Ravi ki duniya

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Monday, January 6, 2025

व्यंग्य : देर से मिली रोटी तो दूल्हा बारात समेत भाग गया

                                       


                  

 

 

       मेरे भारत महान के एक सूबे में निक़ाह में रोटी देर से आने से दूल्हा बारात समेत भाग गया। देखिये ! लोग निक़ाह के लिए बेसबरे होते सुने होंगे आपने। पता नहीं दूल्हे समेत पूरी बारात ना जाने कब से फाके कर रही होगी कि निक़ाह का दावतनामा है, खूब खातिरदारी होगी। मगर ये देर तो जानलेवा साबित हुई। सब्र दूल्हे का भी और पूरी बारात का भी जवाब दे गया। सब सीधे-सीधे भाग खड़े हुए। बेचारे लड़की वाले देखते रह गए। क्या ऐसा भी होता है? अभी तक दान दहेज के लिए बारातें लौटती सुनीं थीं ये तो महज़ रोटी के लिए बारात वापिस चली गई। दूल्हे को दूल्हे राजा शायद इसीलिए कहा जाता है कि उसके नाज़-नखरे राजाओं जैसे होते हैं। उस एक दिन के लिए तो होते ही होंगे। सब उसका नाज़ नखरे उठा रहे होते हैं। वो अलग इठलाता घूमता है। एक दिन का राजा जो है। ससुराल में तो वो एक्स्ट्रा केयर की उम्मीद कर रहा होगा कि उसे पलकों-पलकों उठाए रहेंगे। मगर ये क्या रोटी जैसी चीज़ के लिए भी इंतज़ार करवाया जा रहा है वो भी इतनी देर कि सब का सब्र जवाब दे जाये। यूं देखा जाये तो बेचारे लड़की वाले को और हज़ार काम होते हैं। कैसे तैसे वो रोटी का इंतज़ाम कर रहा होगा। पता नहीं बारात कितनी बड़ी थी। कुछ भी हो यह कुछ ज्यादा ही कर दिया दूल्हे राजा ने। ये राजाओं के चलन नहीं। ना जाने कहाँ से इतने कब के भुक्खड़ लोग जमा थे।

 

          दूल्हे ने हो ना हो ये सोचा होगा कि जब यहाँ ही रोटी के लिए इतना तरसाया जा रहा है तो ना जाने शादी के बाद उसे खाना मिलेगा भी या नहीं ? बीवी खाना बनाया भी करेगी या नहीं ?  बनाएगी तो क्या टाइम पर मिल पाया करेगा? मुझे लगता है सब भूख से बिलबिला रहे होंगे जो इतना संगीन कदम उठाया।

 

        यह बात पूरी की पूरी तब समझ आ गई जब पता चला कि दूल्हा और बारात अपने घर नहीं लौटे बल्कि अपने एक रिश्तेदार के यहां चले गए और वहाँ अपनी एक रिश्तेदार से निक़ाह कर लिया। मुझे तो लगता है वो रिश्तेदार को कह कर गया होगा कि मैं अभी आता हूँ। जरा वहाँ की रस्म कर आऊँ। लगता है यहाँ रोटी ठंडी हो रही थी। इसका मतलब सब प्री- प्लान था। वरना रिश्तेदार के यहाँ इतनी तादाद में रोटी कैसे तैयार थी ? इसका मतलब शादी के बाकी इंतज़ामात भी तैयार थे। ये लोग किसी न किसी बहाने की तलाश कर रहे होंगे और मौका मिलते ही सब निकल भागे। मैंने सुना था आदमी जीता है तो रोटी के लिए मरता है तो रोटी के लिए। अब तो निकाह भी रोटी से लिंक हो गया है जैसे आजकल आधार कार्ड सिवाय सुलभ शौचालय के अलावा सबसे लिंक हो गया है। जल्द ही सुलभ शौचालय वाला भी कार्ड देख कर ही जाने देगा।

 

         यूं मेरे भारत महान में ये रिवाज रहा है कि आदमी सीधे-सीधे यह नहीं कहते कि उनको शादी करनी है बल्कि ये कहते सुने जाते हैं कि रोटी-पानी की बड़ी दिक्कत है। होटल में खा-खा कर या नौकरों के हाथ की रोटी खा- खा कर सारी सेहत बिगाड़ ली है। भारत में दुल्हन मुख्य: दो कारणों से लायी जाती है उसमें पहला तो यही रोटी का है दूसरा लड़के लोग को सीधा करने, लाइन पर लाने, बोले तो लड़के को सुधारने वास्ते। अब सोचो जिसे माँ-बाप नहीं सुधार पाये उसे दुल्हन सुधारेगी। सच तो ये है उस बेचारी की ज़िंदगी भी इसी में खज्जल होती है। अगला तो कभी-कभी कोई विरला ही सुधरता है। हमारे यहाँ शादी एक सुधारगृह की तरह ट्रीट की जाती है।

 

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