दीवाली हिंदुओं का प्रसिद्ध त्यौहार है किन्तु अब ये सभी हिंदुस्तानियों का एक लोकप्रिय त्यौहार हो गया है कारण कि हिंदुस्तान एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है. इस दिन सब लोग नए-नए डिजायनर्स कपडे पहनते हैं. कुछ लोग सजीले रेडीमेड कुर्ते पजामे भी पहनते हैं. दीवाली के एक महीने पहले से ही बाज़ार में भारी सेल लगती है. कुछ इसे क्लीयरेंस सेल भी कहते हैं बहुतों ने तो परमानेंट सेल के बोर्ड ही दुकानों में टंगवा दिए हैं. लोग सेल की चीज़ें खरीदने का वर्ष भर इंतज़ार करते हैं. कुछ व्यापारी तो सेल के चक्कर में अपनी मिल ही बंद करा देते हैं या दिवाला ही निकलवा लेते हैं. कमसेकम विज्ञापनों में तो वे ये ही बयान देते हैं. गृहणियां ये सुन कर द्रवित हो जाती हैं और ‘दया-भाव’ से कई कई साडियां खरीद लाती हैं.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है. दीवाली रिश्वत लेने और देने का ऑफिसियल त्यौहार है. आप किसी को भी बेखटके (जाहिर है जिस से काम अटका है ) ऑफिसियली रिश्वत दे सकते हैं शर्त ये है कि उसे दीवाली की गिफ्ट कहा जाये. लोग हीरों के सैट से लेकर कार तक गिफ्ट देने लगे हैं. अब कार बेकार व्यक्ति को तो दी नहीं जायेगी. आप दिल खोल कर और बिना अपने ज़मीर पर (यदि बाकी है तो ) खरोंच लगे दीवाली पर रिश्वत .. सॉरी .. गिफ्ट ले-दे सकते हैं. बस देने वाले को थेंक यू भर कह दें. बाकी सब वह आपके थेंक यू कहने के अंदाज़ से ही समझ जायेगा. पहले दीवाली पर खील बताशे और शक्कर के हाथी-घोड़े दिए जाते थे. अब ऐसा नहीं है. डायबिटीज़ का ज़माना है.इसलिए मिठाई भी नहीं चलती. अतः कमसेकम ड्राई फ्रूट तो चाहिए.
यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जगह जगह किटी पार्टी होती हैं. जम कर ताश खेली जाती है और बड़े बड़े होटल फैशन शो आयोजित करते हैं. घरों को खूब सजाया जाता है. लाइटिंग की जाती है. जोर जोर से म्यूजिक बजाया जाता है. बच्चे और बच्चे जैसे लोग पटाखे और बम भी फोड़ते हैं. लेकिन इधर आतंकवाद के चलते अक्सर ही बम फूटते रहते हैं. दीवाली से आतंकवादियों ने अच्छी प्रेरणा ली है. शहर में खूब प्रदूषण फैलता है. जिससे मच्छर बिना डॉक्टरी सहायता के परलोक सिधार जाते हैं और मनुष्य बीमार हो जाते हैं. इन दिनों डॉक्टरों के क्लिनिक पर खूब भीड़-भाड रहती है. दीवाली के बाद इनकी दीवाली मनती है.
इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी का पूजन भी होता है. वैसे तो हमारे देश में अब लक्ष्मी जी की बारहों महीने चौबीसों घंटे पूजा की जाती है और लोग अपना मान-सम्मान, ईमान सब लक्ष्मी जी पर चढाने को तत्पर रहते हैं. हमारे देश में इनकी इतनी पूजा होने लगी है कि अन्य देवियाँ ईर्ष्याग्रस्त हो गयीं हैं और उनके पूजक अपने भाग्य को कोसते रहते हैं. देखने में आया है कि कुछ लोग तो अपने घरों को इसलिए रोशन करते हैं और रात भर दरवाजा खुला रखते हैं कि कहीं लक्ष्मी जी उनके घर का रूट न भटक जाएँ. मगर यह भी देखने में आया है कि अक्सर इस चक्कर में घरवाले चोर-डकैतों के सौजन्य से,अपनी बची-खुची लक्ष्मी से भी हाथ धो बैठते हैं.
दीवाली पर लोग शराब भी पीते हैं. सब अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक़ ब्रांड पीते हैं. महँगी स्कॉच से लेकर सस्ती छिपकली ब्रांड अर्क भी. इसके बड़े फायदे हैं. ये जहरीली शराब पीकर काफी संख्या में लोग अपना बलिदान देते हैं. इसके दोहरे लाभ हैं. एक तो ये सभी तरह के आवागमन के चक्र से मुक्ति पा जाते हैं. दूसरे वे देश की जनसँख्या कम कर पुण्य के भागीदार बनते हैं. जो बच रहते हैं वे अंधे हो जाते हैं. उन्हें बुरा देखने से मुक्ति मिल जाती है. वैसे भी इस नश्वर जगत में फिर और बच ही क्या रह जाता है देखने को.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है. मैं क्योंकि धर्म-निरपेक्ष हूँ. अतः मैं इफ्तार की दावत भी उड़ाता हूँ. खासकर अगर यह किसी बड़े नेता के घर पर हो जिसमें तरह तरह के पकवान हों. वी.आई.पी. गैस्ट, फिल्म स्टार्स और फोटोग्राफर्स भी आये हों. मेरी तरह वहां और भी धर्म निरपेक्ष लोग आते हैं जो रोज़े तो रखते नहीं और इफ्तारी छोड़ते नहीं. इसके चलते मेरा पी.आर. इन दिनों अच्छा हो चला है. दीवाली पर हम ‘फ्री होम डिलीवरी’ पिजा मंगा कर खाते हैं. ‘बाई वन, गेट वन फ्री’ स्कीम में.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है. दीवाली रिश्वत लेने और देने का ऑफिसियल त्यौहार है. आप किसी को भी बेखटके (जाहिर है जिस से काम अटका है ) ऑफिसियली रिश्वत दे सकते हैं शर्त ये है कि उसे दीवाली की गिफ्ट कहा जाये. लोग हीरों के सैट से लेकर कार तक गिफ्ट देने लगे हैं. अब कार बेकार व्यक्ति को तो दी नहीं जायेगी. आप दिल खोल कर और बिना अपने ज़मीर पर (यदि बाकी है तो ) खरोंच लगे दीवाली पर रिश्वत .. सॉरी .. गिफ्ट ले-दे सकते हैं. बस देने वाले को थेंक यू भर कह दें. बाकी सब वह आपके थेंक यू कहने के अंदाज़ से ही समझ जायेगा. पहले दीवाली पर खील बताशे और शक्कर के हाथी-घोड़े दिए जाते थे. अब ऐसा नहीं है. डायबिटीज़ का ज़माना है.इसलिए मिठाई भी नहीं चलती. अतः कमसेकम ड्राई फ्रूट तो चाहिए.
यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जगह जगह किटी पार्टी होती हैं. जम कर ताश खेली जाती है और बड़े बड़े होटल फैशन शो आयोजित करते हैं. घरों को खूब सजाया जाता है. लाइटिंग की जाती है. जोर जोर से म्यूजिक बजाया जाता है. बच्चे और बच्चे जैसे लोग पटाखे और बम भी फोड़ते हैं. लेकिन इधर आतंकवाद के चलते अक्सर ही बम फूटते रहते हैं. दीवाली से आतंकवादियों ने अच्छी प्रेरणा ली है. शहर में खूब प्रदूषण फैलता है. जिससे मच्छर बिना डॉक्टरी सहायता के परलोक सिधार जाते हैं और मनुष्य बीमार हो जाते हैं. इन दिनों डॉक्टरों के क्लिनिक पर खूब भीड़-भाड रहती है. दीवाली के बाद इनकी दीवाली मनती है.
इस दिन धन की देवी लक्ष्मी जी का पूजन भी होता है. वैसे तो हमारे देश में अब लक्ष्मी जी की बारहों महीने चौबीसों घंटे पूजा की जाती है और लोग अपना मान-सम्मान, ईमान सब लक्ष्मी जी पर चढाने को तत्पर रहते हैं. हमारे देश में इनकी इतनी पूजा होने लगी है कि अन्य देवियाँ ईर्ष्याग्रस्त हो गयीं हैं और उनके पूजक अपने भाग्य को कोसते रहते हैं. देखने में आया है कि कुछ लोग तो अपने घरों को इसलिए रोशन करते हैं और रात भर दरवाजा खुला रखते हैं कि कहीं लक्ष्मी जी उनके घर का रूट न भटक जाएँ. मगर यह भी देखने में आया है कि अक्सर इस चक्कर में घरवाले चोर-डकैतों के सौजन्य से,अपनी बची-खुची लक्ष्मी से भी हाथ धो बैठते हैं.
दीवाली पर लोग शराब भी पीते हैं. सब अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक़ ब्रांड पीते हैं. महँगी स्कॉच से लेकर सस्ती छिपकली ब्रांड अर्क भी. इसके बड़े फायदे हैं. ये जहरीली शराब पीकर काफी संख्या में लोग अपना बलिदान देते हैं. इसके दोहरे लाभ हैं. एक तो ये सभी तरह के आवागमन के चक्र से मुक्ति पा जाते हैं. दूसरे वे देश की जनसँख्या कम कर पुण्य के भागीदार बनते हैं. जो बच रहते हैं वे अंधे हो जाते हैं. उन्हें बुरा देखने से मुक्ति मिल जाती है. वैसे भी इस नश्वर जगत में फिर और बच ही क्या रह जाता है देखने को.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है. मैं क्योंकि धर्म-निरपेक्ष हूँ. अतः मैं इफ्तार की दावत भी उड़ाता हूँ. खासकर अगर यह किसी बड़े नेता के घर पर हो जिसमें तरह तरह के पकवान हों. वी.आई.पी. गैस्ट, फिल्म स्टार्स और फोटोग्राफर्स भी आये हों. मेरी तरह वहां और भी धर्म निरपेक्ष लोग आते हैं जो रोज़े तो रखते नहीं और इफ्तारी छोड़ते नहीं. इसके चलते मेरा पी.आर. इन दिनों अच्छा हो चला है. दीवाली पर हम ‘फ्री होम डिलीवरी’ पिजा मंगा कर खाते हैं. ‘बाई वन, गेट वन फ्री’ स्कीम में.
दीवाली मेरा प्रिय त्यौहार है.
izzat se be izzati..........
ReplyDeletethe best essay ever seen
ReplyDeleteright
Deletea nice essay
ReplyDeleteI meant best essay ever read....
ReplyDeletethank u fr helping in projects
ReplyDeletenice one. it helped me in speech
ReplyDeleteBest of all it helped me in exams
ReplyDeleteek number
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