Ravi ki duniya

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Wednesday, February 17, 2010

मॉडल साबुन


( क्या भारत जैसे देश में हमें इतने सारे साबुनों की ज़रूरत है ? यदि हाँ तो ये साबुन भी चाहिये )
जब से  मेरे घर में पता चला है कि मिस यूनिवर्स अमुक  साबुन से नहाने के बाद मिस यूनिवर्स बनी है मेरी पत्नी ने घर में पड़े साबुन के सारे स्टॉक को फेंकने की तैयारी कर ली.मैंने बहुत समझाया भाग्यवान फेंक क्यों रही हो ? और कुछ नहीं तो हमारी बाई को ही दे दो. वो इठला इठला के सबको बताएगी कि 286 नंबर वाली मेमसाब ने दिया है तो पूरी कॉलोनी में तुम्हारी धाक जम जायेगी. मुझे आश्चर्य तब हुआ जब जब हमारी बाई ने पुराने साबुनों को लेने से इंकार कर दिया और नाक भौ सिकोड़ कर चली गयी कि उसने तो पहले ही मिस यूनिवर्स वाले साबुन से नहाना शुरू कर दिया है. मजबूरन अब पुराने नहाने वाले साबुन के स्टॉक को चुपके-चुपके कपड़े धोने के काम में ला रहें हैं.हालांकि उसमें भी ख़तरा है. मुझे कोई बता रहा था कि उसने शमशान में दो मुरदों को बात करते सुना था. एक कह रहा था इसका कफन मेरे कफन से सफ़ेद क्यूँ है ?”  तभी दूसरा मुर्दा उठ बैठा और जेब से साबुन निकाल कर बोला यह तो जिन्न साबुन का कमाल है. जिन्न की चमकार बार-बार.
आजकल इतने साबुन मार्केट में आ गए हैं कि कोयला भी ऊजरा हो जाए. अक्सर सुनने में आता है कि अमुक नेता या अमुक पार्टी मूल्यों की राजनीति करती है. मेरी समझ में दो बातें नहीं आतीं. एक तो यह मूल्यों की राजनीति क्या बला होती है ? दूसरे ऐसे नेताओं का मार्केट में क्या मूल्य होता है ? बहुत अधिक होता होगा. कितना ? पता नहीं. खरीद-फरोख्त के समय ही सेल लगती होगी. हमें तो केवल उनके हृदय परिवर्तनअथवा घर लौटने का ही पता चलता है. दूसरे वर्ग के नेता मुद्दों के राजनीति करने की बात कहते हैं. मैंने अधिक जानना चाहा तो मुस्करा के टाल गए. उनका कहना था गुड़िया-गुड्डे की तरह मुद्दे भी पहले तो बनाये जाते हैं. उनसे खेला जाता है और फिर उन्हें भुला दिया जाता है. हमको नया मुद्दा माँगता है. वे हमें देते हैं ताकि हमारे कॉफी हाउस और 'ड्राइंग रूम क्रांतिकारियों' तथा 'आराम-कुर्सी बुद्धिजीवियों' को मेटेरियल मिलता रहे. 

भारत जैसे गरीब देश में 136 तरह के साबुनों की क्या ज़रूरत है. गहन चिंतन के बाद यह बात समझ में आई कि हम लोग शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से साफ़ नहीं हैं. बात राजनीतिज्ञों की हो रही थी. पता नहीं वे किस साबुन से नहाते हैं. कितने ही घोटाले,कितने ही स्केण्डल  कर लें, उजले के उजले ही बने रहते हैं. क्यों नहीं सरकार चुनाव खर्च की तरह नेताओं के रेट भी तय कर देती. सभी को अपने रेट पता होंगे तो देश में मूल्यों की राजनीति करने में कितनी आसानी हो जाएगी. भला हो इन रेडियो, टी.वी. वालों का नहीं तो हमें पता ही नहीं चलता कि  साबुनों में इतनी ढेर सी खूबियाँ होती हैं. एक साबुन से मिस यूनिवर्स बना जा सकता है तो दूसरे साबुन से नहाने के बाद आप यदि फुटबाल खेलें तो तड़ातड़ गोल करते जायेंगे (बशर्ते विरोधी टीम भी इसी साबुन से न नहाती हो) एक साबुन तो ऐसा भी बताते हैं कि  पानी में रखे रहो घुलता ही नहीं है. कहते हैं इस से नहाते वक्त बाथरूम में शानदार टब और म्यूजिक सिस्टम भी जरूरी है.अब बहुत जल्दी मिर्च, अदरक, और लहसुन के साबुन मार्किट में आयेंगे. आप आश्चर्य कर रहे होंगे. अरे भाई, अगर नींबू की सनसनाहट वाला साबुन हो सकता है तो अदरक-लहसुन की चरपराहट वाला क्यूँ नहीं.
एक बड़ी डिटर्जेंट साबुन की कंपनी में जब पब्लिसिटी की बात आई तो किसी ने सुझाया हम कह सकते हैं कि यह साबुन पानी में कम घुलता है. तभी किसी ने कहा ऐसा तो पहले भी कई साबुन कह चुके हैं. तय हुआ कि कहा जाए हमारा साबुन घुलता ही नहीं और कपड़े साफ़ हो जाते हैं  तभी एक ने राय दी कि मात्र इतना काफी नहीं है कुछ नयापन होना चाहिये. अतः इस बात पर रजामंदी हुई कि नया नारा होगा हमारे साबुन में खास ऐसे तत्व हैं कि  पानी और कपड़े के टच में आते ही साबुन घिसने की बजाय आकार में बढ़ता जाता है यह हुई न बात. सब एक दूसरे से गर्व से कहेंगे अब पता चला ये टिकिया मैंने क्यूँ ली
कोई साबुन त्वचा को खिंचने से रोकता है, तो कोई उसे नर्म मुलायम बना देता है. उस दिन एक आधुनिक वृद्धा से बात हो रही थी उसने बताया की गलत साबुन के इस्तेमाल से उसके चेहरे पर असमय ही झुर्रियाँ आ गयी हैं अन्यथा वह तो अभी थर्टीज में ही है. मेरी त्वचा से मेरी उम्र का अंदाज़ा ही नहीं होता

अब कुछ नए साबुनों की एक झलक देखिये. ये शीघ्र मार्किट में आने वाले हैं.

बैंक सोप : आप कितने ही स्केम,घोटाले कर लें. कानून के सख्त-सख्त खुरदरे हाथ आपकी त्वचा तक नहीं पहुँच पायेंगे. आप सदैव सुकोमल और भोले-भाले बने रहेंगे.
चीनी सोप : आप चीनी आयात के क्षेत्र में हो या चीनी ब्लेक करने के क्षेत्र में हमारे चीनी सोप से नहाने के बाद आपकी ज़ुबान में, आपकी शख्शियत में ऐसी चाशनी घुल-मिल जाएगी कि कोई भी खोजी पत्रकार या विपक्षी दल आपके ख़िलाफ़ कड़वा न बोल पाएगा.
बोफ़ोर्स सोप : इस सोप से नहाने के बाद आप की त्वचा बड़े से बड़े बोफ़ोर्स के पतझड़ी झोंके और विपक्ष के तूफानी थपेड़ों को हँसते-हँसते सह सकती हैं. यह वाकई काफी बड़ा है.
फ़ॉरेन हैंड सोप : इस सोप से हाथ-मुँह धोने मात्र से ही आप देश में कोई भी अपराध करें इसकी सिफ़त ऐसी है कि हमेशा आरोप विदेशी ताकत के ऊपर ही लगेगा. इसकी खुशबू इतनी फ़िरंग है की आप साफ़ बचे रहेंगे.
रिजर्वेशन सोप : यह एक प्रकार का विशुद्ध भारतीय हर्बल सोप है. इस से नहाने के बाद विरोधी गुट की गरम हवाएँ आपकी त्वचा को काट-फाड़ नहीं सकती.आप सदैव मुस्कराते-मुस्कराते सत्ता की सीढ़ियाँ चढ़ते चले जायेंगे.
चोली सोप : यह वह कंपनी है जिसका अत्याधुनिक प्लांट बम्बई में है. चोली सोप बापरनेके बाद आप एक से बढ़ कर एक लहंगा,तकिया और खटिया मार्का गीतों का सृजन कर सकेंगे. इस साबुन को घर में लाइए और आप पायेंगे की इन गीतों को लिखने,गाने और देखने वाले को शालीनता के कीटाणु छू भी नहीं सकते. आप इस से हरदम प्रोटेक्टडरहते हैं.
टैस्कर सोप : आप सोचते होंगे ये कौन सा सोप है. यह आयतित तेल से लेटेस्ट तकनीक में बना वह सोप है जिस से नहाने-धोने के बाद आप सोने के बिस्किट से लेकर हेरोइन की तस्करी खुलेआम कर सकेंगे और कोई आपका बाल बांका न कर सकेगा. आप एकदम रेशम-रेशम की तरह निकल लेंगे.असल में पुराने तस्कर छाप साबुन को ही अनिवासी भारतीय के कंपनी खरीद लेने के बाद नया नाम टैस्कर सोप दिया गया है.
जनाब ! नये-नये साबुनों की यह खोज यहीं समाप्त नहीं होती है.हमारी आवश्यकतायें व गंदगी जिस रफ़्तार से बढ़ती जाएगी हमारा रिसर्च एंड डवलपमेंट विभाग नवीनतम साबुन आपकी सेवा में लाता रहेगा. इधर बढ़ती हुई सौंदर्य प्रतियोगिताओं ने जिन दो चीज़ों को बहुत बढ़ावा दिया है उनमें एक तो है खुले-खुले बदन दूसरे उन पर पड़ने वाली खराब-खराब नज़र और उसे धोने के लिए तरह तरह के सोप . मैंने तो अब मिस यूनिवर्स वाला टूथपेस्ट भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. मुझे गर्व है मिस यूनिवर्स और मुझमें अब तो कई बातें कामन होती जा रही हैं.

(व्यंग्य   संग्रह मिस रिश्वत1995 से )

2 comments:

  1. बहुत सही लिखा है आपने , यहाँ रोटी की आवश्यकता है ।

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  2. ठीक से गिन लिया है न . साबुन १३६ तरह के ही हैं या उससे भी ज्यादा। अच्छा लगा।

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