Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, March 28, 2010

हम दोनों की ही
कुबूल हो गयी दुआ
तेरे दिल को कभी दर्द न मिला
और मेरे दर्द को दवा

32.

हम जागते हुए भी
तमाम उम्र सोते से रहे
तुम्हें ख्वाब में मिलने का
वादा करना न था

33.

भीड़ में एक आदमी
आज फिर पहचाना सा लगा
बातें करता था अमनो ईमान की
कुछ कुछ दीवाना सा लगा

34.

अपनी जफ़ा का मजबूरी
नाम दिया है बेवफ़ा ने
आ मेरी वफ़ा !
मैं तुझे आज नया नाम दूँ.

35


इक लम्हे को तुम से मिले
क्या से क्या हो गयी मेरी ज़िंदगी
चाहत ने दी चाहत दर चाहत और ज्यादा
अज़ब अनबुझ प्यास हो गयी मेरी ज़िंदगी

36.


मैं क़यामत तक करूँगा तेरा इंतज़ार
सब कहते हैं आदमी की एक उम्र होती है
कितने ही पक्के क्यों न हो
सब कहते हैं रिश्तों की एक उम्र होती है

37.

सुर्खी है आज
हर इक अख़बार में
आदमी का भाव
गिर गया बाज़ार में

38.


झूठे को ही सही
एक बार रुकने को कह देते
दिल में मुहब्बत का
भ्रम रह जाता

39.

 
मेरे जैसे और भी मिल जायेंगे

तमाम घर इस जहान में

ऊँची दीवारें तो हैं

मगर खिड़की नहीं इन मकान में

खिलौना बिकते देख

अजब दर्द है बच्चे की ज़ुबान में

वो जानता है भूखी माँ

बेच रही है इसे नुकसान में.

40.



आँखें बंद कर लोगे तो

दिल में उतर जायेंगे

दोस्त ये लम्हे

बहुत दूर तलक जायेंगे
ऐ खुदा उन्हें लंबी उम्र दे

हर बात में

कहते हैं

तुम्हारे बिना मर जायेंगे.

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