विमान में बम होने की एक हफ्ते में
सौ फर्जी धमकी मिलने के बाद अथॉरिटी ने यह क्लियर कर दिया है और सार्वजनिक घोषणा
कर दी गई है कि यदि कोई फर्जी धमकी देगा तो उसको कड़ी सज़ा दी जाएगी। मेरे समझ में
ये नहीं आया कि क्या ऐसा कोई प्रावधान पहले नहीं था ? यदि था और अगर नहीं भी
था तो सौ फर्जी धमकियों की ‘वेट’ क्यों की। यह तो कुछ-कुछ इसी तरह हो गया कि कोई
आपको मारे जा रहा है और आप कह रहे हो एक बार और मार कर दिखा। अगली बार मार फिर
तुझे बताता हूँ। बहरहाल ! बम की बीस पचास नहीं बल्कि सौ फर्जी धमकियों के बाद लगता
है अथॉरिटी का सब्र जवाब दे गया और ये ऐलान कर दिया है कि अब फर्जी धमकी वाले बच
नहीं पाएंगे और कड़ी सज़ा के हकदार होंगे।
अब सवाल यह पैदा होता है कि ये फर्जी धमकी
वाले को पकड़ा कैसे जाएगा। और उसे पकड़ने में कितना वक़्त लगेगा ? क्या ये धमकाने वाले
को पकड़ना मुमकिन होगा ?
एक बात और ! चलो ! फर्जी धमकाने वाले को
तो आप कड़ी सज़ा देंगे पर अगर भगवान न करे धमकाने वाला असली हो और धमकी असली हो तब
क्या ? तब भी कड़ी सज़ा या कुछ और ? बात तो तब होती जब आप इन सौ धमकियों वाले को पकड़ पाते और कड़ी सज़ा दे देते उसके
बाद बताते। यह तो ऐसे हो गया कि आपने धमकी का जवाब धमकी से दे दिया। चलो किस्सा
खत्म। कितनी बार ऐसा भी पहले होता था कि कोई लेट हो गया तो किसी से फोन करवा दिया
फ्लाइट में बम है, लोग-बाग बम ढूँढने में लग गए फ्लाइट लेट हो गई और आपने पकड़ ली। फिर पुलिस ने
लेट आने वालों को पकड़ना शुरू कर दिया तब कहीं जाकर ये बंद हुआ।
पर धमकी का जवाब धमकी होता है क्या ? धमकी झूठी है या सच्ची
उस पर फुल-फुल एक्शन होना चाहिए। अब सौ धमकियों का उद्देश्य क्या रहा होगा? इससे क्या हासिल हुआ
धमकी वाले को ? बाई दि वे, ये धमकियाँ अलग-अलग एयरलाइंस को दी गई है। बोले तो सभी एयरलाइंस शामिल थीं। अब
न हवाई अड्डे आपके, न एयरलाइंस आपकी। आसमान खुदा का। कहते हैं न ख़ल्क़ ख़ुदा का हुकुम बादशाह
का...आप पर फिर धमकी देने के अलावा बचा ही क्या। जैसे स्कूल में बच्चे कहते हैं न
“बाहर निकल ! फिर बताता हूँ तुझे...” यह ट्रेंड रोका नहीं गया, धमकी देने वाले पकड़े
नहीं गए तो कल यही बात रेल, बस और ओला-ऊबर के लिए कही जाने लगेगी। फिर क्या हम पैदल चलने लगेंगे या घर बैठेंगे। ये जो इतने फाइव जी, सिक्स जी चले हैं इसका
क्या फायदा अगर धमकी देने वाला पकड़ना तो दूर ट्रेस भी न किया जा सके। मैं कहता हूँ
उस पर पेगासस लगाया जाये।
धमकी दरअसल एक कायरता वाला कदम है।
जिनको करना होता है वो कर गुजरते हैं। वो ये धमकी-शमकी नहीं देते। इससे ये और
प्रूव होता है कि आपके पास अभी तक इतना सब तकनीकी ज्ञान और लवाजमा नहीं है कि आप
धमकी देने वाले को पकड़ पाएँ। वो तो वोही कहते फिरते हैं और जिम्मेवारी लेते हैं तब
तो हमें पता चलता है। मुझे याद है कॉलेज में जब बस आदि पर हमला होता था तो कॉलेज
वाले पहुंच जाते थे कि हमला हमारे कॉलेज ने किया और ये क्या आपने हमारे कॉलेज का
नाम ही नहीं लिखा। ऐसे हमले का क्या फायदा ?
दूसरे ये सब बातें पब्लिक क्यों
की जाती हैं। इससे क्या लाभ अथवा क्या इससे धमकी देने वाले को पकड़ने में मदद मिलनी
है ? ये तो छीछालेदर वाली
बात हो गई। एक एक दिन में साठ-साठ धमकी आखिर ये चल क्या रहा है। कहीं ऐसा न हो कि
आगे आने वाले समय में एयरलाइंस लिखने लगें कि विमान में बम भी हो सकता है अतः
सवारी अपने जोखिम पर यात्रा करे तथा अपने जान-माल की सुरक्षा स्वयं करे।
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