Ravi ki duniya

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Monday, September 15, 2025

व्यंग्य : बैंक की मिट्टी

 

                                                       



चीन से खबर आई है। वहाँ एक स्कीम बहुत पॉपुलर हो रही है। इसके अंतर्गत बैंक की मिट्टी आपको ‘ऑन-लाइन’ बेची जाती है। लोगों का ऐसा मानना है कि बैंक की मिट्टी घर के किसी मुक़द्दस कोने में रखने से घर में बरकत  ही बरकत रहेगी और घर पैसे के मामले में बैंक जैसा बन जाएगा। हमेशा जहां देखो वहाँ करेंसी नोट ही नोट बिखरे होंगे। यह मिट्टी 888 युयान की अर्थात लगभग 120 डॉलर प्रति थैली के हिसाब से बिक रही है। और खरीदार धड़ाधड़ खरीद रहे हैं। हमारे देश में ऐसे गीत जरूर हैं

 

                      "गंगा तेरा पानी अमृत"

 

पर ये अलग लैवल की बात है।

 

                ऐ बैंक ! तेरी मिट्टी सोना... मेरे बैंक की मिट्टी सोना उगले...

 

हमारे यहां अलबत्ता ये कहावतें हैं  'मैं मिट्टी को हाथ लगाता वह भी सोना हो जाती थी'। इसी का अमल है ये - आप घर में बैंक की मिट्टी लाओ और मालामाल हो जाओ।

 

 ऐसा नहीं है कि ये बैंक की मिट्टी खुदबखुद सोने में तब्दील हो जाएगी। आशय यह है कि आपके घर में दौलत बरसेगी। जिस सौदे में हाथ डालेंगे मुनाफा ही मुनाफा होगा और आप कुछ ही समय में इतने अमीर हो जाएँगे कि आपका घर ही बैंक के माफिक बन जाएगा। सोचो ! आपके घर में बैंक जितने नोट हो जाएँ तो ? और उसके मालिक ? आप ! कोई ऐरा गैरा बैंक नहीं। सब मिट्टी का कमाल है। बाइबिल में भी उल्लेख आता है।

 

                 डस्ट दाऊ केम..डस्ट दाऊ आर..डस्ट दाऊ शैल रिटर्न

 

अब रिटर्न तो जब होगा तब होगा, तब तक इस 'डस्ट' के मार्फत आप अमीर तो बन जाएँ। आपकी अलमारी लबालब भर तो जाये। हाँ एक बात और ऐसा नहीं है कि आपको किसी भी बैंक की मिट्टी पकड़ा दी जाये। आप यदि कहेंगे कि मुझे तो फलां बैंक की मिट्टी ही लगेगी या माफिक पड़ती है। यह एजेंसी आपको उसी बैंक की मिट्टी मुहैया करा देगी। है न नायाब स्कीम। अब आप अपनी मनपसंद बैंक की मिट्टी ऑर्डर कर सकते हैं। हो सकता है कल को आप चाहें कि अमुक ब्रांच की ही मिट्टी दरकार है। किसी भी आंडू पांडु ब्रांच की नहीं। सही भी है इतनी महंगी मिट्टी आप खरीद रहे हैं तो सबसे अमीर ब्रांच की ली जाये न कि किसी 'एक्सटेंशन ब्रांच' की। मैंने ऐसी ब्रांच देखी हैं जो गरीबों के लिए खुद ग़रीब ब्रांच होतीं हैं। उनसे किसी काम की कहो वो कहेंगे नहीं हमारी ब्रांच तो एक्सटेशन भर है इसके लिए तो आपको हमारी फलां मेन (बड़ी) ब्रांच में जाना होगा। अपुन को अमीर होने को इतना सब घुमावदार रूट नहीं चाहिए। भई ! हमें तो अमीर ब्रांच की ही मिट्टी चाहिए। कोई लफड़ा नहीं मांगता।

                                           


वैसे सोचने वाली बात ये है कि क्यों न लॉकर रूम की मिट्टी ली जाये। मेरे विचार से सबसे ज्यादा उपजाऊ और ‘पेइंग' मिट्टी तो लॉकर रूम की ही होनी चाहिए। इतनी जरा सी जगह में दुनिया भर की दौलत होती है। अतः वहाँ की मिट्टी ही चाहिए पैसे भले ज्यादा लगें। हमारे देश में पहले घर-घर में गंगा जल रखने का रिवाज था कारण कि वक़्त ज़रूरत काम आता था। चाहे कसम  उठानी हो, किसी व्यक्ति/स्थान को पवित्र करना हो अथवा मरते वक़्त पिलाने को। और हाँ ! हमें अमीर बनते वक़्त ये नहीं सुनना है कि लंच टाइम चल रहा है या आज डीलिंग क्लर्क छुट्टी पर है। कल आना या फिर ये कि सर्वर डाउन है।

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