Ravi ki duniya

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Monday, February 1, 2010

आमचा माइकल

डियर जैक्सन


हाय !


पिछले दिनों पूरे भारत के पेपरों,टी.वी.,रेडियो,पोस्टरों में आप ही आप छाए रहे. आला रे आला आमची मुंबई में आमचा पोरा माइकल आला रे. ओर्गनाइजेरों ने साफ़ कह दिया खाली पीली लफड़ा नहीं माँगता, क्या ? आपने तो देखा होगा कि अब हिंदुस्तान में समस्या रोटी,कपड़ा,मकान की नहीं है. (भारत कुमार कृपया दूसरा विषय ढूँढ़ें ) रोटी की समस्या अब कहाँ,अब सब नूडल्स खाते हैं.पिज़्ज़ा खाते हैं और कोल्ड ड्रिंक पीते हैं. साथ ही लाखों के इनाम भी जीतते हैं. कौन जाने इनाम में किसकी कार निकल आए. जी हाँ स्पेशल कार जो पेट्रोल से नहीं पेप्सी से चलेगी. इससे पर्यावरण सुरक्षित बना रहेगा.पहले हिंदुस्तान में प्याऊ होते थे अब जगह-जगह कोल्ड ड्रिंक के फाउंटेन हैं. आपने एक बात और नोट की होगी कि इतनी सारी सौंदर्य-प्रतियोगिताओं के चलते अब कपड़ों की कोई समस्या नहीं रही है. नवीनतम फ़ैशन कपड़े उतारने का है या कम से कम पहनने का है. सुनते हैं अब मल्टी-नेशनल कच्छे बनियान की मार्किट में उतरने वाले हैं. फिर हम लोग डिजाइनर्स कच्छे-बनियान पहना करेंगे. बच्चू बहुत पहन लिए पट्टे वाले पाजामे अब तो बड़े बन जाइए.


आपने अपने थिरकते पाँव से मेरे भारत महान को और महान तथा पवित्र कर दिया है. अब मैं भी अपने नाती-पोतों को बता सकूँगा मैंने आपको नज़दीक से देखा था और कैसे आपने तिरछी नज़र से अपने डार्क चश्मे से मेरी ओर देख कर ‘फ्लाइंग किस ‘ उछाली थी. हाय कैसा रोमांच होगा. बिल्कुल वैसा ही जैसा उन्हे लगता है जो कभी गांधीजी के साथ जेल में रहे थे या नेताजी के साथ जंगल में. यहाँ अधिकतर को मालूम नहीं है लेकिन मुझे पता है कि आप दरअसल भारतीय मूल के हैं और जब आपको यहाँ नौकरी नहीं मिली तो आप विदेश चले गए. आप और कोई नहीं अपने जै किशन भैया हैं. जिसे अपनी माँ से बहुत प्यार था और उसी ने एक रात अपनी गहनों की पोटली आपको सौंपते हुए कहा था “ म्हारा लाल है तो बिना नाम कमाये लौट के मती आना” बस तभी से ये ‘माई का लाल जै किशन’ माइकल जैकसन हो गया. ऐसे अन्य बहुत उदाहरण है जिनमें भारतीय वैज्ञानिकों और लेखकों ने विदेश जा कर ही अपने घर के चूल्हे और भारत का नाम दोनों रोशन किए हैं. मेरी तो खुशी का ठिकाना ही न रहा जब पता चला कि अपने जै किशन भैया इंडिया आता है. हाय सो स्वीट. पहले तो पश्चिम वाले आपको कबूल ही न करते थे. फिर इंजेक्शन से एक दिन आपको सांवले से गोरा होना पड़ा. वहाँ के कई और तौर तरीके अपनाने पड़े जिनके किस्से हम अखबारों में पढ़ते रहते हैं.


क्या हुआ अगर आपने महंगे होटल के अपने सबसे महंगे कमरे के शीशे पर “ आई लव यू इंडिया” में इंडिया की स्पेलिंग ही गलत लिख दी. बड़े लोग हैं. कौन जाने कल आपसे प्रेरित हो कर हम खुद अपने देश का नाम वैसा ही लिखने लगें. ‘ लाली देखन मैं गयी मैं भी हो गयी लाल’. कहते हैं जै किशन भैया आप जाते जाते अपना टोपा भी यहीं सौंप गए हैं. मैं समझ गया हूँ ये मेसेज है. गुजराती में कहते हैं ‘ मैं आऊं जू’ मराठी में कहते हैं ‘मी जाउन येतो’ और पंजाबी में कहते हैं “ हुणे आन्दा’. मेरे देश के इतने नौजवान और नवयुवतियाँ आपकी दीवानी हैं यह मुझे अभी पता चला.स्टेडियम में कौन नहीं था. फ्री पास वालों से लेकर हज़ारों रुपये के टिकट वाले स्टालों में सभी तो थे. क्या स्मगलर क्या स्ट्रगलर. क्या नेता क्या अभिनेता. टीन एज स्टूडेंट और उनके ओवर एज मॉम एंड डैड. ये समझ लो कि भैया जै किशन अगर तुम कहीं राजनीति में आओ तो चुनाव मुंबई से ही लड़ना. फिर देखना अव्वल तो कोई विरोधी खड़ा ही नहीं होगा. और अगर ये भारतीय संस्कृति वाले गठजोड़ करके कोई षड्यंत्र रचें भी तो ‘वानदा’ नहीं. सबकी ज़मानत ज़ब्त, खल्लास. बस ध्यान रहे चुनाव लड़ना है तो मुंबई से कहीं आप नांदियाल या पीलीभीत नहीं पहुँच जाना. फिर हमें कुछ नहीं पता, हाँ.


कुछ नासमझ लोग आपके इस ट्रिप को लेकर बावेला मचाए थे. आप तनिक भी ध्यान मत देना. ये तो हैं ही सिरफिरे. जरा कोई दो घड़ी हंस कर बोल ले तो इनके सीने पे साँप लोटने लगता है. अपने अमित (अमिताभ बच्चन) से पूछो कैसे नाक में दम किए रहे कि ब्युटि कंटेस्ट मत कराओ. अरे अभागो ! अमिताभ दिखा रहा था तो देख लेते. अब ऊपर जाकर क्या मुँह दिखाओगे.


सच तो ये है कि हम हिंदुस्तानियों को खाने-पीने का सलीका तो है नहीं अब दोष किसे दें. ये तो भला हो इन विदेशियों का ‘मिनरल वाटर ‘ ले आए तो अपुन भी साफ़ पानी पीने लगे. नहीं तो कीटाणुओं वाला पानी पी- पी कर ही मर जाना था. नमक, चटनी और सूखी रोटी खाने वाले क्या जाने केंटकी चिकन का स्वाद लेकिन आप घबराना नहीं . धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा. जब चाय चली थी तो भी ये लोग ऐसे ही चीखे-चिल्लाए थे कि दूध कि नदियों वाले इस देश में चाय पी कर लोग बीमार हो जायेंगे. मगर आज देख लो बीमार अच्छे होने को चाय पीते हैं और अच्छों अच्छों से चाय के बिना बिस्तर से हिला नहीं जाता. आपके विरोधियों ने आपकी शान में यहाँ अनाप-शनाप बातें फैला दी थी मगर फिर सब ठीकठाक हो गया है (करवा दिया गया है ) और अब सब आपको भारतीय संस्कृति का संरक्षक मानने लगे हैं. ये ही टाइम है आप कुछ कर दिखायें. हाँ थोड़ा कोर्ट-कचहरी से दूरी बनाये रखना. यहाँ बड़े-बड़े लखू भाइयों का अचार डाल देते हैं. शो में आपकी एंट्री जोरदार रहती है. ऐसी ही कुछ जादूभरी एंट्री अपने को यहाँ के राजनीतिक नक्षत्र पर करनी है. कौन जाने आपको बड़ी-बड़ी पार्टियों की सपोर्ट आनन-फानन में हासिल हो जाए. हाँ इसके लिए आपको अपनी हिन्दी सुधारनी पड़ेगी. लटके-झटके तो आप में हैं ही. आप चाहेंगे तो मतदान की आयु भी 18 बरस से घटा कर 13- 14 बरस की जा सकती है. नया युवा हृदय सम्राट या नया ‘बाल हृदय सम्राट’


मेरे देश में अनेकानेक समभावनाए हैं आप जहाँ हाथ डालेंगे दौलत आपके कदमों में लोटने लगेगी. मैं जानता हूँ अब आपको इसकी कोई दरकार नहीं है मगर हमारी आँखों को भी नया सपना चाहिए जय किशन भय्या. मेरे देश में आज भी आधी से ज्यादा जनता गरीबी रेखा के नीचे रहती है. यहाँ माता-पिता अकाल के दिनों में अपने बच्चों को चावल के बदले बेच देते हैं. यहाँ अफसर और नेता मिलकर जानवरों का चारा तक खा जाते हैं और देश के प्रधान मंत्री रिश्वत,भ्रष्टाचार में अदालतों के चक्कर लगाते फिरते हैं.


आई लव यू, कम सून माइकल .

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