रूस खोलेगा सेक्स मंत्रालय
अब ये यूक्रेन की युद्ध विभीषिका है या 'एज इट इज' रूस में जन्म दर इतनी
घट गयी है कि रूस सैक्स मंत्रालय खोलने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
इसके अंतर्गत जो शुरुआत के रुझान आ रहे हैं उसके अनुसार रात दस बजे से दो बजे तक
इंटरनेट बंद कर दिया जाएगा और तो और पाॅवर सप्लाई भी बंद रखी जाएगी। बच्चू कब तक
बचोगे। इस दिशा में और भी जो कदम ज़रूरी होंगे उठाए जाएँगे। पर देखिए हम किस मुकाम
पर आन पहुंचे हैं।
चीन का पता नहीं पर हमारे यहाँ तो बच्चों
को भगवान की देन माना जाता है। एक वक़्त था कि जितने अधिक से अधिक बच्चे हों वह
व्यक्ति उतना ही भाग्यशाली माना जाता था। वो सशक्तिकरण का प्रतीक होता था। फिर ऐसी
निर्धनता छाई कि एक या दो बच्चे का आव्हान होने लगा। और अब होते-होते ये बात यहाँ
तक आन पहुंची है कि अव्वल तो शादी ही नहीं करनी है और करनी है तो बच्चे नहीं करने
हैं और बच्चा करना है तो बस एक ही काफी
है। लड़का हो या लड़की।
अब रूस शायद दुनियाँ में एक जागृति लाये। एक
बात और, हम भारत में जो इतने सारे हो गए हैं उनके रोजगार और खाने के वान्दे हैं। आगे
भी हुए ही जा रहे हैं। रोज़-रोज़ खूब शादियाँ हो रही हैं। शहर -शहर शहनाई बज रही हैं
इन्हीं घरों से साल से पहले किलकारियाँ सुनने को मिलेंगी। हमारे यहाँ तो स्कूल में
एडमिशन की किल्लत है। मकान की किल्लत है, पानी की किल्लत है। हम अभावों में जी रहे हैं। इसका क्या ? हमारे यहाँ तो पहले एक
परिवार नियोजन विभाग/मंत्रालय था फिर उसे कल्याण मंत्रालय नाम दे दिया। अब पता
नहीं वो किसका कल्याण करते हैं। रूस ऐसा क्यों नहीं करता कि हमारे देश से लोगों को
ले जाये। पले पलाये एडल्ट बोलो एडल्ट, टीनेज बोलो टीनेज सब तरह के मिल जाएँगे। हमारे यहाँ डाॅक्टर की और इंजीनीयर
बनने की बड़ी खुजली होती है वो आप दाखिला करा ही देना। आप तो इनकी फीस-वीस माफ करके
इन्हें प्रोत्साहन राशि दे दीजिये। ये सब शादी को भी राज़ी हो जाएँगे। हमारे भारत
के दूल्हे हों या दुल्हन बहुत डिमांड में रहते हैं। हम भगवान से डरने वाले लोग
हैं। आपके देश में ठंड वैसे ही पड़ती है। हिंदुस्तानियों को तो आपको कुछ कहने की भी
ज़रूरत नहीं है। वो तो काम पर लग जाएंगे। नौकरी में उनके प्रोमोशन से लिंक कर देना
और बच्चों की एजुकेशन आदि देख लेना। बस अपुन को और कुछ नहीं मांगता है। आपके यहाँ
तो सुना है ना दूध में मिलावट है ना मक्खन में। ना सब्जी में इंजेक्शन लगाने पड़ते
हैं ना ही चाय पत्ती या नकली शराब बनती है। वोदका ज़िंदाबाद।
आपके सैक्स मंत्रालय के लिए यह काम है कि वे
इस दिशा में सोचें। आपने अपने वालों को खूब इन्सेंटिव देकर देख लिया। नतीजा वही 'नियत' 'नियत' रहा है । आप हमारे
हिंदुस्तानियों को नहीं जानते हम अपने पूर्वजों का बहुत सम्मान करते हैं अतः हरदम 'दा' 'दा' ही मुंह से निकलना है
और इतने में ही आपकी पॉलिसी सफल हो जानी है।
तब तक के लिए दस्विदानिया !!
No comments:
Post a Comment