तेरी स्मृति का
संबल ले
मैं उन्नति के
शिखर पर
विजय-पताका
लहराऊंगा.
एक तुम जो चलो
साथ मेरे
सच कहता हूँ
मैं तूफानों को
मैं तूफानों को
क़ैद कर लाऊंगा .
तुमसे पृथक
मेरी स्वतंत्र
सत्ता कुछ भी नहीं .
मैं , मैं नहीं
हूँ भी तो मेरी
हूँ भी तो मेरी
महत्ता कुछ भी नहीं .
तुम ही तो मेरी
सम्पन्नता हो .
मेरी प्रेरणा और
मेरी क्षमता हो.
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