Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Thursday, October 2, 2025

चलो एक बार फिर से….

 

 

ये किस शहर में आ गए हम 

सब पुकारते हैं मुझे तेरा नाम लेकर 

अहद लिया उसने न पीने का 

तौबा की भी तो हाथ में जाम लेकर 


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चलो एक बार फिर से ‘अनफ्रेंड’ हो जाएँ हम दोनों 

ना मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूं ‘कमेन्ट’ ओ ‘लाइक’ की

न तुम मेरी रील बनाओ ग़लत ए.आई. नज़रों से

न मैं तुम्हारी ‘डी.पी’. देखूं ‘ज़ूम’ कर-कर के

न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाये तेरी सेल्फ़ियों से

न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्मकश का राज़ लॉक्ड-प्रोंफाइल से

तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है ‘अनब्लॉक’ करने से

मुझे भी लोग कहते हैं कि ये तमाम ‘प्रोफाइल’ ‘फेक’ हैं

मिरे हमराह भी रुस्वाइयाँ हैं मेरी बेंकाक मीटिंग की

तुम्हारे साथ भी बेहिसाब शॉपिंग के बकाये हैं

फेसबुक फ्रेंडशिप रोग हो जाये तो उसका भूलना बेहतर

कमेन्ट’ बोझ बन जाये तो उसको ‘डिलीट’ करना अच्छा

वो फ्रेंड्स जिन्हें हर पोस्ट ‘लाइक’ करना न आये

उन्हें ‘लेपटॉप’ में ‘वाइरस’ कह ‘रिमूव’ करना अच्छा                                 

चलो एक बार फिर से अनफ्रेंड’ हो जाएँ हम दोनों

 

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