Ravi ki duniya

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Friday, October 4, 2024

व्यंग्य: ईज़ ऑफ डूइंग- चोरी



                  हम-आपको लगता होगा चोरी आसान काम है। हरगिज़ नहीं। यह बहुत दुष्कर काम है। बड़े दांव-पेंच हैं। सफलता ऐसे ही एक रात में  नहीं मिल जाती। कितने दिन-रात ‘रेकी’ में ही चले जाते हैं। नज़र बचाना, आँखों में धूल झोंकना, आसान काम न कभी रहा था, न रहेगा। लेकिन अब हम इस मार्ग पर प्रशस्त हो गए हैं तो यह ज़रूरी है कि ईज़ रहे। अतः अब सब कुछ बहुत आसान कर दिया है। इस क्षेत्र में ‘वर्क फ्राॅम होम’ का भी इंतज़ाम है। आप 'ऑन-लाइन' यह सब कर सकते हैं बल्कि इसमें तो बहुत ही ईज़ है। कोई टेंशन नहीं, थोड़ा इंगलिश बोलना सीख लें। आवाज़ में समुचित रौब-दाब का छौंक लगा लें फिर तो ‘स्काई इज़ दी लिमिट’ यहाँ करोड़ों का टर्न-ओवर है। योग्य उम्मीदवारों के लिए यहाँ अब भी बहुत स्कोप है। 


      ईज़ ऑफ डूइंग चोरी एक समग्र अवधारणा है। यह एक स्टेज अथवा एक प्रकरण भर का काम नहीं। यह तो ‘माइंड-सेट’ है जिसका हमको, समाज को, पुलिस को, कचहरी को, बोले तो सबको पालन करना है और अपने जीवन में उतारना है। तब कहीं जाकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम इस योजना को सफल बना पाएंगे। यूं इस क्षेत्र में रात-दिन काम हो रहा है सभी स्तरों पर। क्या बैंक, क्या साइबर-कैफे, क्या बस-स्टेंड, क्या बाज़ार, क्या मॉल, क्या कैमिस्ट, क्या स्कूल, यहाँ तक कि यूनिवर्सिटी भी अब इससे अछूती नहीं। पासपोर्ट हो, ड्राइविंग लाइसेन्स हो, आप तो ये बताओ कहाँ ये ईज़ ऑफ डूइंग नहीं पहुंचा है ? हम फौरन से पेश्तर, उसको एड्रेस करेंगे। हमें फुल-फुल ईज़ चाहिए। कट्टा हो, मशीनगन हो, बम हो, हमें फर्क नहीं करना है। 


                             चोरी में आप इलाके के थानेदार से मधुर पी.आर. रखिए और फिर देखिये जलवा जो रिपोर्ट लिखाने जाएगा थानेदार उसी को धर लेंगे और आपको 'चोरित' की तरफ से एक एफ़िडेविट भी  दिला देंगे कि यह उसका सामान है ही नहीं अथवा यह उसने अपनी स्वेक्षा से ये सब असबाब आपको सौंपा था। कारण कि अब वह हरिद्वार जाकर सन्यास लेना चाहता है। 

    

                                  यह ईज़ ऑफ डूइंग चोरी हर तरफ व्याप्त है। मजाल है जो पुलिस आपकी रपट लिख ले। चोरित आदमी सर पटक पटक के खुद ही थक जाएगा। आप कार उठाने के बिजनिस में हैं तो यकीन जानें ईज़ ही ईज़ है। आप फिरौती वाली लाइन में हैं तो भी पूरा का पूरा फील्ड खाली है पहले दिन से  प्रॉफ़िट ही प्रॉफ़िट है। नौकरी नहीं है तो औरों को नौकरी देने के सौदे में पैसा ही पैसा है। अच्छा प्रॉफ़िट मार्जन है। हमारे देश में अवसर ही अवसर हैं। आप ट्राई तो करें। निराश नहीं होंगे। अपनी योग्यतानुसार अपना फील्ड चुन लें। हमारे काॅउन्सलर आपकी काॅउन्सलिंग करके आपकी छुपी प्रतिभा को पहचानने में मदद करेंगे। 


                        बस ! तो देर किस बात की है। कम वन-कम ऑल।


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