अभी पिछले दिनों ८ जून को क्या दिन था. मंगलवार,शुक्रवार,नहीं बल्कि क्या महत्वपूर्ण था यह बताएं. नहीं पता. भाई साहब ८ जून को ‘फ्रेंडशिप डे’ था फिर जुलाई ‘डॉक्टर्स डे’ था. मेरा भारत महान कितनी तरक्की कर गया है, आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते. कहते हैं हिंदू धर्म में तेंतीस करोड़ देवी-देवता हैं. अतः रोजाना कोई न कोई पूजा,त्यौहार,व्रत होता है. इसी तर्ज़ पर साल के ३६५ दिन के ३६५ दिन अब कोई न कोई ‘डे’ हुआ करेगा. बाज़ार ऐसे ही चलेगा.ऐसे में बताइए तीन नेशनल होली डे का क्या अर्थ रह गया जबकि इंटरनेशनल होली डे ज्यादा धूमधाम से मनाये जाने लगे हैं. अभी तो हमारे पास केवल वेलेंटाइन डे इम्पोर्ट हो कर आया है और हमने उसे दिलोजान से अपना लिया है. बिलकुल उसी तरह जैसे हमने इतने सारे चैनल अपना लिए,पिज्जा अपना लिया, आई लव यू, हैव फन और ओह शिट अपना लिया है. मेरा भारत महान महान कोई ऐसे ही थोड़े बन गया है. गाँधी जयंती ? व्हाट ‘गेंडी जेंटी’, व्हाट इज दैट ? ओह कम ऑन. हाउ वैरी ओल्ड फैशन. किसी फाइव स्टार होटल में फादर्स डे होना चाहिए और फिर एक फैशन शो या ब्यूटी कंटेस्ट होना चाहिए. बाल दिवस ? वो क्या होता है ? इसे चेंज करो. लेट्स हेव ‘डिस्को डे’ राखी ? व्हाट राखी ? आज से हम सिस्टर्स डे मनाएंगे. नो नारियल,स्वीट्स,रोली टीका. सिस्टर लोग को महंगा कार्ड देना मांगता है. फिर सिस भैया लोग की कलाई पर बैंड बंधना मांगता है. हाउ स्वीट. सो भैय्या अब रक्षा बंधन भूल जाओ. भारत इक्कीसवीं सदी में में कोई पैदल नहीं गया है बलिक फास्ट इम्पोर्टड कर में गया है. इसलिए तो पलक झपकते ही इतना दूर निकल गया है कि डर है कहीं जल्दी ही बाईसवीं या चौबीसवीं में न घुस जाये. ब्रेक फेल हैं.
वेलेंटाइन डे के अलावा अब मल्टी नेशनल कंपनियों के चक्कर में हैं कि कैसे इस जाहिल हिंदुस्तानियों को करवा चौथ की जगह हसबेंड डे मनाने को मजबूर किया जाये. नो फास्ट प्लीज. फास्ट से बाज़ार नहीं चला करते. उस दिन वाइफ तथा वुड बी वाइफ लोग किचन में नहीं जायेंगी. घर की बनाई कोई चीज नहीं खायी-पी जायेगी. इससे पाप लगेगा. यू नो सिन. बल्कि फास्ट है इसलिए सब बाहर फास्ट फ़ूड खायेंगे.जो महिलाएं हसबेंड डे नहीं मनाएंगी उन्हें कैसे धिक्कारा जाये, इस पर रिसर्च चल रही है. क्विज,टी.वी.चर्चा,फेट, जैम सैशन, रेन डांस, कृत्रिम बर्फ खेल आयोजित किये जायेंगे और यदि आप वहां नहीं जायेंगे तो समझिए कि आप बेकार बेकाम के हसबेंड हैं या यूँ कहिये आपको सरे आम बे-इज्ज़त कर कहा जायेगा कि आप हसबेंड होना डिजर्व ही नहीं करते. आपको हसबेंड किसने बनाया.छोडिये ऐसे हसबेंड को और नया ‘कन्वरटी’ हसबेंड ले आइये.
मल्टी-नेशनल कंपनियों को मैं आमंत्रित करना चाहूँगा कि मेरे सौ करोड़ की आबादी वाले देश में फर्स्ट फेज में कम से कम सौ दिन तो ऐसे चला ही दें. सेकेण्ड फेज में दूसरे सौ दिन और तीसरे तथा अंतिम फेज में इन सभी सौ करोड़ को नानी याद दिला दी जाये.इस पर याद आया कि एक नानी या अंग्रेजी में कहें तो ग्रानी डे जरूर होना चाहिए. तो पहले फैमिली से शुरू करते हैं. फादर्स डे, मदर्स डे, ग्रांड पा डे, ग्रांड माँ डे, अंकल डे, आंटी डे, नैफ्यु डे, नीस डे, डॉटर डे, सन डे, स्टेप फादर डे, स्टेप मदर डे, स्टेप सन डे, और जबकि फॉस्टर सन डॉटर चलने लगे हैं तो जाहिर है फॉस्टर सन डे, फॉस्टर डॉटर
डे भी मनाया जाना चाहिए. ऐसे में आप रामू काका और कमला बाई को कहाँ भूले जा रहे हैं. अतः सर्वेंट डे, आया डे, सेक्रेटरी डे, बॉस डे, ऑफिसर डे, क्लर्क डे, टीचर डे, टीचर्स में भी फिर नर्सरी, प्राइमरी, सेकेंडरी, कॉलेजे के टीचर्स के लिए अलग अलग दिन निर्धारित होंगे और ट्यूशन वाले टीचर के लिए एक्सक्लुजिव ट्यूटर डे .
लायर्स डे, दूध वाले छोकरे का डे, सब्जी वाले भय्या का डे, आइसक्रीम वाले अंकल का डे, पडोसी दिवस जिस दिन सब अपने-अपने पड़ोसियों को लंच किसी मल्टी-नेशनल रेस्टौरेंट में कराएँगे. बदले में पडोसी उन्हें डिनर किसी और मल्टी-नेशनल रेस्तरां में कराएँ तथा महंगे-महंगे विदेशी उपहार और कार्ड लिए दिए जायेंगे. नो देसी प्लीज. इंडियन गुड्स तो रेड इंडियन की तरह लुप्त प्रजाति हैं. अब जबकि हर साल भारत की ही ब्यूटी क्वीन मिस वर्ल्ड बन रही हैं. अतः ब्यूटी डे भी मनाया जायेगा. कैसा सुखद आश्चर्य और संयोग है कि इधर मल्टी-नेशनल हिंदुस्तान में घुसी उधर उन्होंने देखा-परखा और विश्व में मुनादी करा दी कि अगले कुछ बरसों तक जब तक बाज़ार अच्छी तरह सेट न हो जाये सभी विश्व सुंदरियाँ भारत से ही आयात की जाएँ. भारतीय सुंदरियां और सौंदर्य प्रतियोगिताओ के आयोजक ये कहते नहीं थकते कि ऐसा नहीं है. सौ करोड़ की ऐसी मार्केट पृथ्वी पर और कहीं उपलब्ध नहीं है.१९८० के बाद की पैदावार ये बालाएं वाकई हैं ही इतनी सुन्दर कि सभी विश्व सुंदरी बनाई जाने लायक हैं और बनाई भी जाएँगी बशर्ते वे हमारे शीतल पेय, साबुन,सौंदर्य प्रसाधन और ड्रेस इस्तेमाल के विज्ञापन करती रहें.हमारे टी.वी. प्रोग्राम चलाती रहें डोंट वरी, एक ब्यूटी पार्लर डे भी होगा. आंटी डे, माली बाबा डे, पुलिस ताऊ डे, फादर-इन-ला, मदर-इन-ला, ब्रदर-इन-ला तथा सिस्टर-इन-ला डे भी मनाया जाये, नहीं तो ससुराल वाले बुरा मान जायेंगे, नहीं तो वाइफ लोग बुरा मान जाएँगी और वो भी न बुरा मानी तो हमने जिन देशों से कर्जा ले रखा है वो बुरा मान जायेंगे और वो बुरा मान गए तो बच्चू आपको फन पार्क में चुल्लू भर पानी में डुबो कर मार देंगे. न्यू ईयर डे, बर्थ डे, होली,दीवाली, ईद आदि तो पुराने पड़ गए हैं. इसलिए अब कलर्स डे,(होली) लाइट्स एंड बम्ब डे (दीवाली), हग ईच अदर डे (ईद) आदि मनाया जाये. एन्वायरनमेंट डे, एड्स डे, ब्लड डोनेशन डे तो हैं ही अब हार्ट,आईज डे तथा गुर्दा डे भी मनाया जायेगा.
पाठकों से अनुरोध है कि और अधिक से अधिक सुझाव भेजें ताकि मेरा भारत महान और ढेर सारे “ डे “ मनाये कि इसकी “नाईट” खत्म हो और यह जाग जाये. आखिर ११९४७ से सो रहा है, क्या अभी नींद पूरी हुई.
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