Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Monday, March 8, 2010

ख़ुदा ये दिन भी 
दिखाए मुझको 
मैं रूठा रहूँ 
वो मनाये मुझको .

इतना आसां कहाँ 
हुनर बदले का 
हसरत ही रह गयी 
मेरी तरह वो सताए मुझको.

सब कुछ तो कहा 
बाकी क्या रहा 
अरमाँ अगर है तो 
आज वो भी सुनाये  मुझको 


बस एक तेरी चाहत में 
उम्र भर गाते रहे 
मैं क्या करूँ
दुनिया ने जो हार पहनाये मुझको.

सुना है मेरा नाम 
ना लेने का अहद उठाया है 
ये कैसी कसम है शाम-ओ-सहर 
वो गुनगुनाये मुझको 

दिल के खेल में सनम 
माहिर हो चले 
ग़ैर  की  महफ़िल में 
बेवफा बताये मुझको 


ऐ ख़ुदा दिल के हाथों 
इस क़दर मजबूर कर दे 
भले बात ना करे 
इक बार तो बुलाये मुझको 


मुझमें खामियां हज़ार 
मुझे कब इनकार 
काश वो मिटा के 
फिर से बनाए मुझको











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