आजकल वन नेशन-वन फलां-वन ढिकाना चल रहा है।
वन नेशन के बाद कुछ भी लगा दो। जैसे वन नेशन-वन पार्टी। वन नेशन-वन नेता आदि आदि। इसी
श्रंखला में लेटेस्ट है वन नेशन-वन लड्डू। यूं तो कहने को इस देश में भांति-भांति के
लड्डू चलते आए है। यही हमारी आज की सबसे बड़ी राष्ट्रीय समस्या है। हमारे सारे देश का
एक बहुत विशाल प्रॉबलम अगर आप पूछें तो बेरोजगारी नहीं, शिक्षा नहीं बस एक ही है वो है हम सत्तर साल में वन नेशन-वन लड्डू अचीव नहीं कर
पाये हैं।
आज भी देश में तरह तरह के लड्डू चल रहे
हैं। कहीं बड़ी बूंदी के लड्डू हैं तो कहीं छोटी-महीन बूंदी के नायलॉन लड्डू हैं। कहीं
बेसन के लड्डू हैं। कोटा शहर वालों से पूछोगे तो वो कहेंगे म्हारे राजस्थान में मलाई
के लड्डू सुप्रीम हैं। पधारो म्हारे देश। लड्डू हमारी सशक्त और समृद्ध संस्कृति का
प्रतीक है। हमारी ऐतहासिक धरोहर है। हमारी अस्मिता, हमारा धर्म लड्डू में निहित है। मन का लड्डू, मन में लड्डू फूटते हैं। शादी का लड्डू। पास होने पर लड्डू। चुनाव जीतने पर लड्डू।
प्रसाद में लड्डू। दोनों हाथों में लड्डू। लड्डू के बिना भारतीयों के नित प्रतिदिन
के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। लड्डू हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग है।
चाँद पर पानी है या नहीं इस पर वैज्ञानिक
न जाने कब से अनुसंधान कर रहे हैं। आपको रिसर्च करनी चाहिए लड्डू के बिना भारत में
जीवन संभव है क्या?
बेबी-शॉवर, हिन्दी में बोले तो गोद-भराई से शुरू कर दो लड्डू ही लड्डू। हर जन्म दिन पर। मुंडन-नामकरण
पर। परीक्षा में पास होने पर। नौकरी लगने पर। शादी होने पर, पिता बनने पर। गोया कि उत्सव कोई हो लड्डू होना ही होना
है।
लड्डू नहीं जिस महफिल में वो फिर किसका
निदान है ?
लड्डू निशान खुशी का, लड्डू ईश्वर का वरदान है
अब आते हैं कि जिस देश में एक हिमालय
है। एक नेता है। एक झण्डा है, एक राष्ट्रीय गान है
वहाँ तरह तरह के लड्डू क्यों है ? क्या कारण है कि सबने
अपने छोटे-छोटे लड्डू चला लिए। कहीं मोदक बनके सामने आता है, कहीं गोंद के लड्डू की आन-बान-शान है। प्रसूति में अलग
लड्डू तो कहीं सुपर साइज़ का बोले तो आधा किलो का एक ही लड्डू। कहीं सरकारी स्कूलों
के सामने बिकते राम-लड्डू हैं तो कहीं चूरन वाले खट्टे-मीठे लड्डू। इतने सारे लड्डू
के चलते हमारी राष्ट्रीय एकता को बहुत हानि पहुंची है। शॉर्ट में बोले तो इतने सारे
डिफरेंट लड्डूओं के चलते राष्ट्रीय एकता को बेहद खतरा है आप लोग समझ नहीं रहे हैं।
जब तक आपकी समझ में आयेगा बहुत देर हो चुकी होगी। आप तब तक ये लड्डू-लड्डू खेलते रहो।
वक़्त आ गया है कि हम इस अखिल भारतीय समस्या
को और न लटकाएँ और तुरंत एक हाई-पॉवर कमेटी का गठन करें। ONOL कमेटी, (वन नेशन-वन लड्डू कमेटी) इस पर एक
गहन सर्वे के बाद देश का लड्डू डिसाइड किया जाये। ज़रूरत पड़े तो जनमत संग्रह कराया जा
सकता है। हमें लड्डू को लेकर आपस में लड़ना नहीं है। मत भेद हो सकता है लड्डू भेद नहीं
होना चाहिए। हम अपना लड्डू ले कर रहेंगे !
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