कोर्ट ने आदेश दिया है कि कोई नगर सेठ के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलेगा। नगर सेठ की शान में बुरा बोलना ऐसे समझो आप अपने शहर के लिए बुरा बोल रहे हो। भला अपने गाँव, अपने शहर अपने देश के बारे में कोई बुरा बोलता है ? यह देश हमारी माँ है ? भला कोई अपने माँ बाप को भी बुरा कहता है। बुरे हों तो भी उन्हें बुरा नहीं कहा जाता है। वे हर हाल में पूजनीय और आदरणीय होते हैं। एक बताओ ? अगले ने आपका क्या बिगाड़ा है जो आप खटपाटी लेकर एक भले आदमी के पीछे पड़ गए। आपकी कौन सी भैंस खोल ली ? ये काम कौन कर रहे हैं ? ये काम कर रहे हैं वो दो कौड़ी के पत्रकार जो खुद सेठ की चिरौरी करते फिरते हैं। यह तो वो बात हो गयी कि हमें भी खिलाओ नहीं तो हम खेल बिगाड़ेंगे। हालांकि आप सेठ का खेल तो क्या, कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगे। आप जानते ही नहीं सेठ की ड्योढ़ी पर कौन कौन ढोक बजाता है।
देखिये भाई साब ! आदमी ऐसे ही 'ओवरनाइट' सेठ नहीं बन जाता। सेठ बनने से पहले वह एक उद्यमी होता है। दिन रात एक करके उद्यम करता है, भाग दौड़ करता है। पसीना बहाता है। आप इंडिया में बिजनिस करना इतना आसान समझते हैं क्या ? आप पान की एक दुकान खोल कर देखें कितना चूना लगाने लोग आ जाएँगे। दूसरे शब्दों में आप कोई बिजनिस बिना जेब/मुट्ठी गरम करे, कर ही नहीं सकते। वो अब अगले की श्रद्धा है कि वह ब्रीफकेस में मानता है या सूटकेस में या फिर आपका हवाई जहाज ही जब-तब ले लेता है।
बहरहाल ! आप तो ये बताइये कि आपका क्या था जो नगर सेठ ने ले लिया या अगर आप उसे दस गाली देते हैं तो इससे आपका क्या लाभ और उसकी क्या हानि ? सब मन का खेल है। आपको क्या पड़ी है ये अग्निवीर बन कर इधर उधर आग लगाने की। अब कोर्ट ने कह दिया न कि खबरदार ! जो सेठ के बारे में कोई ग़लत बात की तो। अब क्या रह गया ? अब आप कहते फिरोगे कि सेठ ने कोर्ट मैनेज कर लिया। भैया ! जाओ आप को किसने रोका है। आप भी मैनेज कर लो। ले आओ कोर्ट से आदेश कि हमें सेठ को गाली देने, उसकी बुराई करने की छूट दी जाये। उसके अच्छे काम में भी बुराई देखने की फ़्रीडम दी जाये। वह बिजनिस में है आपकी तरह कलम घिस्सू नहीं जो ठाले बैठे बस कागज काले करने के अलावा कुछ जानता नहीं। यही कालापन तुम्हारे कारनामों मे उजागर हो रहा है। काली स्याही, काली कलम काला दिल। काले को सफ़ेद से स्वाभाविक बैर होता है। कोर्ट ने ये तो शुकर मनाओ ये नहीं कहा जो भी सेठ को बुरा बोले उसको चौराहे पर कोड़े लगाए जाएँ। क्या सेठ की कोई इज्ज़त नहीं होती ? कितना ही कम ज्यादा हो जाये तुमसे तो अधिक ही रहेगी। मुंह पर उंगली रख लो। उंगली नहीं बल्कि पूरा हाथ ही रख लो। और इस तरह रखो कि न बुरा देखो, न बुरा सुनो, न बुरा बोलो।
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