Ravi ki duniya

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Tuesday, December 9, 2025

व्यंग्य: बोल राधा बोल

 

राजकपूर दि ग्रेटेस्ट शो मैन ने एक फिल्म बनाई थी जो सन् 1964 में रिलीज़ हुई थी और एक बेहद सफल फिल्म रही थी। उसमें एक गीत जो राजकपूर महोदय ने खुद पेड़ पर चढ़ कर गाया है: 


तेरे मन की गंगा मेरे मन की जमुना का बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं


यह सीधे सीधे ‘लव जिहाद’ का मामला है। जिस पर हमारी नज़र ही नहीं गई बल्कि हमारी नज़र उधर से जबरन हटाई गई। लेकिन अब उस पर पड़ी धूल हटाई जा रही है। भले इसमें वक़्त लग गया।

 

अब देखिये नायिका जो शुरू में ही स्पष्ट मना कर देती है कि उसकी नायक के प्रस्ताव में तनिक भी रुचि नहीं है। वह ऐलानिया ‘नहीं... नहीं... नहीं ...’ कह उसे दुत्कार देती है। किन्तु यह जिहादी तो एक पूरा अजेंडा बोलो, मिशन बोलो, लेकर निकला है। वह हर हाल में अपने मिशन को सफल करना चाहता है। उसके ‘नहीं .... नहीं ’ कहने से उसका अपना अजेंडा पूरा करने का मंसूबा और मजबूत हो जाता है।  वह जारी रहता है। वह हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब की, परंपरा की याद दिलाता है। वह अपने मिशन को किसी भी हालत में कमजोर होते नहीं देखना चाहता। वह तरह-तरह की उपमा देता है यथा 'तेरे मन की गंगा मेरे मन की जमुना...' क्या आपको अब भी कोई संदेह है कि यह लव जिहाद का मामला नहीं है। अब अगली पंक्ति देखें:


'कितनी सदियाँ बीत गईं हाय तुझे समझाने में‘


 नायक यहाँ सल्तनत काल और मुग़ल काल से चली आ रही जबरन कनवर्जन की ओर संकेत कर रहा है। वह कह रहा है कि मैं जबर्दस्ती करूँ क्यों न उससे पहले ही तुम हाँ कर दो। इस पर पुनः नायिका उसे जा...जा कह भगा देती है। किन्तु नायक बरगलाने से बाज नहीं आता। वह सब्जबाग दिखाता है और उसे झूठे सपने दिखाता है:



क्यों न जहाँ दो दिल मिलते हैं, स्वर्ग वहाँ बस जाता है


 और तरह-तरह के उपक्रम कर नायिका को मजबूर करता है। वह इनडाइरेक्टली धमकाने से भी नहीं चूकता:


'पत्थर पिघले दिल तेरा नम होगा कि नहीं’


वह बता रहा है कि वह हिंसा का हामी नहीं। नहीं तो एसिड अटैक जो पत्थर को पिघला देता है और दिल को एकदम नम कर देगा सुलभ है। और नहीं तो सीधे- सीधे स्टैबिंग की चेतावनी दे रहा है। यह सुन नायिका घबरा जाती है आखिर वह संस्कारी भारतीय नारी है। उसका भयभीत होना व्यावहारिक है। अतः कोई और चारा न देख, न किसी कोने से सहायता आती देख वह मजबूरन:


 'जाओ न क्यूँ सताते हो होगा... होगा... होगा...’


कह चैप्टर बंद कर देती है और इस तरह एक और हिन्दू कन्या लव जिहाद का शिकार हो जाती है। पंगु समाज मूक दर्शक बना देखता रह जाता है। 

अब हम आ गए हैं। हम ऐसा हरगिज़ न होने देंगे। आप तो बस हमें वोट दीजिये फिर देखिये हम कैसे इन सब लव जिहादियों को ऐसा सबक सिखाएँगे कि आप देखना हम 'रिवर्स लव जिहाद' कर इनको ही कन्वर्ट कर लेंगे। याद रखिएगा यह नया भारत है। हम विश्वगुरु हैं। कोई शक़ ?

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