Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Tuesday, March 30, 2010

एहसास

41.
मेरी पलकों पे तेरे ख्वाब रख गया कोई
मेरी साँसों पे तेरा नाम लिख गया कोई
चलो ये वादा रहा तुम्हें भूल जायेंगे
इस कायनात में गर तुम सा दिख गया कोई.
42.


तुम्हें तो मेरे बिना जीने की आदत पड़ जाएगी
देखें मेरी बेखुदी मुझे कहाँ ले जाएगी
मौसम आयें जाएँ,बदला करें, किसे परवाह
क्या बहार मुझे देगी ? खिंजा मेरा क्या ले जाएगी ?


43.
तरक्की के आसमां पर चमको तुम चाँद बन कर
शोहरत के बाग़ में महको गुलाब बन कर
तुम बिछुड़ पाओ हमारे दिल से ये तो मुमकिन ही नहीं
हमेशा साथ रहोगे ख्वाब बन कर
44.
दूर क्षितिज पर जब दिन ढले
साँसों के स्पर्श से जब तन जले
आओ समाज की सीमा से आगे बढ़ चलें
और उस नीम के वृक्ष तले हम-तुम गले मिलें
45.
मेरी खुशियों के दिन की रात हो गयी
ज़माना लाख कहे मुहब्बत में ऐसा ही होता है
कौन सी नयी बात हो गयी
पर तेरा ग़म भी प्रिये मेरे लिए बड़ी बात हो गयी.
46.
यादों का दूसरा नाम तड़पन है
तेरे आने का दूसरा नाम तेज धड़कन है
अधिकार की बात मत करो प्रेम में
प्रेम का दूसरा नाम समर्पण है
47.
कैसा खौफ़े अलमबरदारी
किससे ये शरमसारी
मैंने कब तुम्हें इस
दुनियाँ का बता रखा है .
न ये झिलमिल सितारों की चमक
न नूर खुदा का जलवागर
मैंने तो बस तेरे ख़्वाबों को
अपनी पलकों पे सजा रखा है.
48.
तेरा इखलाक बुलंद रखने को हमने
क्या क्या स्वांग रचाए हैं
कभी दिल, कभी इज्ज़त
कभी जान हथेली पे लाये हैं
वो और होंगे जो गुंचों की तलाश में
भटकते रहे गुलशन-गुलशन
हम तो बस अपने दामन में तेरी रहगुज़र के
तमाम काँटे समेट लाये हैं.
49.


तितलियों की बस्ती में
फूल ने खुदकुशी कर ली
रोज़ मचाता था वो 'जागते रहो' का शोर
आज सुबह उसी ने रहजनी कर ली
यारब अब क्या होगा इन मुसाफिरों का
सुना है मांझी ने
तूफाँ के यहाँ नौकरी कर ली .
50


गुमगशता रातों में चाँदनी के फूल चुनते हुए
मैंने देखा है तुम्हें सपनों के गजरे बुनते हुए
तुम नहीं गा रहे थे कैसे यकीन करूँ
मैं सोया हूँ हर रात तुम्हारे नगमे सुनते हुए

(काव्य संग्रह 'एहसास' से )



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