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नेता जी ने
आव्हान किया है उठ जागो मेरे सूबे के लोगो ! सूबे को तुम्हारी ज़रूरत है। लग जाओ
सूबे का नाम रोशन करने खातिर। हुआ कुछ यूं कि लोक सभा में सीटें जनसंख्या के हिसाब
से तय होती हैं। जहां कम जनसंख्या वहाँ से कम सांसद और जहां ज्यादा जनसंख्या वहाँ
से ज्यादा सांसद। इसे कुछ लोग ये भी सोचने लग पड़े कि ज्यादा बच्चे होंगे तो क्या
पता हमीं को सांसद और मंत्री बना दिया जाये। पीछे बनाया भी गया था। इसके चलते नेता
लोग भी देश-निर्माण में लग गए। लोक सभा में सीटें कम हो रही हैं ये जानकार नेता जी
का चिंतित होना लाजिमी है। यूं नेता जी छोटी-बड़ी चिंता करते रहते हैं और अक्सर उस चिंता की रपट उनके
गंभीर फोटो समेत अखबार में छपती रहती है। यदि एक हफ्ते उनकी फोटो और खबर अखबार में
न छपे तो लोगों को चिंता होने लगती है कि नेता जी ठीक तो हैं। जो दिखता है सो
बिकता है। इसलिए चिंता किसी भी स्तर की हो नेता जी को आप हरदम चिंता में पाएंगे।
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अब 16 बच्चों की
संख्या पर नेता जी कैसे पहुंचे ज़रूर उन्होने कोई गुणा-भाग किया होगा। भला हमें
क्या ? हमें आम खाने से मतलब पेड़ तो नेता जी ने गिन ही लिए हैं। अब
ये 16 बच्चे पैदा करने की कुव्वत आजकल की भारतीय पत्नियों में
कहाँ ? वो दिन गए जब 'दूधो नहाओ पूतो फलो' का आशीर्वाद खूब
ही सक्सेस था। अब वो बातें कहाँ ! न ज़मीन इतनी जरखेज है न जोरू में इतना दम है न
जेब में जर है। हाँ अलबत्ता अगर सूबे की सरकार कोई स्कीम चला दे कि जितनी मर्ज़ी
शादी करो और करते रहो जब तलक सोलह का टार्गेट पूरा न हो जाये। हम जान लड़ा देंगे।
एक बात और है इसके साथ-साथ बच्चों की देखभाल पढ़ाई-लिखाई की और खाने की भी कोई
योजना घोषित करनी पड़ेगी। अभी तो माँ-बाप के ही खाने के वान्दे हैं। जो है सो
अभी दो बच्चे है और दोनों ही बेकार बैठे
है। वो तो भला हो कुछ न कुछ त्यौहार, यात्रा, धरना-प्रदर्शन, रोड शो के चलते
बिज़ी रहते हैं । गाँव में आधे युवा तो टिक-टाॅकर हैं आधे उनमें एक्टिंग करते हैं।
आपकी स्कीम जब आ जाये तो आप खूब उसका प्रचार-प्रसार टिक-टाॅक आदि पर करें फिर हो
सकता है ये युवा मोबाइल छोड़ मंडप की तरफ बढ़े।
आप
तो सीधे-सीधे स्कीम चला दो 6 बच्चे वाले को यह पद/यह ईनाम मिलेगा। दस वाले
को सीधे सरपंच, दस से ज्यादा को सीधे विधान सभा और पंद्रह पार करते ही
सांसद। सान्सद बोले तो उसके पास इतने सन्स-डौटर हैं, माने अपुन के फ्यूचर वोट।
दूर का विज़न रखें। देखिये आपके ये एक शादी वाली शर्त उठा देने मात्र से समाज का
कितना भला होगा। इसको कंपलसरी करना होगा नहीं तो एक्जिस्टिंग बीवी लोगों ने बहुत
नाटक करना है। समाज में इसके चलते रेप भी
नहीं हुआ करेंगे। सब हंसी-खुशी राष्ट्रीय कार्यक्रम में अपना सहयोग देने में जुट
जाएँगे। राष्ट्र-निर्माण में अपना सूबा पीछे नहीं रहेगा। लौटती डाक से सूचित करना
डी.जे. बुक कर लिया है। घोषणा होते ही आप देखना इकाॅनमी को कितना बल मिलेगा। सब
शेरवानी, लहंगा, मिठाई, बैंड-बाजे, बेंक्वेट हॉल, केटरर और हनीमून
पैकेज में लग जाएँगे। सूबे में हर दूसरा आदमी या तो दूल्हा होगा या बाराती।
सब एक
दूसरे से पूछा करेंगे कौन सीवीं शादी है। भद्र महिलाएं गर्व से बताया करेंगी बहन !
मेरा यह बारहवां बच्चा है, तुम्हारा ? कोई महीना खाली नहीं
जायेगा जब किसी न किसी का हैपी बर्थडे न हो। किसी किसी महीने तो दो या दो से
ज्यादा हैपी बर्थ डे हुआ करेंगे। बाज़ार उड़ चलेगा। प्राइवेट क्लिनिक, अस्पताल और
दाईयों को काम मिलेगा। रोज़गार बढ़ेगा।
देखते-देखते अपना सूबा हिंदुस्तान में नंबर वन हो जाना है। जब तक धन आए, मैं तन-मन से
आपके साथ हूँ।
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