खबर है कि एक पुलिस चौकी में दारू
पार्टी हुई। अब सोचने वाली बात ये है कि ये बात लीक कैसे हुई ? किसने की ? पुलिस चौकी में सी.सी.
टी.वी. तो होते नहीं। फिर ये खबर किसी चश्मदीद ने दी है या किसी दिलजले ने जो उस
दिन पार्टी में आने से रह गया। क्या ये पहली पार्टी थी ? ऐसा देखा जाता है कि
किशोर जब भी पकड़ा जाये यही कहता है कि आज पहली बार ही सिगरेट पी और पकड़ा गया।
मैंने इंग्लिश फिल्मों में देखा है सभी पुलिस वाले थाने में अथवा बगल के रूम में
शौक से शराब पीते हैं या फिर कितनी बार पार्टी भी करते हैं। आखिर केंटीन होती ही
है। आप क्या सोचते हैं केंटीन केवल चाय-कॉफी के लिए होती है। फिर आप जूस काॅर्नर
का सच जानते ही नहीं।
एक शहर में जब एक बिज़ी कोलाहल वाले इलाके
में से पुलिस वालों ने सख्ती की “अब से आप केवल जूस ही बेचेंगे और
कोई अगर उनके ठेले पर शराब पीता दिखाई दिया तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।आपका
जूस बेचने का ठेला बंद भी किया जा सकता है”। वे सब एक सुर में सुरा के फेवर में बोले "साब ! ईमानदारी की बात तो ये
है कि यदि आप शराब बंद कर देंगे और पीने वालों की पकड़-धकड़ करेंगे तो हमारा ठेला
वैसे ही बंद हो जाना है। हमारे यहाँ कोई मात्र जूस पीने नहीं आता। सब अपने खींसे
में बाॅटली लेकर आते है और हमसे जूस में मिलवा लेते हैं।
अब जब इतनी सुलभ व्यवस्था है। दूर ढूंढो
पास मिलती है तो फिर इतना हो हल्ला क्यूँ ? प से पुलिस प से
प्याला, प से पुलिस प से प्यासी आत्मा, प से पुलिस प से पीना-पिलाना, इतना काम है दम मारने
की फुर्सत नहीं। एक ये लोग हैं जो कोई जरा घूंट दो घूंट ले ले तो हंगामा बरपा देते
हैं। ऐसा भी कहीं होता है। दुनियाँ की भाग-दौड़ करें हम, शराब की भट्टी पकड़ें
हम, नकली शराब बनाने वालों
को पकड़ें हम, शराब पी कर हुड़दंग करें तो पकड़ें हम, बस हमीं को हराम है क्या ये ? भाई हम भी इंसान हैं। जिस खुदा ने ये शराब बनाई है उसी ने हमें भी बनाया है।
फिर उसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यूँ ?
दिन भर की इतनी बेहद थकाऊ कार्यप्रणाली के
बाद कोई सुस्ता भी नहीं सकता। आप हमसे दक्षता तो अमरीका जैसी मांगते हैं मगर इस
मामले में चाहते हैं कि हम वही दक़ियानूसी "ओह नो ! नो गंदी बात" वाला रुख अपनाए रहें। दरअसल हम बहुत बड़े
हिपोक्रेट हैं। करना कुछ और दिखाना कुछ। मेरा ऐसा मानना है कि इसको इतनी पाबंदी के
साथ रखना ग़लत है। देखिये बरसों से ड्राई गुजरात भी अब धीरे धीरे इसके लिए अपने
दिल और द्वार खोल रहा है।
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
इसको पीने के इतने कारण हैं कभी किसी
शराबी से पूछ कर देखिये: इससे नींद अच्छी आती है, इससे थकान उतर जाती है, इससे अनर्जी मिलती है, इससे साहस में वृद्धि
होती है, इससे खाना अच्छी तरह खाया जाता है, इससे एक सोशल लाइफ बनती है, इससे हम पार्टी में जा पाते हैं, इससे फ्रेंड्स बनते हैं। यह क्लब की जान है। हेल्थ प्राॅब्ल्म्स कैसे भी हों
इससे दूर हो जाती हैं। दूर नहीं होती तो कमसेकम उतनी देर को इसमें आराम मिलता है।
मैं हर ग़म को भुला कर पी गया।
आखिर ये यूं ही नहीं मिलिट्री में सब को दी जाती। बड़े बड़े जनरल्स से पूछिए।
बड़े बड़े शायरों से पूछिए, बड़े बड़े बुद्धिजीवियों से पूछिए। ये बदनाम तो कमज़र्फ लोगों ने की है जिन्हें
न पीने का सलीका था न पिलाने का शऊर। मुझे कोई थ्री एक्स रम की परिभाषा बता रहा
था। थ्री एक्स=30 दिन, रम = रेगुलर यूज़ मेडिसिन। शास्त्र के शास्त्र भरे पड़े हैं सोमरस के वर्णन से।
यह इंसान को इंसान से पहले पैग से ही जोड़ती है और आप चले हैं इसका दिनों में
बंटवारा करने। आज ड्राई डे है। आज फलां महापुरुष की सालगिरह है शराब बंद रहेगी।
अरे भैया पता तो लगा लो वो महापुरुष भी इससे तुम्हारी ही तरह घृणा करते थे क्या ? जो देवताओं का प्रिय
पेय था उसे आपने प्रतिबंधित क्या किया देवता बनने ही बंद हो गए। आपने हज़ारों अशआर से कोई सीख नहीं ली
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
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