Ravi ki duniya

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Monday, October 6, 2025

व्यंग्य : एक शपथ समारोह और अपराध खत्म

 

 

हमारी पोलिस एक से एक नायाब तरीका निकालती है ताकि समाज अपराध मुक्त हो सके। मार-कूट करके देख लिया। थर्ड डिग्री करके देख लिया। यहाँ तक कि एन्काउंटर भी करके देख लिए। मगर अपराध है कि सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जाता है। तभी उनके हाथ एक फॉरमूला लगा। इससे पहले यह प्रयोग एक बार महाराष्ट्र में नेता जी कर चुके थे। देखिये ! कोई स्कीम फेल होगी या पास यह मात्र एक प्रयोग से साबित नहीं हो जाता। मुझे पता नहीं महाराष्ट्र में यह प्रयोग सफल हुआ या नहीं। लेकिन इस बात की प्रतीक्षा अनंतकाल तक नहीं की जा सकती। अतः अब यह प्रयोग एक बार फिर किया गया है। एक अन्य सूबे में।

 

पुलिस ने उन सब अपराधियों को राउंड अप किया जो छेड़छाड़, बलात्कार और महिलाओं के  प्रति अन्य अपराधों में लिप्त रहे। अब वे या तो छूट चुके थे अथवा परोल पर थे या जमानत पर बाहर थे। बहरहाल 100-75 भूतपूर्व अपरधियों को एक स्थान पर जमा किया गया। उनको एक सामूहिक शपथ दिलाई गयी। कुछ उसी तरह जैसे हम कभी सद्भावना की शपथ लेते हैं, कभी रिश्वत न लेने की और कभी राजभाषा फैलाने की। साल दर साल रावण को मारते रहो, कभी न कभी तो मारा जाएगा। इसी तरह शपथ दिलाते रहो कभी न कभी तो इंसान सोचेगा...  नहीं यार ! अब बहुत हो गया। मुझे महिलाओं के प्रति कोई अपराध नहीं करना है।  मैंने शपथ उठाई हुई है। जैसे रोजे में रोजेदार खाना नहीं खाता, उपवास में उपवासी लोग आहार नहीं लेते।

 

मज़ेदार बात ये है कि महाराष्ट्र में जब यही शपथ समारोह आयोजित किया गया था तो मंत्री जी की अध्यक्षता में पुलिसवालों ने यह शपथ ली थी। वह ईमानदार रहेंगे। घूस को न कहेंगे। बस हो गयी पृथ्वी पर स्वर्ग की स्थापना।...  गर फिरदौस बर रू ए ज़मीं अस्त....  इसी प्रकार अब अपराधियों और भद्र महिलाओं के साथ बदसलूकी करने वालों और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के दोषी रहे हैं उनको शपथ दिलाई गयी कि वे भद्र महिलाओं का सम्मान करेंगे और सदैव उनसे एक सम्मानजनक दूरी बनाए रखेंगे। इस प्रकार वे मनसा वाचा कर्मणा सदाचारी हो जाएँगे। सोचो ! कभी आपने देखा था इतना सतयुगी काल। बस एक शपथ समारोह और  पुलिस भी ठीक ! अपराधी भी ठीक! पुढे चला। दरअसल हमारे समाज में शपथ का महत्वपूर्ण स्थान है। हम धर्मभीरू हैं। अतः कोर्ट में गवाही देते वक़्त शपथ लेकर हम बेधड़क अपने झूठ को रिकॉर्ड में लाकर सच बना देते हैं। अतः कोर्ट में शपथ का बहुत महत्व है। कदम कदम पर शपथ-एफ़िडेविट देने पड़ते हैं।

 

 

एम.पी. एम.एल.ए. मंत्री सभी तो शपथ लेते हैं देश सेवा की। अब देश सेवा की परिभाषा सब के लिये अलग हो सकती है। भई ! देश में वे स्वयं भी तो आते हैं। अतः इस सेवा का श्रीगणेश अपने से ही किया जाये। इस प्रकार पूरे प्रोसीजर की खामी अगर कोई है, तो निकल कर आ जाती है, टाइम रहते खामी पता चल जाती है। यह ‘परीक्षा’ आसान नहीं होती। यह उसी तरह है जैसे वैज्ञानिक किसी दवा, किसी नए पदार्थ की खोज को साबित करने के लिए उसे खुद ही चख लेते/ सेवन कर लेते हैं। अपनी जान पर खेल कर। हमारे मामा जी जब बी.एस.सी. कर रहे थे तब वे अपनी केमिस्ट्री लैब के किस्से हम बच्चों को सुनाते थे। जैसे जब एक वैज्ञानिक ने पोटाशियम साइनाइड का स्वाद दुनिया को बताना चाहा तो उसने एक हाथ में कागज-पेन लेकर पोटाशियम साइनाइड को चखा तो वह कागज पर केवल S लिख पाया और मर गया। दुनिया को पता ही नहीं चल पाया कि स्वीट है ? साअर है ? साल्टी है ? रहस्य ! जो है सो, आजतक  रहस्य ही बना हुआ है। अतः सेवा के लिए सेवन जरूरी है। तभी न कसम खाई जाती है। वो गाना नहीं सुना आपने “... हे मैंने कसम ली … हे तूने कसम ली...  नहीं होंगे जुदा...” आप कसम लेकर क्या करते हैं ? या तो उसे खा लेते हैं या उठा लेते हैं। जब कहा जाता है फलां ने कसम उठाई ! इसका अर्थ है उसने कसम उठा कर, कसम की उठावनी पूरा कर दी है। सुना है आजकल पोलिटिकल पार्टीज़ अपने प्रचार के दौरान वोटर को पैसे थमा कर, एक लोटे में ‘गंगाजल’ हाथ में दे कसम ले लेते हैं कि वह उनकी पार्टी को ही वोट देंगे। बात-बात में शपथ लेने वाले मेरे भारत महान में शपथ का, कसम का, सौगंध का, सौं का भविष्य बहुत उज्जवल है।

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