Ravi ki duniya

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Monday, September 16, 2024

व्यंग्य: गंगा डांस-गंगा साफ



                 स्वप्न सुंदरी जी ने गंगा किनारे हरिद्वार में गंगा साफ करने हेतु गंगा डांस किया है। इसी लाइन पर श्री श्री ने जमुना साफ करने हेतु जमुना किनारे डांस का एक फुल कल्चरल प्रोग्राम किया था। लोगों का कहना था इतना कूढ़ा-कबाड़ा पीछे छूट गया था कि बजाय साफ होने के जमुना और ज्यादा प्रदूषित हो गई थी। अब देखते हैं गंगा डांस देखने के बाद गंगा कितनेक साफ होती है। हम भी यहीं हैं, गंगा भी यहीं है और स्वप्न सुंदरी भी यहीं हैं। अगर गंगा को और ज़रूरत पड़ी तो और डांस ऑरगनाइज़ किए जा सकते हैं। हमारे देश में गंगा कई प्रदेशों से गुजरती है अतः कहीं कत्थक, कहीं मणिपुरी, कहीं छाऊ, कहीं गरबा, कहीं भांगड़ा, कहीं डांस की कोई अन्य विधा।  


             बस इतनी सी बात थी और हम न जाने हजारों करोड़ रुपये इस मद में वेस्ट करते रहे। एक डांस और गंगा का मिजाज साफ हो जाता, तबियत साफ हो जाती। यदि एक डांस से इतना सब कुछ हासिल किया जा सकता है तो क्यूँ न “मैं नाचूँ...तू नाचे...” देखो कितना सिम्प्लीफाई कर दिया है। ये इसी तरह है जैसे मिसकॉल से पॉलिटिकल पार्टी की सदस्यता हासिल करना, अथवा विश्वशांति के लिए एक मिस कॉल और बस हो गई आजीवन सदस्यता, हो गई विश्व शांति। बेकार में ही दुनियाँ भर में जा-जा कर भाषणबाजी, सुलह-सफाई।

 

              प्रश्न ये है कि यदि यही डांस विपक्ष की नेत्री करे तो भी क्या गंगा साफ होना स्वीकार कर लेतीं। या कि फिर डांस किसी सत्तासीन का ही होना है। डांस कौन सा हो और कितनी देर तक का होना चाहिए ? समझो कोई अन्य पार्टी डांस आयोजित करती है ? दूसरे यदि यह फार्मूला साबित और स्वीकार हो जाता है तो यही मौका है कि सड़क मंत्री सड़क किनारे डांस कर सकते हैं, अथवा करा सकते हैं।  लो जी पलक झपकते सड़क के सब गड्डे भर गए। पुल के नीचे पुल डांस किया और देखते देखते जर्जर पुल एकदम मजबूत हो गया। गिरते हुए पुलों का एक ही सहारा – पुल डांस। खाद्य मंत्री ने राशन डांस कराया पता चला सब दर्शकों का पेट भर गया। सालों नहीं तो कम से  कम महीनों तक अन्न की ज़रूरत ही न रहे। कितना म्यूजिकल माहौल रहेगा, आज किसी का डांस है कल किसी और का। डेट्स की एडवांस बुकिंग चलती। सबसे शानदार डांस प्रोग्राम होता रक्षा और गृह वालों का। बॉर्डर पर नृत्य-नाटिकाएँ चलतीं। देश में कहीं भी दंगे की आशंका होती दूसरी तरफ किसी न किसी का डांस चालू हो जाता।

 

         इस सारे प्रकरण में एक लोचा है ये पता कैसे लगेगा कि कौन सा डांस किस प्रयोजन के लिए करना है। जैसे हमारे देवताओं के अलग-अलग दिन होते हैं, पूजा पद्धति होती है और स्तुति गान होते हैं ये सब लिपिबद्ध है मगर किस काम को सिद्ध करने के लिए कौन सा डांस लगेगा यह कैसे पता लगेगा ? गलत डांस हो गया तो अलग पंगे। जैसे जादू-टोने का कहते हैं कि यह उल्टा पड़ जाये तो फिर अलग से और बड़े जादू टोने की ज़रूरत पड़ती है। अतः जगह-जगह डांस पर डांस चल रहे हैं। कहीं पुल के नीचे, कहीं सड़क के बीचों-बीच, कहीं नदी किनारे, कहीं पानी के ऊपर, कहीं पानी के नीचे। देखिये इतिहास में ऐसा दर्ज़ है कि जब तानसेन दीपक राग गाते थे तो दीप जल जाते थे। अतः इसी लाइन पर यह क्यों नहीं संभव कि आप फलां डांस करें तो आपका फलां काम बन जाएगा।


            मैं चलूँ जरा डांस की प्रेक्टिस का टाइम हो गया है।  

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