Ravi ki duniya

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Friday, September 6, 2024

व्यंग्य: स्कूटी चोरी और एफ.आई.आर. के 75 दिन

                    

                       नौयडा पुलिस ने एक स्कूटी की चोरी की रिपोर्ट लिखने में 75 दिन लगा दिये। वह भी तब लिखी जब बंदे ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा लिया और दुनियाँ भर के दरवाजे खटका लिए। वह बेचारा डिलिवरी बॉय था स्कूटी किराये पर ली हुई थी। कहीं डिलिवरी को गया और पीछे से कोई उसकी स्कूटी ही उठा ले गया। अब शुरू हुआ उसका दर-दर, दफ़्तर-दफ्तर चक्कर थाने से थाने, पर उसको एफ. आई.आर. लिखवा पाने में सफलता नहीं मिली

 

                   अब बेचारी काम की मारी नौयडा पुलिस भी क्या करे उसकी जान को क्या एक काम है?  कभी वी.आई.पी. ड्यूटी, कभी मर्डर, कभी सुसाइड, कहीं डकैती, कहीं चोरी। कहीं ड्रग्स, कहीं छिनैती तो कहीं नाले में लाश। एक जान सौ झंझट। साला ! ये भी कोई नौकरी है ? अब आप ही बताओ इस तरह के संगीन माहौल में एक स्कूटी की रिपोर्ट लिखने में टाइम तो लगता है। शिकायतकर्ता ने जगजीत सिंह को ठीक से सुना ही नहीं। वो पहले ही कह गये थे प्यार की पहली चिट्ठी लिखने में वक़्त तो लगता है । यहाँ चोरी-डकैती और साइबर क्राइम से फुर्सत मिले तो स्कूटी की ओर ध्यान जाये। 


                           ये ऐसे ही है जैसे कोई अपनी साइकिल का रोना रोये। अरे भैया ! यहाँ देश की सुरक्षा और शहर का लॉ एंड आर्डर  देखें, नित नये वी.आई.पी. रूट देखें या स्कूटी की रिपोर्ट लिखें। न जाने कहाँ से चले आते हैं ये स्कूटी की भी रिपोर्ट लिखाने। कौन है इसका आविष्कारक ? ये क्या खिलौना सा चला दिया है, सो ईज़ी टू स्टील। और मुसीबत हमारी बढ़ा दी। अब इनकी स्कूटी पर भी नज़र रखें। भैया ! यहाँ एस.यू.वी. चोरी हो रहे हैं सोसाइटी में घुस कर लक्जरी कार उठा ले जाते हैं, वो तक तो मिलती नहीं हैं न जाने कब में वो नॉर्थ ईस्ट या नेपाल जा पहुँचती हैं। या यहाँ पड़ोस के शहर में ही ताबड़तोड़ काट दी जाती हैं। अब कोई स्कूटी को तो काटने से रहा। जितने की मेहनत लगेगी, उसकी लागत भी न निकलेगी। पता नहीं ये स्कूटी चलाई ही क्यूँ गयी है ? न ये साइकिल है, न ये स्कूटर है और इसके चोरों को पकड़ते हम फिरें। भाई अगर ये ऊटपटाँग चीज़ आपने ले ही ली है तो इसका रक्षा-कवच भी स्कूटी बनाने वालों को देना चाहिए। और नहीं तो जो खरीद रहा है ये उसकी जिम्मेवारी है- 'सवारी अपने सामान की रक्षा स्वयं करे' । पुलिस को और भी ज़रूरी काम होते हैं। जो स्कूटी से कहीं ज्यादा भारी और कीमती होते हैं। 


                         फिर मैंने सोचा ये बेचारा डिलिवरी बॉय एफ.आई.आर. कराने को पीछे क्यूँ था?  वो गाना है न 'मैं तुम्ही से पूछती हूँ मुझे तुमसे प्यार क्यूँ है....कभी तुम दगा न दोगे ये ऐतबार क्यूँ है'  पता चला कि बेचारे डिलिवरी बॉय ने ये किराये पर ली, मालिक तो पैसे माँगेगा या स्कूटी माँगेगा। आप कहेंगे चोरी हो गई, तो वो कहेगा एफ.आर.आर. लिखाओ क्यों कि बीमा वाले मांगेंगे। बीमा से क्या मिलेगा ? पैसा मिलेगा !....तो वही तो एफ. आई.आर. लिखवाने में थाने की प्रत्याशा रही होगी। आप शायद ठीक से सुने नहीं- सबका साथ-सबका विकास


                                 

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