Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Monday, March 8, 2010

महिला दिवस


अंधों के शहर में आईने बेचने निकले 
यार तुम भी मेरी तरह दीवाने निकले 
किस किस के पत्थर का जवाब दोगे तुम
महबूब की बस्ती में सभी तो अपने निकले 
वो हँस कर क्या मिले, तमाम शहर में चर्चा है 
तेरी एक मुस्कान के मायने, कितने निकले 
ऐ दोस्त कैसे होते हैं वो लोग, जिनके सपने सच होते हैं 
एक हम हैं हमारे तो, सच भी सपने निकले

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