हम लोग बहुत जुमला पसंद हैं। उसे हम कभी नारा बोलते हैं कभी वार-क्राई कभी आव्हान। इन नारों ने पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को उद्वेलित किया है। प्रेरित किया है। अंग्रेज़ो भारत छोड़ो, दिल्ली चलो, जय हिन्द, हर हर महादेव, आराम हराम है, जय जवान जय किसान, गरीबी हटाओ आदि से हमारा इतिहास भरा पड़ा है। इसी श्रंखला में अब लेटेस्ट है वन नेशन और आगे आप जिसे भी तरजीह देना चाहें वो लिख मारें। जैसे वन नेशन-वन पार्टी, वन नेशन-वन इलेक्शन, वन पार्टी-वन बैंक, वन पार्टी-वन स्टील, वन नेशन-वन एयरपोर्ट, वन नेशन-नो एयर लाइंस, वन नेशन-नो जॉब्स।
इसी सीरीज़ में हम लाये हैं वन नेशन-वन चोर। ये क्या कि नेशन एक है मगर अब तक चोर एक नहीं हो पाये हैं। चोर चारों ओर बिखरे पड़े हैं। इससे उनकी ताकत बँट गई है। उनमें एकता का अभाव है। वे एक झंडे तले इकट्ठे नहीं हो पा रहे हैं। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नाम की कोई चीज ही नहीं है। कोई जाली करेंसी में लगा पड़ा है, कोई पाॅकेटमारी में तो कोई उठाईगीरी में। इससे उनमें 'सिनर्जी' नहीं आ पा रही। वे अपने सही पोटेंशियल को नहीं पहुँच पा रहे।
कितने ही फील्ड्स में अब कॉर्पोरेट कल्चर आ गई है जबकि ये चोरी चकारी का सेक्टर अब भी वही पुरानी दक़ियानूसी तरीकों में लिप्त है। ग्रो-अप। ये चंबल के जंगल का ज़माना नहीं। सब काम ऑन लाइन है। हम डिजिटल किसलिए हुए हैं ? हम डिजिटल हुए हैं ताकि आप लोग अब अपहरण, किडनेपिंग ना करें बल्कि डिज़िटल अरेस्ट करें। पलक झपकते ही बैंक के खाते के खाते साफ कर दें। अब आपको ये चक्कू, तमंचा नहीं दिखाना है, बस माउस का एक क्लिक दबाना है और काम हो गया। इतनी 'ईज़ ऑफ डूइंग बिजनिस' कभी थी ही नहीं। वक़्त आ गया है कि आप एक अपना फैडरेशन ऑफ चैम्बर ऑफ चोरी चकारी का विशेष अधिवेशन बुला धन्यवाद प्रस्ताव पास करें।
सरकार हमारा कितना ख्याल रखती है। हमें लेटेस्ट तकनीक में पीछे नहीं रखना चाहती। "जाॅनी हम गहना नहीं चुराते ! हम पूरा का पूरा लॉकर ही उड़ा देते हैं"। हम बिना ओ.टी.पी. भेजे आपको साइबर थाने की ओर दौड़ा देते हैं। डॉक्टर नकली, वकील नकली, अब नकली पुलिस नहीं होती वो पुराने समय की बात है। अब तो पूरा का पूरा थाना ही नकली है। थाने की क्या बात की ? अदालत भी फर्जी है। बैंक की ब्रांच फर्जी है। कहाँ तक गिनाऊँ।
इन सब बातों के चलते इस बात पर गंभीरता से गौर करने की ज़रूरत है कि अब वन नेशन-वन चोर को क़ानूनी रूप दे दिया जाये ताकि रिसोर्स जाया ना हों और एक दिशा में काम आ सकें। यदि देश का टार्गेट फाइव ट्रिलियन इकाॅनमी है तो हमें भी तो अपना टार्गेट फिक्स करना है। अपना मिशन स्टेटमेंट जारी करना है। फुल काॅरपोरेट स्टाइल में काम करना है। हमें हर हालत में वन नेशन-वन चोर को सफल करके दिखाना है, चाहे इसके लिए ये छोटे मोटे ऑपरेटर्स को समाप्त करना पड़े। भई हाथी के पाँव में सबका पाँव। वन नेशन-वन गेंग, वन नेशन-वन गेम, वन नेशन-वन ड्रिंक, वन नेशन-वन रेल, अतः हमारी मांग है कि वन नेशन-वन चोर को फौरन लागू किया जाये और हाँ इस बिल को किसी कमेटी फ़मेटी में भेजने की ज़रूरत नहीं है। बस ध्वनि मत से पास करा लिया जाये। अरे कोई मुझे दही-चीनी खिलाओ भई !
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