एक गाना है मैं उससे सहमत हूँ "....हमने एक रोज रुलाया तो बुरा मान गए” ऐसा ही कुछ एक नेतानी जी ने भी कहा है। देखिये जब मुहब्बत होती है तो मीठे-मीठे उलाहने दिये जाते हैं। तुमने मेरी नींद चुरा ली है, तुमने मेरा चैन चुरा लिया है। फाइनल स्टेज आती है जब कहा जाता है तुमने मेरा दिल चुरा लिया है। इस प्राॅसस में दिल की चोरी अल्टीमेट है। फिर उसके बाद चुराने को कुछ अगले के पास रह भी नहीं जाता। देखिये कोई चीज़ कितनी भी बुरी हो कोई न कोई अच्छाई उसमें भी होती है। जैसे कहते हैं न वक़्त ज़रूरत खोटा सिक्का काम आता है। यहाँ मैं इस बात से बच रहा हूँ कि किसने क्या किया। मेरा तो सिंपल काम है कि 'एज़ सच' वोट चोरी के क्या क्या फायदे हो सकते हैं। कोई भी करे, किसी देश में भी करे, कहीं भी करे।
1. वोट चोरी से चुना हुआ नेता हमेशा गुडी-गुडी बिहेव करता है। वह असलियत
जानता है और यह भी जानता है किसके सौजन्य से वह नेता जी बना बैठा है अतः उसकी
लाॅयल्टी और एकनिष्ठता सदैव अपने आका के साथ रहती है।
2. वोट चोरी के ख्याल अथवा ज़िक्र मात्र से नेता सचेत हो जाता है। यह एलर्टनैस
बहुत काम की चीज़ है। नेता सचेत हो तो अगला स्टेप सक्रिय बनने का है। सक्रिय नेता
ही सफल नेता होता है।
3. वोट चोरी से बने नेता को क्लीन शेव रहने की सलाह दी जाती है ताकि कोई
दूर-दूर तक यह न कह सके चोर की दाढ़ी में तिनका।
4. इससे कितने मैन आवर्स बचते हैं। भाई आप वोट देने जाओ, जाओ मत जाओ आप अपना कोई अन्य प्रोडक्टिव काम करो। देश की उत्पादकता बढ़ाने
की बहुत ज़रूरत है। ये चुनाव, वोट डालना, वोट गिनना, हमारे ऊपर छोड़ दो।
5. आप अब 75 साल में समझ ही गए हो कि नेता अपने आप एक
अलग ही वैरायटी है। वह भले किसी भी दल का हो। सच तो ये है कि आप अगर कल को नेता बन
जाएँ तो आप भी उन जैसे ही बन जाएँगे। बस आपको ही पता नहीं चलेगा कि ये कायाकल्प कब
हुआ।
6. आप सोचो ये चुनाव कितना खर्चीला प्राॅसस है। पोस्टर, स्याही। कागज़, ई वी एम मशीनें, इस काम में लगे बेचारे टीचर, गाड़ियों का काफिला और
भी न जाने क्या क्या? हमारे ग़रीब देश को ये सूट करता है क्या
? चोरी बड़ी किफ़ायती चीज़ है। उपरोक्त तमाम तामझाम की अपेक्षा
सस्ते में ही काम हो जाता है। आपको नेता चुनना है। आपने चुन लिया। अब घर जाइए।
हमने इसका क्रेडिट खुद नहीं लेना है, आपको ही देना है।
7. देखो ये चोरी को पता नहीं कब किस काल में और किसने एक डर्टी वर्ड बना दिया
यह डर्टी वर्ड नहीं। आदि काल से चल रहा है। आप बॉलीवुड की तरफ नज़र घुमाइए।
चोरी-चोरी, चोरी मेरा काम, चोर मचाये
शोर। हमारे बचपन में खेल भी होते थे। चोर-सिपाही, चोर-पुलिस।
फिल्मी गीत तो बिना चोर बन ही नहीं सकते। चोरी, चुरा लिया।
अतः चोर-चोरी कोई गलत काम नहीं। इसे हीन दृष्टि से देखना बंद करिए।
8. आप देखिये इससे कितने लोगों को रोजगार मिलता है। टी.ए. डी.ए. अलग, एक चुनाव क्षेत्र से दूसरे चुना जाना होता है। वो भी फटाफट। इससे देश की
एकता में, उसके एकीकरण में मदद मिलती है। कहावत भी है 'ट्रैवल मेक्स मैन कम्प्लीट'।
9. जब सब चोरी में लिप्त रहेंगे तो कौन किसे चोर कहेगा? हम सब चोर हैं। मुझे याद है एक बार नेता जी ने अपने वोटर्स से वोट की अपील
करते हुआ कहा था। मैं नहीं कहता मैं भ्रष्ट नहीं हूँ। आप तो उसे वोट दो जो सबसे कम
भ्रष्ट हो। आप मुझे ही कम भ्रष्ट पाएंगे। तो वोट चोरी में भी ये मायने नहीं रखता
कि आपने बीस वोट चुराये या बीस हज़ार।
10. अतः कृपया किसी को भी वोट चोर कहने से पहले सोचिए। अगला वोट चुरा क्यों
रहा है ? ईमानदारी से आप उसे चुनाव जीतने नहीं देते। एक
थानेदार जब एक हत्या की तफतीश के सिलसिले में एक गाँव पहुंचा तो लगा हलवाई की
दुकान पर दबादब मिठाई खाने। किसी ने कहा "साब ! आप किसी के मरे में आए हैं।
दुख की घड़ी है"। थानेदार बोला "भाई ये ठीक है खुशी में तुम बुलाओ नहीं
और दुख में मैं मिठाई नहीं खाऊँ। तब मैं मिठाई खाऊँगा कब ? अतः जब तक चले इस चोरी को चलाते
रहो चोर कौन है ? इसमें न जाएँ। मान के चलें चोर कौन नहीं ?
ज़ौक़ बहुत पहले कह गए हैं:
लाई हयात आए क़ज़ा ले चली चले
अपनी
ख़ुशी न आए न अपनी ख़ुशी चले
दुनिया ने
किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ
तुम भी
चले चलो यूँही जब तक चली चले
No comments:
Post a Comment