Ravi ki duniya

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Thursday, August 29, 2024

व्यंग्य: ऑफिस और दिल का दर्द

                                                     


                         विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि आजकल के ऑफिस दिल का दर्द दे रहे हैं। लोगों को ताबड़तोड़ दिल की बीमारी हो रही हैं। उनका कहना है कि सप्ताह में 60-60 घंटे काम करने से जवान लोगों को भी दिल की बीमारियाँ घेर रही हैं। मेरी खोज इससे अलग है। मेरी स्टडी कहती है कि आजकल के ऑफिस जो दिल का दर्द दे रहे हैं उनके कारण कुछ और ही हैं। ये जो आजकल के ऑफिस हैं ना असल में ये दर्द-ए-दिल के दफ्तर हैं।

 

दर्द-ए-दिल रोजगार है अपना

 

     उस से फुर्सत मिले तो दुनियाँ देखें अपने वर्क-स्टेशन की सुधि लें, हम भी कुछ काम-धंधा देखें।

 

           आजकल के लोग ऑफिस आराम और ऐश करने जाते हैं। मन लगता है। मन लगते-लगते न जाने कब में दिल लगा बैठते हैं। काम से नहीं बल्कि ऑफिस में काम कर रहे सहकर्मियों से। अब ये जो आजकल के ऑफिस कर्मी उर्फ देवदास हैं उनको बहुत सारे काम हैं। नए-नए ब्रांड के कपड़े खरीदने हैं अपने लिए और अपनी पारो के लिए भी। फिर पारो को ये भी दिखाना है कि वे दिल के ही नहीं खींसे के, बोले तो पर्स के भी अमीर हैं। भले घर में हर चीज़ ई.एम.आई. पर चल रही हो। । अपनी गर्लफ्रेंड को मूवी ले जाना है, बाहर फाइन-डाइन को जाना है। पिकनिक पर जाना है। डे आउट करना है। लॉन्ग ड्राइव पर जाना है। नन्ही सी जान कितने सारे काम हैं। अच्छे भले आदमी को दिल का दर्द होना लाजिमी है। अब आप यह तो कह नहीं सकते कि मेरे एक्स ने मुझ से धोखा किया है या फिर ये कि मैं अपनी लिव-इन के और नखरे नहीं उठा सकता। बजाय आप इसे अपने ऊपर लें आप डाल देते है ऑफिस पर, ऑफिस के काम के भार पर। जबकि आप भी जानते हैं कि यह भार किसी और ही चीज़ का है। ये कुछ और ही है जो आपने अपने दिल पर ले लिया है। दरअसल दर्द-ए-दिल की कोई ई.एम.आई. नहीं होती ये तो जब आता है एक साथ पूरा-पूरा उधार इंटरेस्ट समेत ऑन दी स्पॉट वसूल करता है।

 

            दोस्तो ! दिल में दर्द न हो इसके लिए बहुत ज़रूरी है कि आप चीजों को, काम को, बॉस को, दिल पर न लें। ऑफिस टाइम पर जाएँ टाइम पर छोड़ दें। ऑफिस ऑफिस है घर घर है दोनों के फर्क को पहचानें। ज्यादा खी-खी नहीं। आप वो सुने हैं कि नहीं आज जो होटल में खर्च को बचाओगे वो कल आपके और आपके अपनों के लिए हॉस्पिटल में काम आयेगा। आप जब तक जवान हैं आपको लगता है नई गाड़ी की तरह आपको सर्विसिंग की जरूरता नहीं। मगर एक बार गाड़ी गेराज जाने लगे तो फिर आए दिन जाने लगती है। बस इस बात को ध्यान में रखें। आदमी को यूं ही नहीं ‘इमोशनल-फूल’ कहा गया। वह बहुत जल्द बह जाता है और शीशा देख-देख ये मुगालता पाल लेता है कि उसी में कुछ बात है। भाई साहब ! जो आपकी किस्मत में वह आपके पास खुद चल कर आयेगा। अपना दिल संभाल कर रखें बोले तो बेशर्म बन जाएँ। दिल आपका। अस्पताल का बिल आपका और उसके बाद दुनियाँ भर की दवाइयाँ परहेज और टेस्ट वो भी आपके ही हैं। उन्हें देने आपके ऑफिस का साथी या बॉस नहीं जायेगा। दिल सलामत रहे दफ्तर बहुत मिल जाएँगे और दिलबर भी

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