मैंने कब कहा उसे मुहब्बत है
मैं तो उनका हूं !
वो मेरा नहीं तो क्या ?
मेरा हौंसला देख मेरी चाहत देख
कब से खड़ा हूँ तेरे रास्ते पे
मेरी रहगुज़र नहीं तो क्या ?
कहीं जाये रहता है
मेरी निगाहों की जद में
वो मिरी जानिब देखता नहीं तो क्या ?
मुझे जुबानी याद
उसकी जुल्फ की हर लट
उसे मेरा नाम याद नहीं तो क्या ?
जनाजा आशिक का धूम से उठा
वो भी दरीचे से देखने निकले
जीते जी मेरी पुकार पर आए नहीं तो क्या ?
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