपल महोदया भी अपने पति को छोड़-छाड़ कर इस गायक
प्रेमी के साथ रहने लगीं। तब एक स्टेज ऐसी आई कि प्रिन्सीपल मैडम को लगा केवल गाना
गाने से ज़िन्दगी नहीं चलेगी। तब उन्होंने अपने पति के पास वापिस जाने का फैसला कर
लिया। बस यहीं से सुर बेसुरे हो गये।
अब पता नहीं प्रेमी ने प्रेमिका की पिटाई
क्यों की ? हमें पूरी कहानी पता नहीं है। प्रेमी की साइड की कहानी तो पता ही नहीं चली तब
तक प्रेमिका के अंदर का प्रिन्सिपल बाहर आ गया और बेचारे प्रेमी की पुलिस से सुताई
करा दी। वैसे वो प्रिन्सिपल थी वो चाहती तो खुद भी प्रेमी को बेंत से मार सकती थी, डेस्क पर खड़ा कर सकती
थी या फिर मुर्गा बना सकती। उसने बात खोल दी और खुलते ही पुलिस ने तो बीच में कूद
ही पड़ना था। उन्हें तो पता चलना चाहिए कि दो लोग प्रेम कर रहे हैं। उनसे यह सहा
नहीं जाता कि उनके रहते कोई दो दिल मिलें।
प्रेमी को प्रेम करने से पहले सोचना
चाहिए था, प्रेम के अपने आदाब हुआ करते हैं मगर प्रिन्सिपल से प्रेम करने के अपने रिस्क
और जोखिम होते हैं। वह बात-बात में आपसे ‘लैसन रिवाइज़’ कराएगी, प्रश्न, कठिन से कठिन पूछेगी, होम वर्क देगी और आकर
फिर सवाल करेगी। वह प्रिन्सिपल है और प्रिन्सिपल के जीवन में कुछ प्रिन्सिपल होते
हैं। वो आपकी तरह ‘वेली’ नहीं उसे स्कूल भी देखना है, टीचर्स से भी निपटना
है और इन सबसे बढ़ कर स्टूडेंट्स से निबाह करना है। एक आप हैं, आपका तो फुल टाइम जॉब
ही प्रेम गीत गाना और प्रेम करना है। भले प्रिन्सिपल और प्रेम दोनों प से शुरू
होते हैं पर दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर है। आपको भी दस बार सोचना चाहिए था कि
आप न केवल एक प्रेमिका पर हाथ उठा रहे हैं बल्कि एक प्रिन्सिपल पर भी हाथ उठा रहे हैं।
यूं प्रेमिका पर हाथ उठाना सरासर गलत था तिस पर वह प्रिन्सिपल है। आपने तो प्रेम
करने का अधिकार ही खो दिया। प्रेम के ये तौर-तरीके नहीं हुआ करते। आप पहले प्रेम
की कोचिंग लें। आप इश्क़ के आदाब से वाकिफ नहीं हैं। प्रेम तो सीखने का नाम है।
ज़िंदगी भर आप स्टूडेंट ही रहते हैं। आप एक आदर्श स्टूडेंट साबित नहीं हुए। प्रेम
की रीत यही, जो हारा सो जीत गया। प्रिन्सिपल महोदया ने पिट कर भी प्रेम के उदात्त भाव को
एक गरिमा प्रदान की है। आपने पीट कर अपनी मर्दानगी का नहीं बल्कि अपने पुरुषवाद का
वीभत्स प्रदर्शन किया है। पुरुष विनाश कर सकता है निर्माण नहीं। आपने एक बार फिर
साबित कर दिया है। आप क्षमा भी मांगे तो भी आपके अंदर जो पुरुष बैठा है वो कितना
हार गया है। आपको भान भी नहीं। भला प्रेमिका पर कौन हाथ उठाता है? प्रेम तो मार खाता है, मारता नहीं। प्रेम तो
देने का नाम है, समर्पण का नाम है। पिटने का नाम है, पीटने का नहीं। आप प्रेम में अभी बहुत कच्चे हैं या यूं कहिए आप प्रेम की
परीक्षा में बुरी तरह फेल हो गए हैं। वैसे मुझे लगता नहीं पुलिस आपको प्रेम की
अगली ऐसी किसी परीक्षा के लायक छोड़ेगी। मुझे पुलिस में पूरी आस्था है। मैं चाहूँगा
कि पुलिस भी अपने प्रगाड़ प्रेम का कुछ सेंपल आपको दिखाये और प्रमाणित कर दे कि जब
अपनी पर आए तो पुलिस से बेहतर प्रेम कोई नहीं कर सकता। आप जहां जिस-जिस
अंग-प्रत्यंग पर कहेंगे वे अपने प्रेम चिन्ह छोड़ेंगे। क्या कहते हैं उसे ‘लव
बाइट्स’ जिसकी सिकाई आप महीनों तक करने पर भी नहीं मिटा पाएंगे।
बेस्ट ऑफ लक फॉर नैक्सट
टाइम।
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