Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Wednesday, September 11, 2024

व्यंग्य: नेता जी का पी.ए. बनाने को ठगे 14 लाख

 


 

           अखबार में खबर है किसी ने एक बंदे को यह कह कर 18 लाख ठग लिए कि उसको वह नेता जी का पी.ए. लगवा देगा। मैं सोच रहा हूँ जिसका पी.ए. बनने को इंसान 18 लाख देने को तैयार हो गया उस नेता ने खुद नेता बनने को  कितने लाख या कितने करोड़ दिये होंगे। ये प्रकरण इस बात को भी साबित करता है कि लोग पी.ए. जैसी नौकरी पाने को 18 लाख दे रहा है उसके मन में क्या रहा होगा। उसने भी तो कोई योजना बनाई होगी कि कैसे कितने वक़्त में ये 18 लाख वसूल करने हैं। अर्थात कब कितने समय में ब्रेक ईवन हो जाएगा। उसके बाद कितने और कमाने हैं। बहुत महत्वाकांशी मंसूबे रहे होंगे। मगर सब जाली निकला। यह प्रकरण आईना है हमारे समाज का।

 

                  मैं सोच रहा हूँ उसने ये 18 लाख क्या कह कर इस इंसान से ऐंठे होंगे। किसको देने हैं ? कौन लेगा ? क्या ये किश्तों पर दिया है या एक मुश्त। ज़ाहिर है कैसे-कैसे सब्ज़बाग़ देखे-दिखाये गए होंगे। यूं लगता है ये बंदा जिसने 18 लाख दिये हैं वो भी कोई पहुंचा हुआ ही होगा। मगर ये तो बहुत बुरा हुआ। शराफत का ज़माना ही नहीं। अब वो कैसे कैसे लौटाएगा या फिर किसी और का पी ए बनाने का अरमान रखेगा। क्या पता अब वो खुद किसी को अपना पी ए रख ले खासकर जो उसके 18 लाख उसको वापिस दिलवा सके। मोडस-ऑप्रेंडी तो पता चल ही गई है। आगे वह खुद मार्ग प्रशस्त कर लेगा। कर लेना चाहिए। कैसा पी.ए. है जी ? क्या पता ये उसका प्रेक्टिकल टेस्ट हो ! क्या कहते हैं उसे ? हाँ ट्रेड टेस्ट !

      जितनी भी ठग विद्याएँ हैं सबके मूल में है इंसानी लालच। पैसे दुगने- तिगुने करने का भ्रम और वो भी जल्द से जल्द। अब वो ज्यादा शोर मचाएगा तो हो सकता है पुलिस उसी को रिश्वत देने के जुर्म में गिरफ्तार कर ले। अब तो पुलिस जानती भी है कि ये जब पी.ए. बनने को 18 लाख दे सकता है हमारे से छूटने को नौ लाख तो देगा। कई बार मैं सोचता हूँ ये सज्जन क्या रोल- मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं अपने बच्चों को। उस पर तुर्रा ये कि जब ऐसे लोग पकड़े जाते हैं तो सब तोहमत अपने बीवी-बच्चों पर ही डाल देते हैं “ये सब मैं तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूँ”।

  

       यह जो एक क्लास पैदा हो गई है “मैं तुम्हारा काम करा दूंगा...इतना लगेगा”। आप खुश ! घर बैठे-बैठे काम हो जाता है। ड्राइविंग लाइसेन्स हो, राशन कार्ड हो, आधार कार्ड हो, पैन कार्ड हो। बीमा हो, टेक्स हो। बस एक फीस, एक गुडविल मनी लगेगी। मुंबई की भाषा में जिसे गुड लक मनी बोलते हैं। बस अब पूरे समाज का दारोमदार इसी बात पर है कि आप अपने लक को गुड बनाने को कितना गुड़ डालने को तैयार हो। आपको तो पता ही है गुड़ एक खाने वाली विशुद्ध भारतीय वस्तु है और गुड़ खाने से डायबिटीज़ भी नहीं होती।

No comments:

Post a Comment