एक नेता जी ने कहा है कि शहीदे-आज़म भगत सिंह को भारत रत्न दिया जाये। अब उनको कौन बताए कि जो खुद ही भारत रत्न है उनको भारत रत्न नहीं दिया जाता। उनको लगा इससे उनको वाह-वाही मिलेगी। उनके वोटर्स उनको और बड़ी तादाद में वोट देंगे और वो लोकप्रिय हो जाएँगे। भारत वीरों की भूमि रही है। भारत का हर वीर एक रत्न है। यहाँ भारत रत्न का हकदार कौन नहीं? क्या आप राजा पुरू को नकार सकते हैं। क्या आप कबीर, सूरदास और तुलसीदास को इंकार कर देंगे।
हमारे दादासाहब फाल्के क्यों नहीं ? डॉ कोटनिस को क्यूँ नहीं? भारत रत्न यशस्वी प्रधानमंत्री जी को क्यों नहीं? संत ज्ञानेश्वर को क्यों नहीं ? बोले तो भारत तो शुरू दिन से शूरवीरों की भूमि रही है। यहाँ घर-घर वीर है कहीं अग्निवीर हैं तो कहीं आन्दोलनवीर हैं। गोया कि हैं तो वीर ही ना। भारत रत्न तो भारत रत्न है जनाब। क्या फील्ड मार्शल माॅनेकशा इसके पात्र नहीं। क्या टाटा इसके पात्र नहीं। क्या मौलाना आज़ाद को नहीं मिलना चाहिए। क्या हरिवंश राय बच्चन साब को नहीं मिलना चाहिए ? सुमित्रानंदन पंत को क्यूँ भूल रहे हैं?
मुझे ये समझ नहीं लगती कि ये पुरस्कार मृत्यु पश्चात ही क्यूँ दिये जाते हैं ? बहुत हुआ तो तब देते हैं जब अगला इतना वृद्ध और उम्रदराज हो जाता है कि वो दिल्ली आने में भी समर्थ नहीं। तब आप उसकी सुधि लेते हैं।
यह भारत रत्न फिल्म लाइन में क्यूँ नहीं दिये जाते ? अभिनय के क्षेत्र में। यह जादूगरों गोगिया पाशा अथवा पी सी सरकार को क्यों नहीं ? यह पुरस्कार कवियों खासकर हास्य कवि को क्यों नहीं ? कभी नहीं सुना फलां कार्टूनिस्ट को भारत रत्न प्रदान किया गया।
मैं फुल फुल इस पक्ष में हूँ कि भगत सिंह जी को भारत रत्न दिया जाना चाहिए फिर उनके साथ के राजगुरु और सुखदेव भी हैं भाईसाहब। मैंने सुना नहीं यह जाॅइंट भी दिया जाता है क्या ? श्यामाप्रसाद मुखर्जी जी को भी मिलना चाहिए। दीनदयाल उपाध्याय जी को भी। सूची बहुत लंबी है मैं तो कहूँगा अनंत है।
लब्बोलुआब ये है कि यह भारत रत्न दिये जाने के कारण, प्रॉफ़िट, पात्रता, परिस्थितियाँ होती हैं। सही भी है। ये ऐसे ही बिना सोचे समझ नहीं दिये जा सकते हैं। फर्ज़ करो भारत का हर पुरुष महापुरुष है और भद्र महिला वीरांगना है तो सलेक्शन और कठिन हो जाता है। किस को पिक करें किसे छोड़ें।
अपुन इस चक्कर से एक झटके में ही मुक्ति पा गए हैं। आप अपने पास रखो अपना भारत रत्न। अपुन ने अपना नाम ही भारत रत्न रख लेना है इसको कहते हैं मास्टर स्ट्रोक।
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