Ravi ki duniya

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Wednesday, September 3, 2025

व्यंग्य : एक पखवाड़ा पति का एक प्रेमी का

 

       

उत्तर प्रदेश को मज़ाक में उल्टा प्रदेश भी कहते हैं। यूं इस पावन उर्वरा भूमि को उल्टा प्रदेश कहना सरासर इसका अपमान है। हाल ही में इसके रामपुर ज़िले के एक गाँव से एक केस आया है जिसमें नवविवाहिता पत्नी पिछले एक बरस में दस बार अपने प्रेमी साथ जा चुकी है। भाग गयी है कहना अनुचित है क्यों कि धीरे-धीरे चलके गई है। कोई भाग कर या रेस लगाती हुई नहीं गयी। भाग गयी क्या होता है? अब दस बार का अर्थ है औसतन 182 दिन प्रति हैड आता है। यूं देखा जाये तो पर्याप्त है। पत्नी न्याय प्रिय है। उसे अपने पति का पूरा-पूरा ख्याल है। कोई क्या कर लेता यदि वह इस 182 दिन को 365 दिन कर लेती तो। लेकिन नहीं, वह नहीं चाहती कि कोई कल को यह कहे कि इसने पति के साथ अथवा प्रेमी के साथ अन्याय कर दिया। उसने एक दम न्याय किया है। दूध का दूध.. कहावत के अनुसार पति का पति और प्रेमी का प्रेमी कर दिया। क्या इंसाफ किया है भई वाह !

 

 

उसने ये काम ऐलानिया सबके सामने, बोले तो पंचायत में कह दिया। पंच हतप्रभ। उनके पंच काल में ऐसा केस नज़र से न गुजरा था। पति जी ने पूरी लाॅग बुक पंचायत के सम्मुख रख दी  पिछले एक बरस में, 12 महीने में,  इस बार को मिला कर दस बार घर से प्रेमी के यहाँ जा चुकी है। मोटा-मोटा हर महीने एक बार का औसत आता है।

 

 

अब पत्नी का यह पंद्रह-पंद्रह दिन के प्रस्ताव से पति का दिमाग चकरा गया। उसने सोचा विचारा और तभी के तभी अपना पक्ष पंचायत के सामने रख दिया। यह मुझे मंजूर नहीं। वह अपने प्रेमी के साथ ही रहे। गुड बाई। सोचने वाली बात ये है की वह तो कितनी एडजस्टिंग नेचर की है। अंत तक उसकी कोशिश यही रही कि पति को भी नाराज़ न करे। पर पति ज्यादा लालची साबित हुआ। वह महीने के 30 दिन के 30 दिन अपने लिए चाहता है। यह हाल तो तब है जब वह बाहर गाँव में नौकरी करता है। और गाँव में पत्नी अकेली रहती है। लालच नहीं करना चाहिये। कितना विशुद्ध रीजनेबल प्रस्ताव पत्नी ने रखा। मगर अभागे पति ने इस प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया।

 

वीमन एम्पाॅवरमेंट का अनूठा उदाहरण है यह। इतने एम्पाॅवरमेंट के बावजूद पत्नी ने पति के साथ, मैं तो कहूंगा न्याय ही किया है। उसे 'हैव नाॅट' फ़ील नहीं कराया। इससे ज्यादा एक पत्नी और कर भी क्या सकती है। मुझे पता नहीं दोनों के गाँव में कितनी दूरी है। आप तो ये देखो कि आने-जाने में ही कितना वक़्त लग जाया करेगा। 15-15 दिन के हिसाब से हरेक के हिस्से में साल में 180 दिन आते हैं । अब यह है कि इन पंद्रह दिनों का बंटवारा कैसे किया जाएगा। 1 से 15 तारीख फिर 16 से तीस तारीख। इस आधार पर या फिर एक सप्ताह एक, दूसरा सप्ताह प्रेमी के नाम फिर एक सप्ताह पति के पास एक सप्ताह प्रेमी के पास। ये तो प्लानर या पी.ए. रखना पड़ेगा ताकि वो बता सके मैडम ! इस तारीख से इस तारीख तक आपका अपाॅइंटमेंट अमुक के साथ है। फिर कुछ एडजस्टमेंट की गुंजाइश भी रखनी पड़ेगी। प्रेमालाप के अलावा और भी ग़म हैं जमाने में। कभी प्रेमी अथवा पति को कुछ काम भी आन पड़ सकता है। वह कह सकते हैं कि तुम एक हफ्ते और वहीं रह लो अगली बार मैं एडजस्ट कर लूँगा।

 

                            अब तो है एक ज़िस्म मे दो जान की ज़रूरत

                    एक मरे तेरी अदाओं पे दूसरी निकले देख के तेरी सूरत

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