Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Friday, March 5, 2010

मेरा आज का शेर

हसरत ही रह गयी साथ रहने की
कुछ तुम्हारी सुनने की, कुछ अपनी कहने की.
तुम मेरे सब्र का इम्तिहां न लो 
अभी नयी पड़ी है आदत ज़ख्म सहने की.
मेरे अश्क, फ़क़त मेरे हैं 
तुमने नाहक ही बात उठाई, मेरे अश्क पीने की.

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