Ravi ki duniya

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Saturday, March 20, 2010

एहसास

11.



कभी तुमसे सुलह की

कभी खुद से जिरह की

गरज कि हर शब-ए-ग़म की

हमने रो रो के सुबह की.

12.

तुम यूँ तो उस रात मेरे शहर में न थे

फिर भी गुनगुनी धूप का सुगंधी एहसास था

तुम मना कर गए थे तो क्या

फिर भी आओगे ये मेरा अंधविश्वास था.

13.

अपने सपनों का नायक बना लो मुझे

अपने गीतों का गायक बना लो मुझे

मैं तो बस ये चाहता हूँ

किसी भी तरह अपने लायक बना लो मुझे.

14.

दवा मत दे मुझे,मर्ज कुछ तो रहने दे

करार मत दे मुझे,दर्द कुछ तो रहने दे

इतनी मेहरबान न हो मुझ पर

इंसान और खुदा में फर्क कुछ तो रहने दे

15.

माली ने लूटा है आशियाँ मेरा

मेहरबानों ने लूटा है जहाँ मेरा
हमसफ़र जो थे कल तलक़

आज उन्ही ने लूटा है कारवाँ मेरा

16.

मेरे मर्ज-ए-इश्क़ की दवा हो गयी

हिज्र की रात की आखिर सुबह हो गयी

मैं काफिर हूँ ! काफिर ही सही

मेरी तो महबूब ही मेरी खुदा हो गयी.

17.
तुमसे बिछुड़ने के बाद कुछ यूँ अंधेरों का राज़ रहा.
एक चिराग को तरसती रही शब-ए-ज़िंदगी

लिखे थे बड़ी तवज्जह से चन्द हर्फ़ प्यार के
स्याही कुछ यूँ फिरी,हमी से न पढ़ी गयी इबारत-ए-ज़िंदगी.
18.

तुमसे दिल लगा के,उम्र भर के ग़म खरीदे हैं हमने
रातों की नींद गँवा के,चश्मे नम खरीदे हैं हमने

अब जो हो सब्र करना ही होगा

दिल सी चीज़ के बदले,पत्थर के सनम खरीदे हैं हमने

19.

छेड़ तो दूँ मैं तराना मगर साज़ नहीं है

गीत मैंने भी लिखे हैं मगर आवाज नहीं है

मुहब्बत,मुहब्बत मैं भी कर लेता

मगर वफ़ा का आजकल रिवाज नहीं है

20.

लो उम्र की एक तारीख और
तुम्हारे नाम कर दी

तुम ना आए, इंतज़ार में ही

शब तमाम कर दी.


(काव्य संग्रह 'एहसास' 2003 से )

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