एक सूबे के नेता जी ने ऐलान किया है कि वह सूबे को 'डर मुक्त व्यापार सेंटर' बनाना चाहते हैं। यह खबर
सुन दोनों वर्गों में खुशी की लहर दौड़ गयी। दोनों बोले तो डरने वाले और डराने
वाले। सच है घोषणाएँ ऐसी ही होनी चाहिए जिससे सभी 'स्टेक-होल्डर्स'
की बल्ले-बल्ले हो जाये। अब आप पूछेंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन है ?
दरअसल डरने वाले सोच रहे हैं कि अब डरने की क्या ज़रूरत है और डराने
वाले सोच रहे हैं कि अब टाइम आ गया है अपने बिजनिस मॉडल को 'रीडिफ़ाइन'
किया जाये। आजकल के 'मैनेजमेंट जारगन' में इसे 'पैराडाइम शिफ्ट' अथवा
'डिफरेंट बॉल गेम' कहते हैं। आसान
शब्दों में अब उनको पता रहेगा कि कौन कौन पार्टी डर रही है। इससे अपने 'रिसोर्सस चैनलाइज' करने में आसानी रहेगी। 'वेस्टफुल एक्सपेंडीचर' नहीं होगा। दिल्ली में
डी.एम.आर. सी. (दिल्ली मेट्रो) है हम खोलेंगे डी.एम.वी.सी., नहीं
समझे ? डर मुक्त व्यापार सेंटर
अब सरकार में डरने वालों की सूची बनाई जाएगी।
इससे साफ हो जाएगा कि कौन-कौन मोटी आसामी है। वही सूची फिर डरानेवालों को लीक कर
दी जाएगी। आजकल लीक का आलम तो आपको पता ही है। बस हुए न दोनों पार्टी गद् गद्। अब
आप को ही तो जांच करनी है। उसी पार्टी पर डाल दो कि आपने, हो न हो, किसी न किसी को बताया होगा। या आपने अपनी
बैलेन्स शीट पब्लिक कर दी होगी। इसमें हमारा और हमारे सूबे का क्या ? गलती आप करें और जिम्मेवारी हम पर थोप दें। आप नाहक ही सूबे को बदनाम न
करें। माइंड इट !
इधर आप देखेंगे कि न जाने कितने स्टार्ट अप्स
खुल जाएँगे कोई आपको डरने वालों की सूची और वीक पॉइंट्स बताएगा,
'टर्न की' बेसिस पर कंसल्टेंसी देंगे दूसरी ओर होंगे वे स्टार्ट अप्स जो आपको बचाने
का उपक्रम करेंगे। वे आपको बताएँगे कैसे उन्होने अमुक व्यापारी को ऐन मौके पर बचा
लिया। ये एक तरह की 'प्रोटेक्शन-फी' है
जो वो लेंगे और उनके बाउंसर टाइप लोग आपको, आपके परिवार को
और आपके ऑफिस/आवास को घेरे रहेंगे। यह उसी तरह होगा जैसे ट्रक ड्राइवर ने एक
सिपाही को पैसे दे दिये हैं तो दूसरा सिपाही आपको तंग नहीं करता।
यह डी. एम. वी. सी. अपने डिपो जगह जगह
डी.एम.आर.सी. की तर्ज़ पर खोलेगा। उसे विज्ञापित करेगा कि हमारी सूबे में इतनी
ब्रांच हैं। कुछ झूठा-सच्चा भी लिख मारिए। जैसे 130
देशों में हमारी 'प्रेजेंस' है अफ्रीका हो या एशिया या यूरोप सब हम पर भरोसा करते हैं। अब डरने वाले
तो ऐसा कोई विज्ञापन देगें नहीं। देखिये बड़ा जबर्दस्त बिजनिस मॉडल है। बस इंतज़ार
है तो उद्यमियों का। हमारे सूबे में आइये हम आपको 'ईज़ ऑफ
डूइंग बिजनिस' की गारंटी देते हैं। बस अपनी डी.पी.आर. (
डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) सबमिट करिए। आपके लिए सिंगल विंडो का प्रबंध है। एक डरने
वालों के लिए दूसरी डराने वालों के लिए। उठिए संपन्नता आपका इंतज़ार कर रही है। फिर
कहते हो हमें नौकरी नहीं है। हमें रोजगार चाहिए।
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