खबर आई है कि एक सिपाही तीन हज़ार की
घूस लेता हुआ दिखा। अब यह डेफ़िनिट चिंता का विषय है। आजकल तीन हज़ार की घूस कौन
लेता है ? वह भी पुलिस ! नहीं.. नहीं.. कह दो कि ये झूठ है। इस सिपाही की जितनी भी
लानत-मलामत की जाये कम है। ये ऐसे ही सिपाही हैं जिसने पुलिस के मुक़द्दस ख़िदमतगार
चरित्र को बदनामी दिलाई है। इस सिपाही को फौरन से पेश्तर ट्रेनिंग को भेजा जाये।
जहां पहले तो उसको करेंसी के और वर्तमान रेट लिस्ट से बावस्ता कराया जाये।
अब ऐसी भी क्या मजबूरी रही होगी कि एक
सिपाही को फक़त तीन हज़ार बतौर रिश्वत लेने पड़ गए। यह ज्याद्ति है। भला कोई तीन
हज़ार भी रिश्वत लेता है। वो भी सिपाही। एक बात है ! लेता तो लेता, मगर उसका वीडियो पर
दिखाना गजब हो गया। यह तो बात पब्लिक हो गई। ये सिपाही ट्रेनी था या कि फिर नया
नया था। भला ऐसा भी क्या काम रहा होगा। जिसका सुविधा शुल्क मात्र तीन हज़ार रहा
होगा। बहुत मुमकिन है ये महज़ एडवांस हो। बोले तो टोकन मनी। यह सिपाही दौरे-हाजिर
से कितना बेखबर है इसने अखबार पढ़े ही नहीं हैं। आजकल सरकार में जब भी स्कैम होते
हैं, गबन होते हैं ये
हजारों करोड़ के होते हैं। इंडिविजुअल केस में इस अनुपात में ये रकम करोड़ों नहीं तो
लाखों में तो बनती ही बनती हैं। ये क्या तीन हज़ार ? किसी को बताते हुए भी
शर्म आएगी। मुझे पक्का है कि इस सिपाही को इसके बीवी बच्चों ने अलग कोसा होगा
“पापा ये क्या कर दिया ! हम कॉलोनी में कैसे मुंह दिखाएंगे? लोग क्या कहेंगे ? मुझे तो स्कूल में
चिढ़ाएंगे ?" बीवी की अलग जग-हँसाई
होगी किटी पार्टी में। हो सकता है अब किटी पार्टी में उसे बुलाना भी बंद कर दिया
जाये " बहन ! तुम मोहल्ले में कमेटी डाला करो ये किटी पार्टी तुम्हारे लिए
नहीं" इस सिपाही ने तो नाक ही कटा दी है।
अब वक़्त है कि डैमेज कंट्रोल किया
जाये। इसे कहा जा सकता है कि यह तो फलां चीज़ का शुल्क था और इसके लिए बाकायदा रसीद
जारी की गई है। इस बीच किसी भी ऊटपटाँग चीज की रसीद दिखा दी जाये। बात खत्म नहीं
भी होगी तो इसमें शक का बीज तो पड़ ही जाएगा, फिर जितने मुंह उतनी
बात। बात आई गई हो जाएगी। इस पुलिस के सिपाही को कायदे से ट्रेनिंग की ज़रूरत है।
उसे सब नफा-नुकसान बताया जाये। छवि की बात बताई जाये। छवि बहुत ज़रूरी होती है।
आपकी रेपुटेशन ही तो सब-कुछ है। उसे मात्र तीन हज़ार के लिए दांव पर नहीं रखा जा
सकता। रसीद देना संभव ना हो तो उसे रिफ़ंड कर दिया जाये बात खत्म या इस सिपाही को
ही डिसओन कर दिया जाये। ये सिपाही था ही नहीं, कोई चीप बहरुपिया था।
इंटेरनेशनल फ़लक पर इस बात का बहुत
एडवर्स प्रभाव पड़ता है। क्या छवि बनती है भारत की। खासकर भारत की पुलिस की। यह
चिंदी चोर वाले काम हमें नहीं करने हैं। हम विश्वगुरु हैं। यह हमें शोभा नहीं
देता।
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