Ravi ki duniya

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Sunday, August 4, 2024

व्यंग्य: लीक देखन मैं गया...

 

              लीक एक प्राकृतिक क्रिया है। इसमें कोई शर्म या लज्जा की बात नहीं है। कहते हैं ताज महल में भी बारिश की एक बूंद मुमताज़ की क़ब्र पर गिरती है। वो सात सौ साल पहले की बात है। अब साइंस ने तरक्की कर ली है। अब पानी बूंद-बूंद नहीं गिरता बल्कि धड़ल्ले से बादल फटने के माफिक गिरता है। यह हमारी भारतीय समृद्ध परंपरा का बेहतरीन उदाहरण है। हम सेकूलर हैं अतः पानी मंदिर में भी गिरता है, हवाई अड्डे पर भी गिरता है। चलती हुई रेल में भी गिरता है और खड़े हुए रेल स्टेशन में भी गिरता है। गिरे तो गिरते चले गए। जो लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं वे अनपढ़ हैं उन्होने कवि रहीम को पढ़ा ही नहीं है। पढ़ा है तो उसका मर्म नहीं समझते। रहीम बहुत पहले कह गए थे:

 

             रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून...

 

         बजाय शुक्रगुजार होने के हम उल्टा कभी सरकार को, कभी व्यवस्था को, कभी ठेकेदार को, कभी इंजीनियर को कोसते हैं। देखिये हम कंजूमर इकोनोमी में रह रहे हैं। पानी गिरता है तो छतरी, रेन-कोट, गम-बूट, की बिक्री होती है। ज्यादा बारिश होने पर नीली बाल्टी की खपत बढ़ती है, बढ़ती है कि नहीं ? दरअसल नीली बाल्टी और नीली ताड़-पतरी हमारे लेटेस्ट राष्ट्रीय सिम्बल हैं। घर-घर बाल्टी बिल्डिंग-बिल्डिंग ताड़-पतरी। बाल्टी बनाने वालों को, छतरी बनाने वालों और रेन कोट बनाने वालों को रोजगार मिल रहा है, मिल रहा है कि नहीं। बस आपको तो शिकायत करने से मतलब है। देखिये नए संसद हॉल में जो पानी गिर रहा है वो जानबूझ कर गिराया जा रहा है ताकि एम.पी. लोग आम आदमी की कठिनाई को जान सकें, अच्छे से महसूस कर सकें। इसी को अंग्रेजी में फर्स्ट हेंड नॉलेज कहते हैं। ये अज्ञानी विपक्ष वाले और यू ट्यूबर जानते तो हैं नहीं, लगे गाल बजाने। अरे भई ! ये हमारी सोची समझी स्ट्रेटेजी है। तुम क्या जानो ? ये टेक्नोलोजी की बातें हैं। तुम्हारी समझ से बाहर की बात है। 70 साल में पहली बार अमृत-काल में इसे हमने अपनाया है। ये हमारा एक प्रकार का रक्षा कवच है।


         पीछे कोचिंग सेंटर में पानी आ जाने से लोग थर्रा ही गए। अब समय आ गया है कि यू.पी.एस.सी. अपने सिलेबस में स्विमिंग, डिजास्टर मेनेजमेंट, फ़्लड एडमिनिस्ट्रेशन, संकट ग्रस्त स्थिति में कैसे बचा जाये। भारत में ट्रेनिंग से लेकर पोस्टिंग तक इसकी ज़रूरत रहनी ही रहनी है। और अब बात लेते हैं परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने के इशू को। लीकों का लीक, क्वेश्चन पेपर लीक है। क्वेश्चन पेपर लीक सभी लीकों का राजा है या रानी है। पेपर भले कोई सा हो, कहीं का हो, लीक होना ही होना है और फिर पूरी परीक्षा रद्द होनी ही होनी है। सो लीक से हटें नहीं। लीक हमारा इतिहास है। लीक हमारा वर्तमान है और लीक ही हमारा भविष्य है।

 

 

            

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