मेरी पहली रेल यात्रा जैसे पिटे पिटाए विषयों पर आपने बहुत से निबंध स्कूल में पढ़े लिखे होंगे. मगर ये अनूठी यात्रा विदेश में पले बढे मंत्री जी की है जो कि बस नाम के ही इंडियन हैं. वो निकटतम एअरपोर्ट तक बाई एयर गए. जहाँ बूके और बूफे का शानदार इंतज़ाम था. उन्हें पता न था, चमचा लोग बूके और बूफे दोनों दिल्ली के फाइव स्टार से साथ ही ले गए थे. प्रेस कान्फरेंस की गयी कि कैसे इस स्टेट को डवलप करना उनकी प्रियारिटी है आदि आदि. वहां से वे कसबे के लिए हेलिकोप्टर से आये. जहाँ कलेक्टर ने उन्हें बहुत सी स्टेटिक्स बताई कि कैसे वहां दशमलव के तीन स्थानों तक लोग गरीबी रेखा से ऊपर आये हैं. गाँव में जल-निकास सिस्टम फ़्रांस की तर्ज़ पर लगाने की प्रोजेक्ट रिपोर्ट फाइनल स्टेज पर है. वो बात अलग है कि अभी जल सप्लाई की समस्या है. इलिट्रेसी के चलते फूहढ गाँव वाले पेयजल और पशुओं के नहाने के जल में डिफ़रेंस ही नहीं कर पाते हैं. इसलिए अगले बरस अमरीकी संयत्र से इन्हें मिनरल वाटर दिया जायेगा. घड़े-कलसे के बजाय बड़े बड़े जार में देने की महत्वकांक्षी योजना को पिछले माह ही कैबिनेट की स्वीकृति मिली है. अब सारी परेशानी बिजली की है. एक बार जापान से बिजली आते ही गाँव जगमग-जगमग हो जायेगा.गाँव वाले केबल टी.वी., जीरो इंटरेस्ट पर लोन ले कर फ्रिज, माइक्रोवेव, म्यूजिक सिस्टम लेने वाले हैं. देखते देखते इलेक्ट्रोनिक आइटम की बड़ी मार्केट यहाँ खड़ी हो जायेगी. ‘बाई वन गेट वन फ्री’ के अंतर्गत हर जगह वाकमैन, कम्पयूटर, डी.वी.डी. चल निकलेंगे. मंत्री जी प्रगति से संतुष्ट दिखे. उन्होंने कलेक्टर को कहा “वैल डन”. कलेक्टर गदगद हुआ और अपनी अगली पोस्टिंग राजधानी में किसी अच्छे विभाग में कराने की जुगत में भिड गया.
मंत्री गाँव पहुँचे. बहुत चहल पहल थी. सब लोग हाथ जोड़े खड़े थे. आशा भरी नज़रों से मंत्री जी को,उनकी कारों के काफिले को,उनके जूते, उनकी घड़ी को देख रहे थे. मंत्री जी ए.सी. में से उतरे थे. पसीने से तार-बतर रुमाल गीले हो रहे थे. उन्होंने “यंग लेडीज” से मुखातिब होते हुए कहा “ अब तुमको वाटर प्रॉब्लम तो नहीं “ वो पागलों की तरह एक-दूसरे का मुंह ताकते हुए ही-ही करने लगीं. मंत्री जी ने फिर पूछा “ पानी का समसिया तो नहीं” वो बोली “ नहीं दस कोस पर नदी है वहां से लाती हैं. नहीं तो गाँव के तालाब से ले आती हैं. इसमें एक ही परेशानी है कि गाँव में लोगों को आत्महत्या करनी हो या गाय-भैंस का नहाना हो, दोनों को एक ही तालाब है “
मंत्री जी ने सेक्रेटरी को इशारा किया, उसने तुरंत नोट कर लिया कि एक वाटर पौंड होना चाहिए. मंत्री जी मन ही मन सोचने लगे कि ये लोग एक्वागार्ड क्यों नहीं इस्तेमाल करते. उन्हें अचानक याद आया कि गाँव में बिजली नहीं है. उन्होंने सोचा चलो किसी मल्टी-नेशनल को ‘स्टेट ऑफ आर्ट’ का पौंड बनाने का टर्न की प्रोजेक्ट दे दिया जायेगा
मंत्री जी ने फिर पूछा, तुम लोग प्रोटीन रिच फ़ूड लेते हो ? बेलेंस डायट बहुत इम्पोर्टेंट है .वे बोली , साहब अभी तो पुदीने की चटनी भी हफ्ते में एक बार लेते हैं. हम तो अधिकतर मिर्ची और नमक से ही खाते हैं. सुनते ही मंत्री जी बोले “ नहीं नहीं, हम स्टार्टर की बात नहीं कर रहे हैं “ लोकल एम्.एल.ए. ने उन्हें समझाया साब ! ये मेन कोर्स ही बता रही हैं. ओ . . ओ ये सब वेट कांशस हैं, ब्रावो ! आई एम् इम्प्रेस्ड. उन्होंने फिर पूछा मिर्ची हरा वाले खाते या रैड ? जवाब आया लाल मिर्च. ये प्यूरी या पेस्ट क्यों नहीं लेते. सेक्रेटरी नोट करो. कितना मैन आवर्स चटनी बनाने में वेस्ट होता है. वीक एंड पर पिजा, नूडल्स और हॉट डॉग के कंजम्शन की क्या फिगर है ? उन्हें बाते गया कि उनका फास्ट फ़ूड तो सत्तू है. वो तिलमिलाए ओह हाऊ अनहाईजीनिक ! कंट्री इज गोइंग तो डॉग्स” ये सब अपना प्रेशियस टाइम इसी में वेस्ट करते हैं. हाउ द हैल दे कैन प्रोग्रेस” उनका मूड ऑफ हो गया. वे राजधानी की और लौट आये.
अगले दिन अखबारों में फ्रंट पेज पर उनके फोटो थे. किसी में गाँव वालों से हार-माला पहनते हुए. किसी में गंदे ग्रामीण बालक को गोद में उठाये हुए. उन्होंने आधा दर्जन परियोजनाओं का उद्घाटन किया. एक दर्जन नयी योजनाओं की घोषणा की. अख़बारों के संपादकीयों में लिखा था – कैसे उन्होंने गाँव वालों को हैल्थ इज वेल्थ, एड्स, इन्टरनेट, ग्लोब्लाईजेशन, इंटरनेशनल टेरररिज्म और सार्स के बारे में बताया. वो गाँव की हालत देख कर बहुत मूव हुए और उन्होंने गाँव को एडौप्ट ही कर लिया .
उधर गाँव वाले बहुत खुश थे. देर रात तक गाते-बजाते रहे. महीनों इस बात की चर्चा होती रही. सभा में आने के लिए सभी को पांच पांच रुपये मिले थे. महिलाओं को एक रंग-बिरंगी ओढनी मुफ्त में मिली थी. जिन लोगों को स्वागत गान गाना था और फूल माला पहनानी थी वे लोग तो और भी खुश थे. कारण उन्हें एक एक खुशबू वाला साबुन भी फ्री मिला था. वो भी विदेशी साबुन. टूर बहुत ही सक्सेस गया था.
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