Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Wednesday, March 10, 2010

मेरा आज का शेर


मेरे हिस्से में तो उनकी 
बेरुखी भी न आई  
खुशकिस्मत  हैं वो 
जिनकी मुहब्बत को ठुकरा दिया तूने 



एक आंसू हमारा था, जो आँख से संभला नहीं 
एक आंसू तुम्हारा था, जो आँख से निकला नहीं
डाल दी है तोहमत, मैंने मुक़द्दर की पेशानी पे 
हकीकत ये है, मुझे तुमसे कोई गिला नहीं

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