दोस्त ! अब कहां दोस्त ढूंढते हो, इस दश्त में
फाॅलोअर बसते हैं, फ्रेंड नहीं इस दश्त में
हम पेड़ों के साथी, हरियाली के हामी हैं
यूं आरी के हत्ते हैं हम इस दश्त में
तुम्हारी बहादुरी काम न आएगी
शेर को कुएं में गिराते आए हम इस दश्त में
तुम्हें दिल पसंद है, उनकी भी पसंद दिल ही है
एक हम हैं -- दिल पेड़ पर छोड़ आए इस दश्त में
भटक रहा हूँ तेरी तलाश में, ये सुन आदमखोर आ गए
कुछ यूं हमें भी चाहने वाले मिले, इस दश्त में
दश्त=जंगल
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