आज नहीं तो शायद
कल पता चल जाए
कल पता चल जाए
ये मेरा इश्क है
तेरा हुस्न नहीं
तेरा हुस्न नहीं
जो ढल जाए
मुरीद हूँ इक तुम्हारा
अपनी आँखों में जगह दो मुझको
तेरे रहम-ओ-करम पर ज़िंदा हूँ
मिटा दो या बना दो मुझको
तेरी बेरुखी असर कर रही है बहुत धीरे धीरे
इक बार में ही सारा ज़हर पिला दो मुझको
शायद मेरी खाक ही तेरे काम आ सके
जिन्दा लाश समझ जला दो मुझको
साहिल तुम्हें जान ज़िन्दगी का सफीना मोड़ा था मैंने
बोझ अगर हूँ मैं तो फिर से बहा दो मुझको
तेरे इंतज़ार में ताउम्र जले हैं हम
आखिरी चिंगारी हूँ अब बुझा दो या हवा दो मुझको
लाख बुरा सही तेरी जवानी की तरह वादा-खिलाफ नहीं
यकीं न हो तो चाहे जब बुला लो मुझको
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